By नीरज कुमार दुबे | Aug 18, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से हमने जानना चाहा कि पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर बढ़ते हमले क्या दर्शा रहे हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह हमले यह दर्शा रहे हैं कि पाकिस्तानी जनता चीन को पसंद नहीं करती। उन्होंने कहा कि यह सही है कि पाकिस्तान और चीन की सरकार के आपस में बहुत अच्छे रिश्ते हैं और चीन समय-समय पर पाकिस्तान की मदद भी करता है। लेकिन जनता को लग रहा है कि चीन धीरे-धीरे उनके भूभाग और संसाधनों पर कब्जा करता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनता को यह स्वीकार नहीं है इसलिए चीनी प्रोजेक्टों का विरोध होने लगा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार भले उइगर मुसलमानों की दुर्दशा पर चुप्पी साधे रहे लेकिन पाकिस्तान की जनता सब कुछ जानती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी जनता को लगता है कि जैसे चीन अपने शिनजिंयाग क्षेत्र में उइगर मुसलमानों के साथ क्रूरता बरतता है वैसे ही वह हमारे साथ भी बरत सकता है। खासतौर पर जबसे चीन ने अपने बीआरआई प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए अपने सुरक्षाकर्मियों की तैनाती शुरू की है तबसे विवाद ज्यादा होने लगे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस पूरे मामले का दूसरा पहलू यह भी है कि पाकिस्तान एक ओर तो चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट को पूरा कराने का वादा कर चुका है तो दूसरी तरफ उस पर अमेरिका का दबाव भी है कि इस प्रोजेक्ट की राह में रोड़े अटकाने हैं। ऐसे में पाकिस्तान की सरकार चूंकि खुद यह काम नहीं कर सकती इसलिए आतंकी गुटों से चीनियों पर हमले करवाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हैरत भरी बात है कि कैसे पाकिस्तान के सैन्य काफिले की कड़ी सुरक्षा में जा रहे चीनियों पर आसानी से हमले हो गये। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चीन से कह कुछ रहा है और कर कुछ रहा है इसीलिए जब पिछले दिनों शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष चीन गये थे तो चीनी सरकार ने उन्हें खरी खोटी सुनाते हुए चीनियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिये थे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अशांत बलूचिस्तान प्रांत के बंदरगाह शहर ग्वादर में आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, चीनी वाणिज्य दूतावास ने भी आपात योजना को सक्रिय कर दिया है और अपने नागरिकों को आगाह किया है कि वे पाकिस्तान में सतर्क रहें, अपनी सुरक्षा को अपग्रेड करें और आसपास की सुरक्षा स्थिति को लेकर जागरूक रहें ताकि अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ग्वादर का प्रमुख बंदरगाह अरबों डॉलर की लागत वाले 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' (सीपीईसी) का एक प्रमुख केंद्र है और चीन के भी कई कर्मचारी यहां काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सीपीईसी परियोजना के तहत चीन, बलूचिस्तान में भारी निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस परियोजना को बड़ा आर्थिक बोझ और विफल करार दे चुके हैं लेकिन शी जिनपिंग किसी भी कीमत पर इस परियोजना को पूरा करना चाहते हैं इसलिए अफगानिस्तान, ईरान और खाड़ी देशों के साथ अपनी करीबी बढ़ा रहे हैं ताकि इस प्रोजेक्ट की राह में कोई अड़चन नहीं आये लेकिन अमेरिका भी पाकिस्तान पर दबाव बनाये हुए है।