आज के इस विश्लेषण की शुरुआत भारत के कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टेगौर के एक कथन से करनी जरूरी है। वो कहां करते थे कि तथ्य वैसे तो कई होते हैं परंतु सच सिर्फ एक होता है। वैसे तो देश में लाकडाउन लागू है, लेकिन आज के विश्लेषण के लिए हम आपको देश की राजधानी दिल्ली से 674 किलोमीटर दूर इस्लामाबाद ले चलेंगे। इसके साथ ही आपको एक साल पहले 6 हजार 383 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के झूठ और भारत के सच पर हुई सुनवाई और इंटरनेशनल बेइज्जती के बाद भी नहीं सुधरने की कहानी बताएंगे। दरअसल, आईसीजे के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पाकिस्तान भारत को कुलभूषण जाधव से मिलने नहीं दे रहा है। इसको लेकर भारत एक बार फिर आईसीजे का रूख कर सकता है। इसलिए आज इस पूरे मामले का तथ्यात्मक विश्लेषण अनिवार्य है। आज हम एमआरआई में बात करेंगे पाकिस्तान की जेल में कैद भारत के बेटे कुलभूषण जाधव की साथ ही तारीखों के आइने से आपको बताएंगे कि पूरे प्रकरण में कब क्या-क्या हुआ है। इसके अलावापाक की फरेबी नीयत को भी एक्सपोज करेंगे। सबसे पहले आपको बताते हैं कि कैसे एक बार फिर ये मामला चर्चा में आया।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस, इसका वकीलों से जुड़ा एक संगठन है भारतीय अधिवक्ता परिषद। इसने 2 मई को एक ऑनलाइन लेक्चर कराया। इसमें शामिल हुए मशहूर वकील हरीश साल्वे। वही हरीश साल्वे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे में भारत के लिए कुलभूषण जाधव का केस लड़ा। उन्होंने यह केस लड़ने के लिए केवल एक रुपये फीस ली थी। इस केस के बारे में उन्होंने ऑनलाइन लेक्चर में बात की। उन्होंने कहा,‘हम कहते रहे कि आप (पाकिस्तान) आईसीजे के फैसले पर किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं और किस तरह से प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार कर रहे हैं। उन्होंने (पाकिस्तान) सवाल के जवाब नहीं दिए। मेरा मानना है कि भारत सरकार उन्हें पत्र लिखती रही है और कौन जानता है कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं, हमें वापस आईसीजे का दरवाजा खटखटाना होगा, जाधव के लिए न्याय हासिल करने का प्रयास करना होगा।’’ उन्होंने कहा, हमने पाक को चार-पांच पत्र लिखे। वो केवल मना करते रहे। मुझे लगता है हम ऐसी स्थिति में पहुं गए हैं जहां हमें अब फैसला लेना है कि सही परिणाम के लिए हम आईसीजे वापस जाना चाहते हैं या नहीं क्योंकि पाकिस्तान की सहयोग करने की कोई मंशा नहीं है।
अजित डोवाल ने की थी पाक NSA से बात
भारत के सॉलिसिटर जनरल रहे हरीश साल्वे ने बताया कि हम उम्मीद कर रहे थे कि पिछले दरवाजे से बातचीत कर हम पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को छोड़ने के लिए मना लेंगे। फिर यह चाहे मानवता के आधार पर कहते या किसी और आधार पर, लेकिन हम उसे वापस चाहते थे। हमने उनसे कहा कि कुलभूषण को छोड़ जाए, क्योंकि पाकिस्तान में यह अहंकार की परेशानी के तौर पर ज्यादा था। इसलिए हम उम्मीद कर रहे थे कि वे कुलभूषण को जाने देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।” भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोवाल ने एक मौके पर पाकिस्तान के एनएस नसीर खान जंजुआ से कुलभूषण जाधव को छोड़ने के तरफ इशारा किया था।
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पाकिस्तान ने आईसीजे में तोड़ी भाषा की मर्यादा
हरीश साल्वे का कहना है कि अभी तक पाकिस्तान ने जाधव मामले की डिटेल भारत को नहीं दी है। उसने न तो एफआईआर की कॉपी दी, न चार्जशीट और न मिलिट्री कोर्ट का ऑर्डर दिया। आईसीजे में पाकिस्तानी वकील के कड़े शब्दों के इस्तेमाल के बारे में साल्वे ने बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कई बार भारत के खिलाफ कड़े शब्द कहे। उन्होंने बताया,आईसीजे में हमने कभी उनके जैसे शब्द नहीं कहे. मैंने शब्द जांचे थे। पाकिस्तान ने कई बार झूठे, बेईमान और घृणित जैसे शब्द इस्तेमाल किए थे। लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया।
कुलभूषण जाधव मामले में कब-क्या हुआ?
3 मार्च 2016: कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी हुई।
24 मार्च 2016: पाकिस्तानी सेना ने जाधव को जासूस बताया और बलूचिस्तान से उनकी गिरफ्तार बताई।
25 मार्च 2016: पाक ने भारत को जाधव के बारे में बताया। भारत ने उसके दावे को ठुकरा दिया।
26 मार्च 2016: भारत ने जाधव को निर्दोष बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। भारत ने दावा किया कि वे नौसेना के एक रिटायर्ड अफसर हैं, जिनका ईरान में कार्गो का व्यापार है। पाकिस्तान ने उन्हें वहीं से गिरफ्तार किया और उनकी गिरफ्तारी बलूचिस्तान से होना बताया।
29 मार्च 2016: भारत ने पाकिस्तान से जाधव को दूतावास मदद देने के लिए कहा।
10 अप्रैल 2017: पाक सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाई। भारत ने चेतावनी देते हुए इसे पूर्व निर्धारित हत्या बताया।
11 अप्रैल 2017: भारत की उस वक्त की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संसद के दोनों सदनों में बयान देते हुए कहा कि जाधव को न्याय दिलाने के लिए भारत हर मुमकिन कोशिश करेगा। उन्होंने जाधव को निर्दोष अगवा भारतीय बताया।
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14 अप्रैल 2017: भारत ने पाकिस्तान से चार्जशीट की सर्टिफाइड कॉपी और मौत की सजा सुनाए जाने वाले फैसले की कॉपी मांगी, साथ ही उन तक दूतावास मदद देने के लिए कहा।
15 अप्रैल 2017: पाक ने अरब और आसियान देशों के राजदूतों को कथित जाधव की गिरफ्तारी के बारे में बताया।
20 अप्रैल 2017: भारत ने जाधव के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही के साथ-साथ अपील प्रक्रिया का विवरण मांगा।
27 अप्रैल 2017: भारतीय की उस वक्त की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से जाधव के परिवार को वीजा देने की अपील की।
8 मई 2017: जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के खिलाफ भारत ने नीदरलैंड्स के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में अपील की।
9 मई 2017: आईसीजे ने जाधव की सजा पर रोक लगा दी।
10 मई 2017: जाधव को अवैध तरीके से कैद में रखने को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने आईसीजे में अपील की।
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15 मई 2017: सुनवाई के दौरान भारत ने जाधव की मौत की सजा को तुरंत रद्द करने की मांग की, वहीं पाकिस्तान ने भारत पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया।
18 मई 2017: आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव की सजा पर रोक लगाते हुए अपने अंतिम फैसले को टाल दिया। कोर्ट में भारत की ओर से हरीश साल्वे ने पैरवी की। वहीं पाकिस्तान ने कहा कि आईसीजे के आदेश से जाधव केस में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
29 मई 2017: पाकिस्तान ने जाधव के खिलाफ नए सबूत मिलने का दावा किया। पाक विदेश मंत्रालय का कहना था कि जाधव ने पाकिस्तान में आतंकी हमलों से जुड़े इंटेलिजेंस नेटवर्क के बारे में बताया है।
16 जून 2017: आईसीजे ने भारत से 13 सितंबर तक और पाकिस्तान से 13 दिसंबर तक अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा।
22 जून 2017: जाधव ने पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख के सामने दया याचिका रखी।
2 जुलाई 2017: पाकिस्तान ने जाधव को दूतावास मदद पहुंचाने की भारत की एक और अपील खारिज की। अबतक वो पांच अपील खारिज कर चुका था।
8 दिसंबर 2017: पाक ने जाधव की पत्नी और मां को उनसे मिलने की इजाजत दी। इसके लिए 25 दिसंबर की तारीख तय की गई।
25 दिसंबर 2017: जाधव की पत्नी और मां ने जाकर उनसे मुलाकात की।
17 जुलाई 2018: पाकिस्तान ने आईसीजे में दूसरा काउंटर मेमोरियल दायर किया।
3 अक्तूबर 2018: आईसीजे ने कहा वह 18 फरवरी 2019 से चार दिन तक जाधव केस में सुनवाई करेगा।
18 से 21 फरवरी 2019: सुनवाई के दौरान भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना पक्ष रखा।
4 जुलाई 2019: आईसीजे ने बताया कि 17 जुलाई 2019 को फैसला सुनाया जाएगा।
17 जुलाई, 2019: जाधव मामले में भारत को बड़ी जीत मिली। आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करने और उन्हें राजनयिक पहुंच (कॉन्सुलर एक्सेस) प्रदान करने का आदेश दिया।
आपको दो लाइनों में बता देते हैं कि कॉन्सुलर एक्सेस क्या है
कॉन्सुलर एक्सेस का मतलब है कि जिस देश का कैदी है उस देश के राजनयिक या अधिकारी को जेल में बंद कैदी से मिलने की इजाजत दी जाए।
1 अगस्त, 2019: पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने कहा कि जाधव को 2 अगस्त को राजनयिक पहुंच प्रदान की जाएगी।
अगस्त 2: जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान करने की शर्तों को लेकर मतभेद की वजह से भारतीय अधिकारियों और जाधव की मुलाकात नहीं हुई।
2 सितंबर: इस्लामाबाद में भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया ने जाधव से मुलाकात की।
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चलते-चलते आपको वियना संधि के बारे में भी बता देंते हैं जिसके आधार पर ICJ ने कुलभूषण मामले में सुनाया फैसला था-
आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था। इसके तहत एक ऐसे अंतर्राष्टरीय संधि का प्रावधान किया गया जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिये गये। इसके दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी संधि से मिलती जुलती एक और संधि का प्रावधान किया। इस संधि को ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1963 में हुई थी वियना संधि की शुरुआत। इस संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था और 1964 में यह संधि लागू हुआ। वियना संधि के मुताबिक़ राजनयिकों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है। भारत ने आईसीजे में जाधव का मामला इसी संधि के तहत उठाया है। इस संधि पर अभी तक 179 देश सहमत हो चुके हैं। इसके आर्टिकल 36 के अनुसार अगर कोई देश किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार करता है, तो संबंधित देश के दूतावास को तुरंत इसकी जानकारी देनी होगी।
भारत और पाकिस्तान के बीच कुलभूषण जाधव को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही है अब ऐसे में पाक की नियत में खोट होने के बाद एक बार फिर से ये मामला इंटरनेशनल कोर्ट पहुंच सकता है जहां पिछली बार कि तरह एक बार फिर पाक को मुंह की खानी पड़ सकती है।