इंडिया आउट का नारा देने वाले मुइज्जू को भारत की शरण में क्यों आना पड़ा?

By नीरज कुमार दुबे | Oct 07, 2024

भारत के साथ संबंधों के प्रति मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का बदला हुआ दृष्टिकोण कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि मालदीव की राजनीति में अक्सर देखने को मिलता है कि चुनाव अभियानों के दौरान राजनेता जो बयानबाजी करते हैं, वह आधिकारिक नीतिगत निर्णयों में तब्दील नहीं होती। मुइज्जू को राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद भारत की अहमियत समझ आ चुकी है। कर्ज में डूबे अपने देश को उबारने के लिए मुइज्जू को भारत की मदद की सख्त जरूरत है इसलिए चुनावों में इंडिया आउट का नारा देने वाले मुइज्जू भारत की शरण में आये हैं। चीन की यात्रा के दौरान ढेरों आश्वासन मिलने के बावजूद मुइज्जू अपने देश के लिए कुछ ठोस हासिल नहीं कर पाये इसलिए भारत से मदद मांगने आये हैं।


हम आपको बता दें कि मालदीव पर बड़ा आर्थिक संकट मंडरा रहा है इसलिए वह चाहता है कि भारत ऋण भुगतान को थोड़ा आसान बना दे। अपनी भारत यात्रा से ठीक पहले मुइज्जू ने अपने देश को वित्तीय सहायता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा था कि दिल्ली द्वीप राष्ट्र की वित्तीय स्थिति से "पूरी तरह परिचित" है और माले के सबसे बड़े विकास भागीदारों में से एक के रूप में "बोझ को कम करने" के लिए हमेशा तैयार रहेगी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भारत और मालदीव ने 40 करोड़ डॉलर की मुद्रा अदला-बदली को लेकर जो समझौता किया है उससे मालदीव को विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़े मुद्दों से निपटने में मदद मिलेगी। 

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हम आपको यह भी बता दें कि अभी पिछले महीने ही वैश्विक एजेंसी मूडीज़ ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग यह कहते हुए घटा दी थी कि "डिफ़ॉल्ट जोखिम बढ़ गए हैं"। दरअसल मालदीव को ऋण भुगतान में चूक का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 440 मिलियन डॉलर हो गया है, जिससे कि सिर्फ डेढ़ महीने तक ही वस्तुओं का आयात किया जा सकता है। गौरतलब है कि यह द्विपीय राष्ट्र खाने पीने से लेकर अपनी तमाम जरूरतों के लिए विदेशों से सामान आयात करता है। विदेशों से सामान आयात करने के लिए उसे डॉलर की जरूरत है। विदेशी कर्ज चुकाने के लिए भी उसे डॉलर की जरूरत है। इसलिए मालदीव के सामने मुश्किल यह है कि वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े डॉलरों से कर्ज चुकाये या अपनी जनता के लिए जरूरत का सामान मंगवाये। इसके अलावा मालदीव को अपने यहां बुनियादी ढांचे में निवेश की भी जरूरत है ताकि जनता के जीवन स्तर को बढ़ाया जा सके। इसके लिए भी भारत पहले ही मालदीव को विभिन्न बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए 1.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता की पेशकश कर चुका है।


हम आपको यह भी याद दिला दें कि इस साल जनवरी में दोनों देशों के संबंधों में आये तनाव के मद्देनजर भारतीयों ने मालदीव में पर्यटन का बहिष्कार कर दिया था जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुँचा है। मुइज्जू को अपनी चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से आश्वासन मिला था कि वह बड़ी संख्या में चीनियों को मालदीव में पर्यटन के लिए भेजेंगे लेकिन चीन से कोई नहीं आया। बताया जाता है कि मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 50,000 की गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप देश को लगभग 150 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इसलिए मालदीव के राष्ट्रपति ने अपने भारत दौरे के दौरान कहा है कि वह मालदीव में बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।


हम आपको यह भी याद दिला दें कि मुइज्जू ने परोक्ष रूप से भारत पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि इस छोटे से देश को "धमकाने का लाइसेंस" किसी के पास नहीं है। उन्होंने भारत के लिए अपने सैन्य कर्मियों को देश से वापस बुलाने के लिए 15 मार्च की समय सीमा भी तय की थी। मगर अब मुइज्जू भारत को साथ लेकर चलना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने कहा है कि मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत की सुरक्षा कमजोर हो। उन्होंने कहा है कि भारत मालदीव का एक मूल्यवान भागीदार और मित्र है और हमारा संबंध आपसी सम्मान और साझा हितों पर बना है। उन्होंने कहा है कि हम विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ अपना सहयोग बढ़ाते हैं, लेकिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हमारे कार्यों से हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता से समझौता नहीं हो।


जहां तक मुइज्जू की भारत यात्रा के दौरान मालदीव को हुए लाभ की बात है तो आपको बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मिलकर अपने देश में रूपे कार्ड को डिजिटल रूप से जारी किया। इसके अलावा दोनों नेताओं ने हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नये रनवे का उद्घाटन किया और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति जतायी। चार दिवसीय राजकीय दौरे पर आए मुइज्जू ने हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। इस दौरान भारत ने मालदीव को 700 से अधिक सामाजिक आवास भी सौंपे। इसका निर्माण एक्जिम बैंक (भारतीय निर्यात-आयात बैक) की खरीदार कर्ज सुविधा के तहत किया गया है। मोदी ने मुइज्जू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी ऐलान किया कि अब ग्रेटर माले संपर्क परियोजना में भी तेजी लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि हम थिलाफुशी में एक नये वाणिज्यिक बंदरगाह के विकास में सहायता करेंगे। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि भारत और मालदीव ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया है। उन्होंने मालदीव को एक ‘घनिष्ठ मित्र’ बताया जिसका भारत की पड़ोस नीति और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और वृद्धि) दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण स्थान है।


मोदी ने कहा, ‘‘भारत ने हमेशा एक पड़ोसी देश की जिम्मेदारियों को निभाया है। आज, हमने अपने आपसी सहयोग को रणनीतिक दिशा देने के लिए एक व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी का दृष्टिकोण अपनाया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध सदियों पुराने हैं। और भारत, मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र देश है। उन्होंने कहा कि हमारी "Neighbourhood First” policy और "सागर” Vision में मालदीव का महत्वपूर्ण स्थान है। बाइट।


वहीं मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के बयान की बात करें तो उन्होंने कहा है कि सरकारी बॉण्ड को आगे बढ़ाने तथा मुद्रा की अदला-बदली के समझौते पर हस्ताक्षर समेत उदारतापूर्वक की गयी सहायता के लिए मैं भारत का आभार जताता हूं। उन्होंने कहा कि मालदीव में भारतीय निवेश बढ़ाने के लिए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए मैं उत्साहित हूं। राष्ट्रपति मुइज्जू ने साथ ही कहा कि मालदीव के लिए भारत सबसे बड़ा पर्यटन का स्रोत है, और हमें अधिक भारतीय पर्यटकों का स्वागत करने की उम्मीद है।


बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत और मालदीव के बीच पारंपरिक रूप से मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं और भारत इस द्वीप राष्ट्र का एक प्रमुख सहायता प्रदाता है। मुइज्जू ने अपने पूर्ववर्तियों की तरह राष्ट्रपति पद संभालने के तुरंत बाद भारत की जगह चीन की यात्रा कर दिल्ली को चिढ़ाने का जो प्रयास किया था उसका हश्र वह भुगत चुके हैं। मुइज्जू की गलतियों का प्रतिफल मालदीव की आम जनता नहीं भुगते इसका प्रयास भारत ने शुरू से किया और संयम बनाये रखा। आखिरकार अब जब मुइज्जू ने अपनी भूल सुधार ली है तो वही कहावत याद आती है कि सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते।

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