कश्मीर के बिगड़ते हालात के कारणों का विश्लेषण, Article 370 हटने के बाद भी क्यों जारी है आतंकवाद?

By अंकित सिंह | Jun 06, 2022

जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों बड़े टारगेट किलिंग और उसको लेकर दिल्ली में हुई बड़ी बैठक पर ही हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। इस दौरान प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे भी मौजूद रहे। पहला सवाल यही रहा कि आखिर जम्मू कश्मीर में फिलहाल किस तरह की परिस्थितियां है? नीरज दुबे ने कहा कि जम्मू कश्मीर में परिस्थितियां पहले की तुलना में बहुत बदल गई है। अब वहां पर स्थानीय जनता हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय के जयकारे लगाती है। हर सरकारी कार्यालय में तिरंगा दिख जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से जो तमाम योजनाएं चलाई जा रही है। उसका लाभ भी सीधे लोगों को मिल रहा है। उन्होंने दावा किया कि जम्मू कश्मीर में हो रहे विकास कार्यों पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर रहती है। यही कारण है कि यह सब देख कर पाकिस्तान नाखुश है।

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नीरज दुबे ने कहा कि पाकिस्तान को यह लगने लगा है कि जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से कश्मीरी पंडित वापस लौटने लगे हैं और उनकी जो संपत्तियां है, वह उन्हें दोबारा मिलने लगी हैं। इसी से वह घबराया हुआ है। नीरज दुबे ने कहा कि जिस तरीके से खीर भवानी मेला का आयोजन हुआ या फिर महाशिवरात्रि का आयोजन हुआ, वह भी पाकिस्तान को खटक रहा है। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि जो कुछ भी पाकिस्तान पहले से जम्मू-कश्मीर में करता आ रहा है, वह थोड़ा सा मुश्किल हो गया है। इसीलिए पाकिस्तान ने अपनी चाल बदली है। उन्होंने कहा कि जो कि पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाले अलगाववादी नेता थे, उन पर नकेल कसी जा चुकी है। नीरज दुबे ने कहा कि पाकिस्तान के जो बड़े हाथ कश्मीर में आतंकवादी फैलाने के लिए थे, अब वह कट चुका है। अब सीमा पर कड़ी सुरक्षा है जिसकी वजह से पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर की शांति नहीं भाती है और इसीलिए उसने हाइब्रिड आतंकवाद करके एक नई चाल चली है।


नीरज दुबे ने कहा कि पहले भारत जम्मू-कश्मीर में एनकाउंटर में मारे जाने वाले आतंकियों की भारत पहचान उजागर करता था। दुनिया की नजरों में पाकिस्तान की पोल खुलती थी। इसी वजह से पाकिस्तान को फंडिंग की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। यही कारण है कि पाकिस्तान अब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को लेकर सीधा शामिल नहीं होकर, दूसरा रास्ता अपनाया है। उसने हाइब्रिड आतंकवाद फैलाने की कोशिश की है। इसके लिए वह पाकिस्तान से गन भी भेजता है। उन्होंने कहा कि टारगेट किलिंग के लिए जन सामान्य के लोगों को ही इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया जा रहा है जो लोग जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान को सपोर्ट करते हैं, वही लोग वहां के युवाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। नीरज दुबे ने कहा कि वर्तमान में युवाओं को यह नहीं कहा जा रहा है कि आपको आतंकवाद करना है। युवाओं को सिर्फ एक लक्ष्य दिया जाता है और उसे उन्हें पूरा करना होता है। ऐसा करने के बाद एक बार फिर से सामान्य जिंदगी में वापस लौट जाते हैं। यही कारण रहा कि अब सुरक्षाबलों के लिए आतंकवादियों की पहचान करना थोड़ा चुनौती हो गया है। पहले जम्मू कश्मीर में आतंकी बड़े-बड़े बंदूकों को लेकर सोशल मीडिया पर अपने फोटो शेयर करते थे। हालांकि अब यह नहीं होता है। इसी से इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जम्मू कश्मीर में आतंक का तरीका बदल रहा है।

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नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जन सामान्य से ही निकला कोई व्यक्ति ऐसा कृत्य करता है तो उसकी पहचान करना मुश्किल काम है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि फिलहाल दिल्ली में जम्मू कश्मीर को लेकर बड़ी बैठक हुई। इसमें खुद गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। देखना होगा कि आखिर जम्मू कश्मीर को लेकर किस तरह की रणनीति बनी है और उसका इंप्लीमेंटेशन घाटी में कैसे किया जाता है? यह बात भी सच है कि अगर कोई आतंकवादी कृत्य करता है तो हमारे सुरक्षा बल उसे 24-48 घंटों के भीतर निपटा देते हैं। लेकिन आतंकी कृत्य पर अंकुश कैसे लगाई जाए, यह सबसे बड़ी चुनौती है। टारगेट किलिंग की वजह से कश्मीर में भय का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। यह भय सिर्फ हिंदुओं में ही नहीं है बल्कि मुसलमानों में भी है। ना सिर्फ हिंदुओं को ही टारगेट किया जा रहा है ,बल्कि मुसलमानों को भी टारगेट किया जा रहा है। हाल में ही अमरीन भट्ट को देखा कि किस तरीके से आतंकियों ने उन्हें निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकी उन मुसलमानों को खासतौर पर निशाना बना रहे हैं जो उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं।


वर्तमान के माहौल के बारे में बात करते हुए नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि यह अच्छी बात है कि फिलहाल जो कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, इस बात की निंदा सभी की ओर से की जा रही है। वर्तमान में कश्मीर में हिंदू के साथ सभी लोग खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि 1990 में यह चीजें देखने को नहीं मिली थी। वर्तमान में सभी लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि आप इन टारगेट किलिंग को जल्द रोकिए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो लोग भी कह रहे हैं कि यह 1990 के दौर वापस आ रहा है, उससे मौजूदा हालात बिलकुल विपरीत है। जम्मू कश्मीर का हर व्यक्ति एकजुटता के साथ खड़ा है। नीरज दुबे ने कहा कि जो भी जम्मू कश्मीर के बड़े नेता पाकिस्तान से बातचीत का राग अलापते हैं, उन्हें इससे बचना चाहिए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ऐसे नेताओं को सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह की घटनाओं का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।


- अंकित सिंह

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