By नीरज कुमार दुबे | Oct 11, 2023
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में जो धारा 35ए लगाई थी उसके दुष्परिणाम देश ने भुगते लेकिन क्या आप जानते हैं कि 35ए से ज्यादा खतरनाक धारा 6ए है जोकि राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए असम के लिए लागू की थी? देखा जाये तो एक तरह से धारा 6ए के माध्यम से बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता देने की साजिश रची गयी और आबादी का संतुलन बिगाड़ कर अपने राजनीतिक स्वार्थ पूरे किये गये। लेकिन अब स्थिति खतरनाक स्वरूप ले चुकी है इसीलिए इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द किया जाना बेहद जरूरी हो गया है।
हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता की जांच के लिए 17 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करेगा। उम्मीद है कि फैसला भी शीघ्र ही आयेगा और एक जटिल समस्या से देश को छुटकारा मिल सकेगा। हम आपको याद दिला दें कि भारत के नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता के मुद्दे से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था। 1985 में संशोधित किये गये नागरिकता अधिनियम के अनुसार जो लोग 1 जनवरी 1966 को या उसके बाद लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश सहित निर्दिष्ट क्षेत्रों से असम आए हैं और तब से असम के निवासी हैं, उनको भारतीय नागरिकता दी जायेगी। हालांकि इसके लिए उन्हें धारा 18 के तहत खुद को पंजीकृत कराना होगा। इस प्रकार, उन बांग्लादेशी प्रवासियों को आसानी से नागरिकता प्रदान की जा सकती है, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम आए थे।
बहरहाल, उच्चतम न्यायालय की ओर से असम में अवैध आप्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर 17 अक्टूबर को सुनवाई शुरू होने से ठीक पहले यह मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि राजीव गांधी ने जो महापाप किया है उसको सुधारे जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस तरह धारा 6ए के समर्थन में दस याचिकाएं आई हैं और उन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ वकीलों की ओर से लड़ा जा रहा है उससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि घुसपैठियों के पास इतना पैसा कहां से आया कि उन्होंने दिग्गज वकीलों को अपना केस लड़ने के लिए बुला लिया। उन्होंने कहा कि 6ए के विरोध में चूंकि महज पांच ही याचिकाएं हैं इसलिए समाज को जागने की जरूरत है और इस मुद्दे के प्रचार-प्रसार की जरूरत है ताकि घुसपैठियों को भारत की नागरिकता मिलने से रोका जा सके।