इस्लामिक देशों की अशांति से भारत को क्या सबक लेना चाहिए?

By नीरज कुमार दुबे | Aug 06, 2024

तुर्की अशांत है, यमन अशांत है, कांगो अशांत है, ईरान अशांत है, इराक अशांत है, सूडान अशांत है, मिस्र अशांत है, सीरिया अशांत है, बांग्लादेश अशांत है, सोमालिया अशांत है, पाकिस्तान अशांत है, मालदीव अशांत है, नाइजीरिया अशांत है, तजाकिस्तान अशांत है, अफगानिस्तान अशांत है। देखा जाये तो दुनिया के अधिकतर इस्लामिक देश अशांत हैं। बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तो कभी अखण्ड भारत का ही हिस्सा थे लेकिन इनकी दिक्कतें तभी शुरू हुईं जब यह इस्लामिक देश बने। जबकि हिंदू बहुल भारत में लोकतंत्र मजबूत और स्थिर रहा तथा देश के सेकुलर रहने से सभी धर्मों के लोग यहां पूरी आजादी के साथ अपने जीवन का निवर्हन करते हैं। 


लेकिन भारत का साम्प्रदायिक सौहार्द्र उन अराजक तत्वों को भा नहीं रहा है जोकि 2047 तक हिंदुस्तान को इस्लामिक राष्ट्र में तब्दील करने का एजेंडा लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिये योजनाबद्ध तरीके से विभिन्न इलाकों की डेमोग्राफी बदली जा रही है। रिपोर्टों के मुताबिक देश के 9 राज्यों, 200 जिलों और 1500 तहसीलों का जनसांख्यिकी अनुपात बिगाड़ा जा चुका है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि भारत में रोहिंग्या घुसपैठ काफी बढ़ गई है तथा जनसांख्यिकी में बदलाव आने का खतरा वास्तविक और गंभीर है। उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या लगातार भारत-बांग्लादेश सीमा का इस्तेमाल करके भारत में आ रहे हैं और कई राज्य जनसांख्यिकीय बदलाव की समस्या का सामना कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: Violent Selfie Lovers का पसंदीदा पिकनिक स्पॉट बना राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री का निवास, देश कई हालात वही, पड़ोसियों के फेर में भारत के लिए मुश्किल नई

देखा जाये तो यदि इस समस्या का समाधान निकालने पर ध्यान नहीं दिया गया तो मुश्किलें खड़ी होना तय है। इस संबंध में विश्व इतिहास के कुछ उदाहरणों से सबक लिया जा सकता है। पहले तुर्की, मिस्र और सीरिया में ईसाई बहुसंख्यक थे। लेकिन आज यह इस्लामिक राष्ट्र हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी थी जोकि अब न्यूनतम स्तर पर पहुँच गयी है। ईरान में 90% पारसी थे और उसका नाम पर्सिया था लेकिन आज वह इस्लामिक देश है और वहां कट्टरपंथी सोच वाली सरकार है। वैश्विक घटनाक्रमों पर नजर डालेंगे तो यह भी प्रतीत होगा कि कम कट्टरपंथियों वाले देश और ज्यादा कट्टरपंथियों वाले देश के हालात में क्या फर्क होता है।


अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, इटली, नॉर्वे आदि में कट्टरपंथियों की आबादी 2 प्रतिशत से भी कम है इसलिए वहां दंगे इत्यादि नहीं होते। डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में कट्टरपंथियों की आबादी 5 प्रतिशत तक है इसलिए वहां आपको अक्सर छोटी-छोटी बातों पर धरना प्रदर्शन होने की खबरें मिलती होंगी। फ्रांस, फिलिपींस, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो आदि में कट्टरपंथियों की आबादी 10 प्रतिशत तक है इसलिए वहां विशेष दर्जा और तमाम सुविधाओं की मांग को लेकर प्रदर्शन होते हैं। गुयाना, भारत, इज़राइल, केन्या और रूस आदि में इनकी आबादी 10 से 20 प्रतिशत तक है तो विशेष धार्मिक कानून, विशेष स्कूल, विशेष तालीम और विशेष ड्रेस कोड लागू करने पर जोर दिया जाता है। कट्टरपंथियों की आबादी का प्रतिशत जिन देशों में 20 प्रतिशत से ज्यादा है वहां अपहरण, बलात्कार, सामूहिक धर्मांतरण, आगजनी, नरसंहार, गृहयुद्ध जैसी स्थितियों के चलते बड़ी संख्या में लोगों का पलायन भी होता है। ऐसे देशों में बोस्निया, लेबनान, अल्बानिया, मलेशिया, कतर, सूडान, बांग्लादेश, मिस्र, गाजा, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, सीरिया, तजाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, सोमालिया और यमन आदि शामिल हैं।


अगर इन उदाहरणों से भी बात आपकी समझ में नहीं आई है तो कुछ और उदाहरणों को देखना चाहिए। जैसे कि दुर्योधन का ननिहाल गंधार अब अफगानिस्तान कहलाता है। भरत जी का ननिहाल कैकेय अब पाकिस्तान कहलाता है। ईस्ट बंगाल अब बांग्लादेश कहलाता है। वेस्ट पंजाब अब पाकिस्तान का हिस्सा है। आगे चल कर भारत को और कोई दिक्कत पेश नहीं आये इसलिए अभी से सख्त कदम उठाना जरूरी है। लेकिन सवाल उठता है कि हमारे सभी जनप्रतिनिधि कब देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान देंगे। देखा जाये तो आज वास्तविक समस्या महंगाई या बेरोजगारी नहीं बल्कि जनसंख्या का बिगड़ता अनुपात है। आंकड़े बताते हैं कि भारत के 9 राज्यों अर्थात 25% राज्यों की डेमोग्राफी बदल चुकी है। इसको थोड़ा और विस्तार से देखेंगे तो भारत के 200 ज़िलों अर्थात 25% जिलों की डेमोग्राफी बदल चुकी है। इसको और थोड़ा विस्तार से देखेंगे तो पाएंगे कि भारत की 1500 तहसीलों अर्थात 25% तहसीलों की डेमोग्राफी बदल चुकी है। यही नहीं, सीमाई इलाकों की 300 तहसीलों अर्थात 100% तहसीलों की डेमोग्राफी बदल चुकी है। साथ ही देश में ऐसा कोई जिला नहीं बचा है जहां घुसपैठ, धर्मांतरण और जनसंख्या विस्फोट नहीं हो रहा है।


बहरहाल, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में बताया है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना सदमे में हैं। देखा जाये तो सदमा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि अचानक से उन्हें सत्ता और देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। भारत में कभी ऐसी स्थिति नहीं आये इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना अनिवार्य है। साथ ही घुसपैठ और धर्मांतरण पर पूर्ण नियंत्रण लगाना होगा और यह काम वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित हुए बिना करना होगा। हमारे देश में सभी राजनेता संविधान की दुहाई देते हैं लेकिन भारत में संविधान का राज सदैव कायम रहे इसके लिए अभी से सतर्क होने और देश में कानूनों को कड़ा करने की जरूरत है।


-नीरज कुमार दुबे

प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi कुवैती नेतृत्व के साथ वार्ता की, कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई

Shubhra Ranjan IAS Study पर CCPA ने लगाया 2 लाख का जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने है आरोप

मुंबई कॉन्सर्ट में विक्की कौशल Karan Aujla की तारीफों के पुल बांध दिए, भावुक हुए औजला

गाजा में इजरायली हमलों में 20 लोगों की मौत