By अनन्या मिश्रा | Aug 31, 2024
दुनियाभर में श्रीकृष्ण और राधा रानी के कई मंदिर हैं। श्रीकृष्ण और राधा रानी का प्रेम बेमिसाल था। जब भी श्रीकृष्ण की छवि सामने आती है, तो उनके हाथ में बांसुरी जरूर दिखती है। श्रीकृष्ण को बांसुरी अत्यंत प्रिय थी और जब भी वह बांसुरी बजाया करते थे, तो गोपियां सुधबुध भूलकर श्रीकृ्ष्ण के पास खिंची चली आती थीं। न सिर्फ राधा रानी और गोपियां बल्कि हर कोई कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते थे। लेकिन एक समय ऐसा भी आया, जब श्रीकृष्ण ने अपनी प्रिय बांसुरी तो तोड़कर हमेशा के लिए फेंक दिया था। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी प्रिय बांसुरी को क्यों तोड़कर फेंक दिया था।
जानिए क्या है कहानी
श्रीकृष्ण और राधा रानी का प्रेम दुनियाभर में फेमस है। आज भी श्रीकृष्ण से पहले राधा रानी का नाम लिया जाता है। आज भी राधा-कृष्ण के प्रेम की मिसाल दी जाती है। भले ही राधा-कृष्ण ने विवाह नहीं किया था, लेकिन दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति जो प्रेम और सम्मान था, वह अन्य किसी के लिए नहीं था और यह भाव ताउम्र रहा था। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण सिर्फ देवी राधा के लिए बांसुरी बजाया करते थे, तो वहीं राधा रानी भी श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाती थीं। जैसे ही कान्हा की बांसुरी की धुन राधा को सुनाई देती वह फौरन श्रीकृष्ण से मिलने पहुंच जाती थी।
राधा को छोड़कर मथुरा गए श्रीकृष्ण
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि राधा रानी और श्रीकृष्ण एक-दूसरे के लिए बने थे और वह बचपन में साथ रहते थे। लेकिन समय के चक्र के साथ ही कृष्ण भगवान को अपने दायित्वों की पूर्ति के लिए वृंदावन छोड़कर मथुरा जाना पड़ा। इस तरह से वह राधा रानी से दूर चले गए। लेकिन श्रीकृष्ण को विदा करते हुए देवी राधा ने उनसे वचन लिया था कि जब उनका अंतिम समय आएगा, तो श्रीकृष्ण उन्हें दर्शन देंगे और बांसुरी बजाकर सुनाएंगे। श्रीकृष्ण ने वचन देते हुए इस बात को मान लिया। भले ही श्रीकृष्ण देवी राधा से दूर हो गए, लेकिन वह बांसुरी को हमेशा अपने साथ रखते थे।
श्रीकृष्ण ने क्यों तोड़ दी बांसुरी
वजन के अनुसार, जब देवी राधा का आखिरी समय आ गया, तो वह श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंची। वहीं श्रीकृष्ण ने भी अपना वचन निभाते हुए राधा रानी से मुलाकात की। पृथ्वी लोक पर यह राधा-कृष्ण की अंतिम मुलाकात थी। वादे के मुताबिक राधा रानी को श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर सुनाई। बांसुरी की मधुर धुन को सुनकर राधा रानी ने श्रीकृष्ण के कंधे पर सिर रख लिया और अपने प्राण त्याग दिया। राधा की मृत्यु श्रीकृष्ण बर्दाश्त नहीं कर पाए और इस विरह में उन्होंने अपनी बांसुरी को तोड़कर वहीं झाड़ियों में फेंक दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने यह निश्चित किया कि अब वह फिर कभी बांसुरी नहीं बजाएंगे।