कौन हैं खातिरा हाशिमी ? जिनके साथ तालिबान ने क्रूरता की सारी हदें की थी पार, निकाल ली थी दोनों आंखें

By अनुराग गुप्ता | Sep 04, 2021

नयी दिल्ली। तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान में नई सरकार का गठन करने वाली है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान में ईरानी नेतृत्व की तर्ज पर सरकार का गठन होने वाला है। तालिबान ने सरकार में महिलाओं को शामिल करने की बात कही थी और कहा था कि वह बदला हुआ तालिबान है लेकिन काबुल पर एंट्री के बाद ही उसकी हकीकत सामने आने लगी। 

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महिलाओं को दबाना चाहता है तालिबान

भले ही तालिबान के कपड़े बदल गए हों, पिछली बार के मुकाबले अत्याधुनिक हथियार आ गए हों लेकिन उनका नजरिया नहीं बदला है। अफगानिस्तान के 33 प्रांतों पर कब्जा करने वाले तालिबान ने ब्यूटी पॉर्लर की दीवारों पर लगी महिलाओं की तस्वीरों पर ब्लैक स्प्रे किया था। लेकिन इससे भी बढ़कर हम आपको तालिबान का बहसीपना बताने वाले हैं।

अफगानिस्तान की एक महिला अधिकारी ने भारत में शरण ली है और तालिबान की असल सच्चाई के बारे में जानकारी दी है।

कौन हैं खातिरा हाशिमी ?

तालिबान के अत्याचार और क्रूरता की शिकार हुई खातिरा हाशिमी अफगानिस्तान के गजनी प्रांत से पिछले साल भारत आई थीं। दरअसल, खातिरा हाशिमी गजनी प्रांत के पुलिस विभाग में एक महिला अधिकारी के तौर पर कार्यरत थीं। पुलिस विभाग में भर्ती होना खातिरा का सपना था लेकिन उनके सपने को पूरा होता देख तालिबान ने अपना आपा खो दिया और उनके साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। 

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तालिबान को महिलाओं का काम पर जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। खातिरा ने फिर भी किसी तरह अपने सपने को पूरा किया और उनसे छिपाकर अपने लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया। लेकिन कितने दिन तक वह सच छिपाकर अपनी जिम्मेदारियां निभातीं। एक दिन तालिबान के चरमपंथी उनके घर आ टपके और फिर जो कुछ हुआ उसने उन्हें जिंदा लाश बना दिया।

पिछले साल जून के महीने ने तालिबानियों ने खातिरा की पीठ और हाथ पर गोली मारी थी फिर भी वो उठ खड़ी हो गईं, जिसके बाद तालिबानियों ने उनके सिर पर गोली दागी और वो धड़ाम से जमीन पर गिर गईं। तालिबानियों को लगा कि खातिरा मर गई हैं। 

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इतने में ही तालिबानियों की क्रूरता समाप्त नहीं हुई। उन्होंने चाकू से खातिरा की दोनों आंखें निकाल ली और उन्हें मरा हुआ सोचकर वहां से चले गए। लेकिन कहते है ना 'जाको राखे साइयां मार सके न कोई'। अब खातिरा हिन्दुस्तान में चैन की सांस ले पा रही हैं। खातिरा की कहानी महज उनकी कहानी नहीं है बल्कि उनके जैसे बहुत सी स्वतंत्र महिलाओं की कहानी है। तालिबान भले ही खुद को बदला हुआ बताए लेकिन वहां रहने वाले लोग उस संगठन की असलियत को जानते हैं तभी तो देश छोड़ने के लिए मजबूर हैं।

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