Jan Gan Man: Uniform Civil Code और समान शिक्षा किसी धर्म के विरोध में नहीं बल्कि देश के हित में है, जानिये कुछ तथ्य और तर्क

By नीरज कुमार दुबे | Dec 10, 2022

नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। देश में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की जोर पकड़ती मांग के बीच लोकसभा में भाजपा सांसद रवि किशन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने के प्रावधान वाला एक गैर-सरकारी विधेयक पेश किया तो दूसरी ओर राज्यसभा में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने देश में एक समान नागरिक संहिता विधेयक 2020 पेश किया। यह दोनों ही विधेयक समय की माँग हैं लेकिन अभी यह गैर सरकारी विधेयक की श्रेणी में प्रस्तुत किये गये हैं इसलिए इनका ज्यादा महत्व नहीं है। केंद्र सरकार को चाहिए कि जनसंख्या नियंत्रण और एक समान नागरिक संहिता जैसे गंभीर मुद्दों पर सहमति बनाकर जल्द से जल्द कानून बनाये। समान नागरिक संहिता और समान शिक्षा भारत के लिए कितनी जरूरी हैं इस मुद्दे पर प्रभासाक्षी ने वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात श्री अश्विनी उपाध्याय से बात की।


अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि लगभग 5 लाख स्कूलों में सिखाया जाता है कि केवल अल्ला की इबादत करो क्योंकि केवल मुस्लिम ही जन्नत जाएंगे बाकि सब जहन्नुम। उन्होंने कहा कि लगभग 5 लाख स्कूलों में सिखाया जाता है कि केवल ईसा मसीह की प्रेयर करो क्योंकि केवल ईसाई की हेवेन में जाएंगे बाकि सब हेल में। उन्होंने कहा कि फिर भी समान शिक्षा पर बहस नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि धर्मांतरण नियंत्रण के लिए केंद्रीय कानून की मांग वाली PIL पर सोमवार को सुनवाई है। इस पर राज्य सरकारों को अपनी राय स्पष्ट करना चाहिए। उपाध्याय ने बताया कि एक कठोर धर्मांतरण नियंत्रण केंद्रीय कानून की मांग वाली PIL का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अब तक 8 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। उन्होंने पूछा कि यदि स्वेच्छा से धर्मांतरण हो रहा है तो इतनी घबड़ाहट और छटपटाहट क्यों है? उन्होंने कहा कि अब तक केवल गुजरात सरकार ने ही धर्मांतरण पर अपना स्टैंड क्लियर किया है।

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समान समान नागरिक संहिता के बारे में उन्होंने कहा कि यह समान नागरिक संहिता का मतलब है बेटियों का अधिकार एक समान, वसीयत का अधिकार एक समान, विरासत का अधिकार एक समान, गोद लेने का अधिकार एक समान, विवाह की न्यूनतम आयु एक समान, गुजारा भत्ता का अधिकार एक समान, भरण पोषण का अधिकार एक समान, विवाह विच्छेद का आधार एक समान और विवाह विच्छेद की प्रक्रिया एक समान। उन्होंने कहा कि यह सही है कि विभिन्न राज्य सरकारें इस दिशा में कदम आगे बढ़ा रही हैं लेकिन अब केंद्र सरकार को भी इस संबंध में कानून लाना चाहिए। उन्होंने जनता से अपील की कि वह सरकार पर इसके लिए दबाव बनाने के लिए हर सांसद को ईमेल और पत्र भेजकर समान नागरिक संहिता कानून लाने के लिए कहे।

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