Prabhasakshi NewsRoom: दुनिया मंदी से जूझ रही है मगर Modi के नेतृत्व में Indian Economy तरक्की के सभी अनुमानों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ रही है

By नीरज कुमार दुबे | Jun 01, 2023

अमेरिका की अर्थव्यवस्था संकट में है, जर्मनी में मंदी है, ब्रिटेन अर्थव्यवस्था संबंधी चुनौतियों और तेजी से बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है, यूरोपीय देशों में अर्थव्यवस्था हिचकोले ले रही है, रूस की अर्थव्यवस्था तमाम तरह के प्रतिबंधों के चलते कमजोर पड़ी है, चीन की वृद्धि दर कमजोर पड़ी है लेकिन भारत तेज तरक्की की राह पर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके भारत की आर्थिक प्रगति दर ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है और अब भारत की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गयी है और उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ साल में 5,000 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। यह मोदी सरकार के नौ सालों की मेहनत का कमाल है कि महामारी जैसी चुनौती पर भी विजय हासिल कर ली गयी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी वैश्विक चुनौती का भी भारत पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ने दिया गया। ज्यादा दूर नहीं जाते हुए जरा पड़ोस से ही तुलना कर लें तो चीन में वृद्धि दर इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जबकि भारत की 6.1 प्रतिशत रही। दक्षिण एशिया के बाकी देशों की अर्थव्यवस्था के आंकड़े यहां देने का लाभ इसलिए नहीं है क्योंकि पाकिस्तान और श्रीलंका आदि देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह पिट चुकी है।


आंकड़ों पर एक नजर

दूसरी ओर, मोदी सरकार जब अपने कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे होने का जश्न मना रही है, ऐसे समय पर आये आंकड़े दर्शा रहे हैं कि भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश बना हुआ है। कृषि, विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है। इस वृद्धि के साथ देश की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गयी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि की। यह इससे पिछली तिमाही के 4.5 प्रतिशत से अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि के दम में यह आर्थिक वृद्धि हासिल की गयी। इसके अलावा, निर्माण, सेवा और खनन क्षेत्रों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही। जबकि इससे पहले, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 4.5 प्रतिशत और जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत थी। जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 13.1 प्रतिशत रही थी। वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में यह चार प्रतिशत रही थी।

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क्षेत्रवार आंकड़े

आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 9.1 प्रतिशत थी। हम आपको बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने फरवरी में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में देश की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी। मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि सात प्रतिशत रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 8.8 प्रतिशत थी। विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर मार्च 2023 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 4.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 0.6 प्रतिशत थी। खनन क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर मार्च 2023 को समाप्त चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.3 प्रतिशत थी। निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 10.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2021-22 की इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 5.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.1 प्रतिशत थी। हालांकि आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर छह महीने के निचले स्तर 3.5 प्रतिशत रह गई। मुख्य रूप से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली के उत्पादन में कमी से बुनियादी उद्योग की वृद्धि की रफ्तार धीमी हुई है। वहीं कोयला, उर्वरक और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में 7.7 प्रतिशत रही।


भावी संभावनाएं

इसके अलावा, लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहा, जो लक्ष्य के अनुरूप है। कर और गैर-कर राजस्व संग्रह बेहतर रहने से राजकोषीय घाटा को थामने में मदद मिली। देखा जाये तो जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) जैसे संकेतक अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां बने रहने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि निर्यात और आयात कम हुआ है। इससे कुछ जोखिम उत्पन्न हुआ है। मानसून और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक जोखिम को छोड़कर देश की आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 प्रतिशत के अनुमान से ऊपर रह सकती है।


विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं

भारत की इस कामयाबी पर आई प्रतिक्रियाओं की बात करें तो आपको बता दें कि मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, ‘‘हम वृहत आर्थिक, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के साथ सतत आर्थिक वृद्धि की कहानी पेश करने में सक्षम हैं। इसके साथ एक और साल भारत के ठोस आर्थिक प्रदर्शन को लेकर उत्साहित हैं।” वहीं डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि जीडीपी आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से सुखद हैं लेकिन पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षेत्र में तेजी स्थिति को और सुखद बना रहा है क्योंकि नीतिनिर्माताओं के लिये क्षेत्र चिंता का विषय बना हुआ था।’’


वहीं, उद्योग मंडलों के अनुसार विनिर्माण और कृषि जैसे क्षेत्र आर्थिक गतिविधियों को गति दे रहे हैं। उद्योग मंडल ऐसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, “वित्त वर्ष 2022-23 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट संकेत दिखता है कि मार्च तिमाही से भारतीय अर्थव्यवस्था ने विनिर्माण, निर्माण और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि की है।” उन्होंने कहा कि कच्चे तेल सहित अन्य कच्चे माल की कीमतों में नरमी और ब्याज दर के उच्च स्तर पर पहुंचने को देखते हुए इसके आने वाले समय में इसी रफ्तार से आगे बढ़ने की उम्मीद है। उद्योग मंडल पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि सकल स्थिर पूंजी निर्माण स्थिर कीमतों पर जीडीपी के 34 प्रतिशत पर रहना उत्साहजनक है। यह रोजगार सृजन की प्रबल संभावनाओं के साथ अर्थव्यवस्था में पूंजी व्यय बढ़ने का संकेत देती है।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

वहीं, राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बात करें तो आपको बता दें कि भाजपा ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत चमकता सितारा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को हाल के समय की अस्थिर वैश्विक परिस्थितियों से आगे निकालने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व का एक प्रमाण है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के मजबूत सूक्ष्म-आर्थिक संकेतकों और समग्र आशावाद से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में और भी अधिक मील के पत्थर हासिल करने के लिए तैयार है।’’ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में खपत में ‘रिकॉर्ड वृद्धि’ भारतीय अर्थव्यवस्था के सुनहरे भविष्य का संकेत है। शुक्ला ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक चमकता सितारा है। शुक्ला ने कहा कि भारत की मजबूत वृद्धि उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति और दुनिया भर में आर्थिक सुस्ती के बीच आई है। उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में सफल रही है।


भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि विकास दर भारत को लगातार दो वर्षों के लिए सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाती है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘यूक्रेन-रूस युद्ध और उसके नतीजे, पश्चिमी दुनिया में वित्तीय तंगी और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी से लगे झटकों के बावजूद इस साल उच्च विकास दर हासिल की गई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है और गति अच्छी है। मोदी सरकार द्वारा सक्षम व्यापक आर्थिक प्रबंधन ने सुनिश्चित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था निकट भविष्य में सात से आठ प्रतिशत जीडीपी विकास दर हासिल करेगी।’’


वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की 7.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर वैश्विक चुनौतियों के बीच इसके लचीलेपन को दर्शाती है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘समग्र आशावाद और आकर्षक वृहद-आर्थिक संकेतकों के साथ यह मजबूत प्रदर्शन, हमारी अर्थव्यवस्था के आशाजनक पथ और हमारे लोगों की दृढ़ता का उदाहरण है।’’ 


दूसरी ओर, कांग्रेस ने कहा है कि इन आंकड़ों में वाह-वाह करने लायक कुछ भी नहीं है क्योंकि निवेश एवं उपभोग से संबंधित ढांचागत समस्याएं रहने वाली हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था ‘क्वार्टर से क्वार्टर तक’ जैसी किसी फिल्म की तरह नहीं है। जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘अर्थव्यवस्था ‘क्वार्टर से क्वार्टर तक’ (तिमाही से तिमाही तक) नाम की किसी फिल्म की तरह नहीं है। आज के जीडीपी आंकड़ों को लेकर कुछ भी वाह-वाह करने के लिए नहीं है। वे इसे अपने अपने हिसाब से पेश करेंगे, लेकिन निवेश और उपभोग से जुड़े डबल इंजन की गहरी ढांचागत समस्याएं रहने वाली हैं।’’

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