By नीरज कुमार दुबे | Feb 20, 2024
लोकसभा चुनाव बस आने ही वाले हैं इसलिए मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम राजनीतिक दल लुभावने वायदों की सूची तैयार करने में जुट गये हैं साथ ही जनता से भी राय मांगी जा रही है कि आप भी बताएं कि हमारे घोषणापत्र में क्या-क्या चीजें शामिल की जानी चाहिएं। राजनीतिक दलों की ओर से अपने सुझाव भेजने के लिए ईमेल पता और टोल फ्री नंबर तक जारी किये जा रहे हैं और जनता अपने सुझाव भेज भी रही है। लेकिन अधिकतर सुझाव ऐसे भेजे जा रहे हैं जो निजी लाभ की दृष्टि से तो ठीक हैं लेकिन राष्ट्र के लाभ से उनका कोई वास्ता नहीं है। जैसे बिजली, पानी, राशन, चिकित्सा, शिक्षा मुफ्त में देने की मांग तो की ही जा रही है लेकिन असल समस्याओं को खत्म किये जाने की मांग नहीं की जा रही है।
देखा जाये तो कोई नहीं सुझाव दे रहा है कि नशाखोरी, जमाखोरी, डकैती, कर चोरी आदि या अन्य कोई अपराध करने वालों को एक निश्चित समय सीमा में कड़ा दंड मिलना सुनिश्चित किया जाये। कोई नहीं सुझाव दे रहा है कि शिक्षा माफिया, नकल माफिया पर नकेल कसने के लिए कड़े उपाय करने का वादा अपने घोषणापत्र में किया जाये। देखा जाये तो यदि अपराधियों के मन में कानून का डर बैठा कर अपराधों पर लगाम लगा दी जाये और भ्रष्टाचारियों के मन में कानून का डर बैठा कर जनता का पैसा जनता तक पहुँचना सुनिश्चित किया जाये तो फ्री बिजली, पानी और फ्री राशन के लिए सरकारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
यहां सवाल यह भी है कि क्या हम तमाम पार्टियों के घोषणापत्रों के लिए सुझाव देते समय अपने जिले की वास्तविक समस्याओं की चिंता भी कर रहे हैं? क्या हम सुझाव देते समय राष्ट्रीय हितों का ध्यान रख रहे हैं? देखा जाये तो यदि हम अपने जिले या मोहल्ले की चिंता भी कर लें तो यह देश की सेवा में एक अहम योगदान हो जायेगा। समय आ गया है कि इसके लिए समाज के प्रमुख लोग अभियान चलायें और देश को मुफ्तखोरी, चोरी और भ्रष्टाचार के दलदल से निकालने के लिए राजनीतिक दलों को प्रेरित करें।