By नीरज कुमार दुबे | Jun 24, 2024
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में वैसे तो सभी मंत्री अपने अपने मंत्रालयों का कामकाज संभालने के बाद प्रधानमंत्री के विजन को आगे बढ़ाने में तेजी से जुट गये हैं लेकिन विदेश मंत्री की गति सबसे तेज नजर आ रही है। कार्यभार संभालने के बाद विदेश मंत्री के तौर पर एस. जयशंकर पहले श्रीलंका गये और अब वह संयुक्त अरब अमीरात पहुँचे। इससे पहले, प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में आये विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के साथ भी उनकी मुलाकात हुई। पिछले सप्ताह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी राजकीय यात्रा पर आईं थीं और उस दौरान दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान भी जयशंकर उपस्थित रहे थे। अब वह यूएई गये और अगले माह वह कजाकिस्तान में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भी भाग ले सकते हैं। हम आपको बता दें कि जयशंकर मोदी सरकार के उन कुछ मंत्रियों में शुमार हैं जिनको प्रधानमंत्री ने फिर से उनका पुराना विभाग सौंपा है। इसलिए बतौर विदेश मंत्री अपने दूसरे कार्यकाल में जयशंकर भारत की विदेश नीति को नया आयाम देने और भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के अपने अभियान पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
जहां तक जयशंकर की यूएई यात्रा की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान अपने समकक्ष अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान के साथ दोनों देशों के बीच बहुआयामी व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की और सहयोग बढ़ाने के लिए ऐसे नए क्षेत्रों पर चर्चा की जिनमें अभी संभावनाओं को तलाशा नहीं गया है। रविवार को संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर आए जयशंकर ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी अल-नाहयान के साथ चर्चा की। उन्होंने अबू धाबी में प्रतिष्ठित बीएपीएस हिंदू मंदिर में दर्शन किए और अल नाहयान से मुलाकात से पहले 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लिया।
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि दोनों विदेश मंत्रियों ने ‘‘बहुआयामी भारत-संयुक्त अरब अमीरात व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की।’’ एक बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने वाणिज्यिक व आर्थिक सहयोग, फिनटेक, शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच परस्पर संपर्क समेत द्विपक्षीय सहयोग के विविध क्षेत्रों में हुई ठोस प्रगति पर खुशी जतायी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने ‘‘और सहयोग बढ़ाने के लिए ऐसे नए क्षेत्रों पर चर्चा की जिनमें अभी तक संभावनाएं तलाशी नहीं गयी हैं’’ और उन्होंने क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर भी विचार साझा किए।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जयशंकर के पुन: विदेश मंत्री पद पर नियुक्त होने के दो सप्ताह के भीतर संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा ‘‘यह दिखाती है कि भारत इस अरब देश के साथ संबंधों को कितना महत्व देता है।’’ इसमें कहा गया है कि यह यात्रा ‘‘दोनों देशों के बीच जारी उच्च स्तरीय संपर्क को दर्शाती है।’’ बयान में कहा गया, ‘‘पिछले साल, हमने अपने द्विपक्षीय संबधों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां देखीं जैसे कि एक स्थानीय मुद्रा व्यापार समझौते का क्रियान्वयन, भारत के रुपे कार्ड के आधार पर संयुक्त अरब अमीरात का घरेलू क्रेडिट/डेबिट कार्ड शुरू होना, अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के एक परिसर की स्थापना, फिनटेक सहयोग और आईएमईईसी पर काम शुरू होना।’’
उधर, जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात के अपने समकक्ष से मुलाकात करने के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल बिन जायद से मुलाकात करके बहुत खुशी हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी निरंतर बढ़ती व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर सकारात्मक और गहन बातचीत हुई। क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर उनके साथ (अल नाहयान के साथ) हुई चर्चा और उनके विचारों की सराहना करता हूं।’’ जयशंकर ने अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर में दर्शन किए जिसका उद्घाटन इस साल 14 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इस मंदिर को ‘‘भारत-संयुक्त अरब अमीरात की मित्रता का प्रत्यक्ष प्रतीक’’ बताया। इस मंदिर में चार महीने से भी कम वक्त में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु आ चुके हैं। जयशंकर ने मंदिर में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम संस्थान (बीएपीएस) के पदाधिकारियों से मुलाकात की। हम आपको याद दिला दें कि बीएपीएस ने यूएई द्वारा दान की गई भूमि पर मंदिर बनवाया है। इसके बाद जयशंकर ने अबू धाबी संग्रहालय परिसर, लूव्र में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लिया। यह कार्यक्रम करीब 30 मिनट तक चला जिसमें कई देशों के लोगों ने भाग लिया।
हम आपको बता दें कि जयशंकर की अबू धाबी की एक दिवसीय यात्रा के मद्देनजर नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उनकी यात्रा क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम के साथ ही भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के समग्र परिदृश्य की समीक्षा करने का अवसर उपलब्ध कराएगी।