By नीरज कुमार दुबे | Jun 26, 2024
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी सड़कों और सभाओं में तो विवादित बयान देते ही रहते हैं अब उन्होंने संसद में भी विवादित टिप्पणी कर दी है। दरअसल उन्होंने मंगलवार को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद युद्ध प्रभावित पश्चिम एशियाई क्षेत्र फिलस्तीन के पक्ष में नारे लगाए, जिसके बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया। भारत माता की जय बोलने से साफ इंकार करने वाले ओवैसी ने जब भारतीय संसद में जय फिलस्तीन का नारा लगाया तो भारी हंगामा खड़ा हो गया और उन्हें संसद की सदस्यता के अयोग्य करार दिये जाने की मांग होने लगी। बाद में सभापति ने इसे रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया।
हम आपको बता दें कि हैदराबाद से पांचवीं बार सदस्य निर्वाचित हुए ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली। शपथ लेने से पहले उन्होंने दुआ पढ़ी। अपनी शपथ के बाद उन्होंने मुस्लिमों के लिए एआईएमआईएम का नारा बुलंद करने के अलावा अपने राज्य तेलंगाना, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के पक्ष में नारा लगाया। ओवैसी ने पश्चिम एशिया के उस क्षेत्र के पक्ष में भी नारा लगाया जो वर्तमान में युद्ध का सामना कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्रबिंदु में है। उनकी शपथ के बाद सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिससे सदन में हंगामा शुरू हो गया। बाद में पीठ पर आसीन राधामोहन सिंह ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि शपथ के अलावा कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। बाद में आसन पर लौटे प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने कहा कि केवल शपथ का मूल पाठ ही रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है।
दूसरी ओर, संसद से बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए, ओवैसी ने कहा कि उन्होंने सदन के भीतर ‘‘जय फलस्तीन’’ कहा है। उनका कहना था, ‘‘अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं... मैंने कहा ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फलस्तीन'। यह कैसे गलत है? मुझे संविधान के प्रावधान बताएं? आपको दूसरों की बात भी सुननी चाहिए...पढ़िए कि महात्मा गांधी ने फलस्तीन के बारे में क्या कहा था।’’ यह पूछे जाने पर कि उन्होंने फलस्तीन का उल्लेख क्यों किया, ओवैसी ने कहा, ‘‘वे उत्पीड़ित लोग हैं।''
उधर, वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कट्टरपंथी सांसद ओवैसी की संसद सदस्यता खत्म करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति से असदुद्दीन ओवौसी की शिकायत की है। उन्होंने कहा है कि ओवैसी ने संसदीय नियमों की अवहेलना की है इसलिए उनकी संसद सदस्यता को खत्म किया जाना चाहिए। देखना होगा कि राष्ट्रपति इस शिकायत पर क्या निर्णय लेती हैं लेकिन एक बात स्पष्ट है कि देशभर में ओवैसी की इस हरकत के खिलाफ नाराजगी देखने को मिल रही है। सोशल मीडिया पर तो लोग उनकी संसद सदस्यता समाप्त करने की मांग भी जोरदार तरीके से उठा रहे हैं।