By नीरज कुमार दुबे | Dec 18, 2024
मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए तमाम कदम उठा रही है लेकिन फिर भी किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले लोग जब तब आंदोलन पर उतारू रहते हैं और आम जन के लिए परेशानी खड़ी करते रहते हैं। हम बात कर रहे हैं पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की। सरकार से यह लोग बात करने को राजी नहीं हुए तो देश की सर्वोच्च अदालत ने एक कमेटी बना दी इनसे बातचीत करने के लिए लेकिन ये अब उस कमेटी से भी बात करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए सवाल उठता है कि आंदोलन कर रहे लोगों की मंशा क्या है? सवाल यह भी उठता है कि जब देश के हर राज्य में किसान देश की खुशहाली और अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेतों में मेहनत कर रहा है तो यह कुछ लोग जोकि अपने को किसान बता रहे हैं वह बॉर्डर पर क्यों बैठे हुए हैं? आमरण अनशन किसलिए किया जा रहा है? क्या यह आमरण अनशन केंद्र सरकार और देश की छवि खराब करने के लिए विदेशी इशारे पर किया जा रहा है? सवाल और भी कई उठेंगे जब आप प्रदर्शन कर रहे लोगों की बात सुनेंगे।
हम आपको बता दें कि पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि किसान आज पंचकूला में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति से नहीं मिल पाएंगे। डल्लेवाल ने समिति का नेतृत्व करने वाले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के दो मंचों ने फैसला किया है कि वे उनकी चिकित्सा स्थिति और शंभू सीमा पर घायल किसानों की स्थिति के मद्देनजर समिति से नहीं मिल पाएंगे। उन्होंने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर केवल केंद्र सरकार से ही बातचीत करेंगे। हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने 13 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि समिति प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और अदालत को सिफारिशें देगी, जिन्हें अंततः निर्णय के लिए हितधारकों के समक्ष रखा जाएगा। अदालत ने यह भी कहा था कि प्रदर्शनकारी किसान अस्थायी रूप से अपना प्रदर्शन स्थल बदल सकते हैं और राजमार्गों को खाली कर सकते हैं या शायद अस्थायी रूप से चल रहे आंदोलन को निलंबित भी कर सकते हैं ताकि समिति हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें दे सके। न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने किसानों को 18 दिसंबर यानि आज हरियाणा के पंचकूला में बैठक करने के लिए आमंत्रित किया था। जिसके बाद डल्लेवाल ने लिखे पत्र में कहा कि वह 26 नवंबर से अनशन पर हैं और मंगलवार को उनका आमरण अनशन 22वें दिन में प्रवेश कर गया है।
हम आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली जाने से रोके जाने के बाद 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। आंदोलनकारी किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग कर रहे हैं।