By नीरज कुमार दुबे | Jan 03, 2023
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है और इसके लिए मोर्चा खुद गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल लिया है। 2019 में अमित शाह के पार्टी अध्यक्ष रहते हुए ही भाजपा ने लोकसभा चुनावों में अकेले दम पर 303 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था। इस बार अमित शाह उन लोकसभा सीटों पर खास ध्यान लगाये हुए हैं जहां भाजपा ने 2014 में चुनाव जीता लेकिन 2019 में हार गयी थी। अमित शाह की नजरें उन सीटों पर भी लगी हुई हैं जहां भाजपा बहुत कम मतों के अंतर से 2019 में लोकसभा चुनाव हार गयी थी। बताया जा रहा है कि ऐसी सीटों की कुल संख्या 160 है और इन सभी सीटों पर माहौल को भांपने के लिए अमित शाह 11 राज्यों का सघन दौरा करने जा रहे हैं ताकि चुनावी तैयारियों को मजबूत किया जा सके।
हम आपको याद दिला दें कि 2014 से भाजपा के उभार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और राजनीति में चाणक्य की उपाधि से नवाजे जाने वाले अमित शाह हमेशा कठिन चुनौतियों को ही अपने हाथ में लेते हैं। पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ काफी नाराजगी दिखाई दे रही थी लेकिन जब अमित शाह को उस क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया तो उन्होंने हालात को बड़ी कुशलता से संभाला और परिणाम यह रहा कि लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सरकार बन गयी थी।
जहाँ तक अमित शाह के 11 राज्यों के दौरे की बात है तो आपको बता दें कि लोकसभा प्रवास कार्यक्रम के तहत यह दौरा होने जा रहा है। इसके तहत पांच जनवरी को अमित शाह त्रिपुरा में होंगे तथा मणिपुर और नगालैंड में वह छह जनवरी को होंगे। उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा और नगालैंड में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। छत्तीसगढ़ और झारखंड में अमित शाह का दौरा 7 जनवरी को होगा और 8 जनवरी को वह आंध्र प्रदेश के दौरे पर जाएंगे। यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ ही होंगे।
इसके अलावा, अमित शाह 16 जनवरी को उत्तर प्रदेश जाएंगे जहां उनका मुख्य ध्यान पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर उन लोकसभा सीटों पर रहेगा जिसे बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कब्जाया था। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार विजय में उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक योगदान रहा है इसीलिए अमित शाह ने 'मिशन यूपी' पर नजरें गड़ा दी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं कि इस बार उत्तर प्रदेश में सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने पर हमारा ध्यान रहेगा।
इसके अलावा, अमित शाह 17 जनवरी को पश्चिम बंगाल के दौरे पर भी जाएंगे। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को पश्चिम बंगाल में शानदार विजय हासिल हुई थी। भाजपा का प्रयास है कि इस प्रदर्शन को और बेहतर बनाया जाये, इसके लिए हाल ही में वहां पार्टी संगठन स्तर पर कई बदलाव भी किये गये हैं और नेताओं के आपसी मतभेदों को सुलझाने की पहल भी की गयी है।
अमित शाह 28 जनवरी को कर्नाटक के हुबली का दौरा करेंगे। वह हाल ही में कर्नाटक का एक दौरा कर भी चुके हैं। कर्नाटक में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में अमित शाह का आगामी दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि तब तक राज्य में चुनावी माहौल गर्म हो चुका होगा। 29 जनवरी को अमित शाह हरियाणा और पंजाब के दौरे पर होंगे। हरियाणा में भी 2019 में भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था लेकिन हाल के पंचायत चुनावों में वहां जनता के बीच नाराजगी दिखी है जिसको लेकर भाजपा आलाकमान चिंतित है। पंजाब पर भी भाजपा ने काफी ध्यान लगाया हुआ है। वहां हाल ही में कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई कांग्रेस नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है। शिरोमणि अकाली दल से अलग हो चुकी भाजपा का प्रयास है कि राज्य से सर्वाधिक लोकसभा सीटें जीती जायें।
बहरहाल, ऐसा नहीं है कि सिर्फ अमित शाह ने ही चुनावी मोर्चा संभाला हुआ है बल्कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी देशभर का दौरा कर रहे हैं। हाल ही में वह दक्षिणी राज्यों का दौरा करके लौटे हैं और मंगलवार को बिहार के दौरे पर हैं। भाजपा ने अपने चुनावी अभियान को आगे बढ़ाने के लिए तमाम केंद्रीय नेताओं, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के भी राज्यवार दौरे और जनसभाएं कराने की योजना बनाई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि अगस्त महीने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी देशभर में चुनावी रैलियां और जनसभाएं करने का सिलसिला शुरू हो सकता है। इसके साथ ही भाजपा की राज्य इकाइयों के नेताओं का लोकसभा प्रवास कार्यक्रम भी लगातार चल रहा है जिसकी रिपोर्ट केंद्रीय स्तर पर रोजाना आधार पर जमा कराई जा रही है। इसके अलावा, भाजपा ने हाल ही में विभिन्न लोकसभा सीटों पर पूर्णकालिक विस्तारकों को भी काम पर लगा दिया है। देखना होगा कि चुनावी मशीनरी बन चुकी भाजपा की यह रणनीति 2024 के लोकसभा चुनावों में कितनी सफल रहती है?
-नीरज कुमार दुबे