By अभिनय आकाश | Sep 19, 2023
संसद के विशेष सत्र के उद्घाटन दिवस 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने कथित तौर पर महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने की मंजूरी दे दी। लेकिन कम लोग जानते हैं कि एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करने के लिए केंद्र सरकार से सवाल किया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि उसने विधायिका में महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग को लेकर 2021 में दायर जनहित याचिका पर अपना जवाब क्यों नहीं दाखिल किया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने 11 अगस्त को हुई सुनवाई में केंद्र के कानून अधिकारी से पूछा कि आपने कोई उत्तर दाखिल नहीं किया है। आप क्यों कतरा रहे हैं?आपने जवाब क्यों नहीं दाखिल किया? कहें कि आप इसे लागू करना चाहते हैं या नहीं। यह इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है कि इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है यह हम सभी से संबंधित है।
यह याचिका 2021 में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) द्वारा लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को फिर से पेश करने की मांग करते हुए दायर की गई थी। विधेयक, जिसे संविधान (एक सौ आठवां संशोधन) विधेयक, 2008 के रूप में भी जाना जाता है, का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण पेश करना है। हालाँकि इसे 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन 15वीं लोकसभा के विघटन के बाद यह समाप्त हो गया। एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद महिला आरक्षण को अभी तक संसद के निचले सदन के समक्ष नहीं रखा गया है।