कनाडा में हिंदुओं पर लक्षित हमलों का जवाब आखिर देगा कौन, पूछ रहे हैं लोग

By कमलेश पांडे | Nov 05, 2024

लीजिए, कनाडा भी अब पाकिस्तान और बांग्लादेश की राह पर चल पड़ा है। वहां के हिन्दू मंदिर पर भी खालिस्तानियों ने हमला किया है। दुनिया के कई इस्लामिक और ईसाई मुल्कों में ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं। खुद भारत के भी कई राज्यों में ऐसी शर्मनाक घटनाएं पर्व-त्यौहारों पर सामने आती रहती हैं। इसलिए यक्ष प्रश्न है कि हिंदुओं पर लक्षित हमलों का जवाब आखिर कौन देगा, क्योंकि भारत सरकार, भारतीय संसद और भारतीय सुप्रीम कोर्ट धर्मनिरपेक्ष हैं! 


कड़वा सच तो यह है कि इन सबकी धर्मनिरपेक्षता हिन्दू विरोधी और अल्पसंख्यक समर्थक है। यह बात मैं नहीं कह रहा हूँ, बल्कि इनके एक्शन से गाहे बगाहे साबित होता आया है। लोग इस बारे में अक्सर पूछते रहते हैं, लेकिन उच्चस्तरीय आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा से लैस ये लोग जबतक जगेंगे, तबतक बहुत देर हो चुकी होगी। वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वे भवन्तु सुखिनः का यह मतलब कतई नहीं होता कि दुनिया भर में हिन्दू पिटते रहें और हमलोग तमाशबीन बनकर बैठे रहें। 


आपको पता होना चाहिए कि हिन्दू देवी-देवता शस्त्र और शास्त्र से लैस रहते हैं, जिसका सीधा संदेश है कि जब बात तर्क और तथ्य से नहीं सुधरे तो शस्त्र उठाना ही पड़ता है। कहा भी जाता है कि जब जब धर्म की हानि होती है और असुर-अभिमानी बढ़ जाते हैं, तब तब ईश्वर अवतार लेते हैं और दुष्टों का दलन करके सज्जनों की पीड़ा हरते हैं। आज समकालीन दुनिया में जिस-तरह से सत्ता संरक्षित हिंसा-प्रतिहिंसा हो रही है, उसकी समाप्ति भी भारत वर्ष से ही शुरू होगी। लेकिन जो लोग धर्मनिरपेक्ष हैं, वो ऐसा कतई नहीं करेंगे। 

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कहा जाता है कि भारत के धर्मनिरपेक्ष लोग वो महात्मा गांधी हैं, जो एक गाल पर थप्पड़ पड़ते ही दूसरा भी हाजिर कर देने के आदि बन चुके हैं। इसलिए रीढ़ विहीन मुल्क भी भारत को आंख दिखाते रहते हैं। इनके अनुगामियों ने भी पाकिस्तान, बांग्लादेश से लेकर कनाडा तक में हुए हिन्दू उत्पीड़न के मामले में वही किया। कहीं खामोशी की गहरी चादर, तो कहीं बयानबाजियों की खानापूर्ति। फलतः कभी अमेरिका में भारतीयों को निशाना बनाया गया, तो कभी ब्रिटेन में हमला किया गया और अब कनाडा में किसी भारतीय दूतावास पर या उसके सामने नहीं, बल्कि हिन्दू मंदिर पर एकत्रित लोगों पर हमला हुआ है। 


चूंकि ईसाई भी मुसलमानों के ही वंशज हैं, इसलिए उनके मुल्क में खालिस्तानी समर्थकों की करतूतों के पीछे पाक कनेक्शन ही होगा, पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही कोई नया कुचक्र होगा, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। पंजाब का खालिस्तान आंदोलन यदि कनाडा में जिंदा है तो इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। आप मानें या न माने, लेकिन भारत के खिलाफ भी अब उसी तरह के राजनैतिक षड्यंत्र किये जाने लगे हैं, जैसा कि अबतक अमेरिका, रूस और चीन के खिलाफ किए जाते थे। 


हालांकि, भारत और हिंदुओं को उनकी धर्मनिरपेक्ष सोच की मार ज्यादा पड़ रही है, जिसे हमारी संसद और सर्वोच्च न्यायालय ने हम पर जबरिया थोप रखा है। यही वजह है कि हिंदुत्व की रक्षा और विस्तार के लिए हमारे पास वह रणनीति नहीं है, जो कि ईसाई या इस्लाम हुकूमत वाले देशों के पास उनके धर्म के विस्तार के लिए है! सभी हिंदुओं के लिए यह विचारणीय प्रश्न है।


कनाडा में जिस तरह से हिंदू विरोधी साजिश हुई, मंदिर पर हमला हुआ, स्थानीय पुलिस की चुप्पी और महज खानापूर्ति सामने आई है, उससे वहां की भारत विरोधी ट्रूडो सरकार एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ चुकी है। जिस तरह से कनाडा के ब्रैम्पटन में खालिस्तान समर्थकों ने एक हिंदू मंदिर पर हमला किया और वहाँ चल रहे भारतीय कांसुलर कैंप को बाधित करने का प्रयास किया, वह निंदनीय है। 


भले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की  निंदा की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, वह नाकाफी है। भले ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस घटना को अस्वीकार्य बताया हो, लेकिन उनकी मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है। हाल के दिनों की भारतीय-कनाडाई टीका-टिप्पणी भी इसी बात की चुगली करती है। खालिस्तानी समर्थकों के हमले के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इससे भारत और कनाडा के बीच तनानती बढ़ती ही जा रही है।


पीएम मोदी ने कहा है कि- "मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर हुए जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने के कायरतापूर्ण प्रयास भी उतने ही निंदनीय हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर पाएंगे। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का राज कायम करेगी।" 


बता दें कि हाल के महीनों में पीएम मोदी का यह बयान दूसरा उदाहरण है, जब उन्होंने भारत के बाहर हिंदुओं पर कथित हमलों का मुद्दा उठाया है। इस साल अगस्त में, उन्होंने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के समक्ष पड़ोसी देश में सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को कथित तौर पर निशाना बनाए जाने का मुद्दा उठाया था। 


वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस घटना पर चिंता जताई है और कनाडा सरकार से सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि "हम ओंटारियो के ब्रैम्पटन शहर में रविवार को हिंदू सभा मंदिर में कट्टरपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की घटनाओं की निंदा करते हैं। हम कनाडा सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि सभी पूजा स्थलों को ऐसे हमलों से बचाया जाए। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि हिंसा में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा।" 


वहीं खालिस्तानी समर्थकों के हमले के बीच एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें कथित तौर पर पुलिस को एक हिंदू युवक को पकड़कर हथकड़ी लगाते हुए दिखाया गया, जिसकी तुलना टिप्पणीकारों ने अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की घटना से की।


काबिलेगौर है कि खुद कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने इस घटना को खालिस्तानी कार्यकर्ताओं द्वारा एक सीमा पार करने जैसा बताया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस घटना से कनाडा के कानून प्रवर्तन में खालिस्तानियों की घुसपैठ का पता चलता है। उन्होंने हमले का विरोध कर रहे हिंदुओं के प्रति ब्रैम्पटन पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाए। 


वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना को अस्वीकार्य बताते हुए अपना अंतर्राष्ट्रीय बचाव करने की कोशिश की और कहा कि कनाडा में हर किसी को अपनी आस्था के पालन का अधिकार है। उन्होंने घटना की जाँच के आदेश दे दिए हैं। ट्रूडो ने कहा कि "ब्रैम्पटन में आज हिंदू सभा मंदिर में हुई हिंसा की घटना अस्वीकार्य है। हर कनाडाई को अपनी आस्था का पालन स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से करने का अधिकार है। समुदाय की सुरक्षा और इस घटना की जांच के लिए तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए पील रीजनल पुलिस का धन्यवाद।"


वहीं, कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग ने भी इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि हम आवेदकों, जिनमें भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जिनकी मांग पर स्थानीय सह-आयोजकों के पूर्ण सहयोग से इस तरह के आयोजनों का आयोजन किया जाता है। भारत विरोधी तत्वों के इन प्रयासों के बावजूद, हमारा वाणिज्य दूतावास भारतीय और कनाडाई आवेदकों को 1,000 से अधिक जीवन प्रमाण पत्र जारी करने में सफल रहा। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब विदेश में हिंदुओं पर हमले हुए हैं। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। भारत सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।


वहीं, कनाडा में मंदिर पर हमले के बाद हिंदुओं का भी गुस्सा फूटा है। उन्होंने भी तिरंगा लहराते हुए प्रदर्शन किये। वहीं, विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कनाडा सरकार को खूब सुनाया। भारत ने कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में हिंसा का कड़ा विरोध किया है, जबकि गत सोमवार को बड़ी संख्या में हिंदुओं ने मंदिर के बाहर तिरंगे लेकर प्रदर्शन किया। कनाडा के ब्रैम्पटन में मंदिर पर खालिस्तानी हमले ने एक बार पुनः हिंदुओं को एकजुट कर दिया है। 3 नवंबर को हमले के बाद, 4 नवंबर की शाम को ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के बाहर भारी भीड़ जमा हुई। प्रदर्शन रैली में शामिल लोगों के हाथों में तिरंगा था। 'वंदे मातरम' और 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए भीड़ ने मंदिर तथा हिंदुओं के साथ एकजुटता दिखाई। भारत ने खालिस्तानी झंडे लेकर आए प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंदू मंदिर में लोगों के साथ की गई हिंसा पर सख्त रुख अपनाया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी घटना पर चिंता जताई। 


वहीं, ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के बाहर जुटी भीड़ ने जस्टिन ट्रूडो सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहाकि, 'हम हिंदू समुदाय के रूप में कल जो कुछ हुआ उससे बहुत दुखी हैं। हम हिंदू समुदाय के समर्थन में यहां आए हैं। हिंदू समुदाय ने कनाडा में बहुत योगदान दिया है और हम प्रगतिशील हैं, हम बहुत आर्थिक मूल्य जोड़ते हैं, हम जहां भी जाते हैं कानून और व्यवस्था का पालन करते हैं- चाहे वह कनाडा हो या कहीं और। इसलिए राजनेताओं और पुलिस की प्रतिक्रिया देखकर बहुत दुख हुआ, उन्होंने हमारे साथ कैसा व्यवहार किया... हम यहां समर्थन में आए हैं। हम बस यही मांग रहे हैं कि न्याय मिले। कानून के शासन का पालन किया जाए और अपराधियों पर कानून के शासन के तहत मुकदमा चलाया जाए।'


रैली में भाग लेने वालों ने कहा कि, 'आज एक बात स्पष्ट है - कनाडा में हमारी जान है और हिंदुस्तान में हमारी जान बसती है। हिंदू कनाडाई कनाडा के प्रति बहुत वफादार हैं। हिंदू कनाडाई लोगों के साथ जो हो रहा है, वह सही नहीं है। अब समय आ गया है कि सभी राजनेता यह जान लें कि हिंदू कनाडाई लोगों के साथ जो हो रहा है वह गलत है... हम चाहते हैं कि कनाडा हिंदुओं के साथ अच्छा व्यवहार करे..हम चाहते हैं कि भारत और कनाडा के रिश्ते मजबूत हों, हम उन लोगों के खिलाफ हैं जो इसके खिलाफ हैं..।'


गौरतलब है कि ब्रैम्पटन में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की मंदिर यात्रा के दौरान हिंसक झड़पों के एक दिन बाद यह हमला हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे 'जानबूझकर किया गया हमला' और 'हमारे राजनयिकों को डराने का कायरतापूर्ण प्रयास' करार दिया है। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन बनाए रखेगी।


वहीं, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि, 'कनाडा में कल हिंदू मंदिर में जो कुछ हुआ, वह निश्चित रूप से बेहद चिंताजनक है। किसी भी व्यक्ति को हमारे आधिकारिक प्रवक्ता का बयान और कल हमारे प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त की गई चिंता भी देखनी चाहिए थी। इससे सबको पता चल जाएगा कि हम इस घटना के बारे में कितनी गहरी भावना रखते हैं।'


वहीं, पुलिस ने इस हमले से जुड़े तीन संदिग्धों की पहचान की है, जिनमें मिसिसॉगा के 42 वर्षीय दिलप्रीत सिंह बौंस, ब्रैम्पटन के 23 वर्षीय विकास (पूरा नाम अज्ञात) और मिसिसॉगा के 31 वर्षीय अमृतपाल सिंह शामिल हैं। एक वीडियो में देखा गया कि पील पुलिस का ऑफ ड्यूटी अधिकारी खालिस्तानी समर्थकों की रैली में भाग ले रहा था। उस अधिकारी को जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है।


कनाडा के एक पूर्व मंत्री ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को 'सामाजिक और राजनीतिक रूप से मूर्ख व्यक्ति' करार दिया और कहा कि ट्रूडो कभी समझ ही नहीं पाए कि ज्यादातर सिख धर्मनिरपेक्ष हैं और वे खालिस्तान से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते। पूर्व प्रधानमंत्री पॉल मार्टिन की सरकार में संघीय कैबिनेट मंत्री रह चुके उज्जल दोसांझ (78) ने  दावा किया कि कनाडा में कई मंदिरों पर खालिस्तान समर्थकों का नियंत्रण है। यह ट्रूडो की गलतियों का नतीजा है कि 'आज कनाडा के लोग खालिस्तानियों और सिख को एक मानते हैं, मानो कि अगर हम सिख हैं, तो हम सब खालिस्तानी हैं।


कनाडा की घटना से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी उस दृष्टिकोण को बल मिलता है कि बटेंगे तो कटेंगे। इसलिए अब बंगलादेश से कनाडा तक उनका यह नारा गूंजने लगा है। कहा भी जाता है कि "वृथा न जाए देव ऋषि वाणी।" यानी देवताओं और साधु-संतों के मुख से निकली वाणी कभी व्यर्थ नहीं होती है। इसलिए जब उनकी बात सच निकली है तो अब इससे बचाव के लिए विश्वव्यापी रणनीति बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं जैसे अग्रसोची लोगों पर है। इसलिए प्रकृति के संदेश को समझिए और आगे बढ़िए। आकाशवाणी हो चुकी है।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

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