By मृत्युंजय दीक्षित | May 24, 2022
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की वापसी के बाद पहले बजट सत्र से पूर्व नये विधायकों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण पिछले सभी सत्रों से अलग, ऐतिहासिक और उपलब्धियों भरा रहा।
उप्र की विधानसभा अब पूरी तरह से ई-विधान वाली हो गयी है यानि कि अब विधानसभा सत्र की सम्पूर्ण कार्यवाही टैबलेट पर ही होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वन नेशन वन एप्लीकेशन” के भाव के साथ प्रदेश की विधानसभा में ई-विधान प्रणाली लागू हो गयी है। यह प्रदेश की विधानसभा के लिए एक ऐतिहासिक महत्व का विषय है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अब पूरी तरह से पेपरलैस हो गयी है। सदन की सारी कार्यवाही टैबलेट पर ही देखी जा सकेगी। विधायकगण प्रश्नोत्तर सहित अपने सभी काम टैब से ही करेंगे।
जब ई-विधान प्रणाली का उद्घाटन हो रहा था उस समय उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता अखिलेश यादव हैरान रह गये क्योंकि वह चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कम्प्यूटर ज्ञान पर तरह-तरह के आरोप लगाते रहते थे और कहा करते थे कि योगी जी को कम्प्यूटर चलाना ही नहीं आता तो वह छात्रों व युवाओं को लैपटाप और टैबलेट दे ही नहीं सकते लेकिन ई-विधान के लागू होने के बाद उनका झूठ स्वतः ही बेनकाब हो गया है।
विधायकों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन सत्र को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सहित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित तथ वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भी संबोधित किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून बनाते समय जहां जनता से संवाद होना जरूरी होता है जबकि सदन में तख्तियां दिखाने और नारेबाजी करने से सदस्यों की प्रतिष्ठा गिरती है। अन्य वक्ताओं ने भी विधायकों की पाठशाला में संसदीय ज्ञान दिया और कहा कि आप सभी की विनम्र छवि से ही अच्छी छवि बनेगी।
सभी भाषणों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण सर्वाधिक चर्चा में रहे क्योंकि एक ओर उन्होंने तकनीक की बात करी और दूसरी ओर जनमत से जुड़ाव की। उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि सदस्य तकनीक से भागें नहीं, उसे अंगीकार करें पर पिछलग्गू भी न बनें। उनका कहना है कि तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ क्षेत्र में खुद जायें और वहां जनता से संवाद करना कतई न भूलें। नहीं तो जनता चुनाव के समय कहेगी कि वोट भी वर्चुअली ले लेना। समस्याओं के समाधान में तकनीक का इस्तेमाल कर सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी सरकार व भाजपा की छवि के लिए बेहद सतर्क हैं और वह लगातार इस पर काम भी कर रहे हैं। वह अपने विधायकों व मंत्रियों से कह चुके हैं कि सरकार के किसी भी प्रकार के कामकाज पर आपके परिवार के सदस्यों व आपके मित्रों का किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा। उनका यह भी कहना है कि अब प्रदेश के मंत्री व विधायक जिलों के दौरों के दौरान होटलों में नहीं ठहरेंगे। प्रदेश में अभी तक जितनी भी सरकारें आयी व मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने अभी तक कभी भी कहीं भी ऐसी बातें अपने विधायकों और सांसदों के लिए नहीं कही हैं। यह अभूतपूर्व प्रयास है प्रदेश में स्वच्छ राजनीति के लिए।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में रामराज्य की वास्तविक स्थापना के लिए संकल्पवान हैं और उसके लिए कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं। यह बात बिल्कुल सही भी है कि जब प्रदेश में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है और प्रदेश में गति शक्ति की योजना के तहत कई विकास कार्य भी चल रहे हैं उस समय प्रदेश के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों का जनमानस के बीच आचरण भी एक मर्यादा के दायरे में होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट की बैठकों में भी मंत्रियों व विधायकों को पहले भी कड़े दिशा-निर्देश दे रखे हैं जिनका वृहद रूप प्रबोधन कार्यक्रम में दिखाई दिया। मुख्यमंत्री ने अपने विधायकों से साफ कहा कि व्यक्ति की शालीनता और धैर्य उसे आगे बढ़ाते हैं, वहीं उसका उतावलापन, उद्दंडता, ठेके-पट्टे व ट्रांसफर-पोस्टिंग से अनुराग और हर एक मामले में हस्तक्षेप करने की आदत उसे नीचे लुढ़का देती है। मुख्यमंत्री ने विधायकों को जातिवादी मानसिकता से ऊपर उठकर जनसमस्याओं का निराकरण करने का भी मंत्र दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार अपने संबोधन में विधायकों से ठेके–पट्टे, ट्रांसफर-पोस्टिंग, उद्दंडता और उतावलेपन से दूर रहने का संदेश दिया है उससे यह साफ हो गया है कि वह प्रदेश में भाई–भतीजावाद और राजनैतिक भ्रष्टाचार को किसी भी प्रकार से सहन नहीं करेंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब अपनी सरकार की छवि के साथ ही साथ अपनी पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों की छवि के लिए भी सतर्क हो गये हैं। वजह साफ है क्योंकि एक भी विधायक या कार्यकर्ता का जरा-सा भी गलत काम सरकार की छवि को छिन्न-भिन्न कर देता है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्नाव का कुलदीप सिंह सेंगर रेप कांड अभी तक भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। मुख्यमंत्री अब इन सभी चीजों के लिए पहले से भी अधिक सतर्क और कठोर हो गये हैं।
प्रबोधन कार्यक्रम में सभी दिग्गज वक्ताओं ने विधायकों को ईमानदारी भरे जीवन का मूल मंत्र दिया है। यदि कोई जनप्रतिनिधि गलत व अनैतिक काम करता है तो उसकी छवि पर जो दाग लग जाता है वह फिर कभी छूटता नहीं है। देश व विभिन्न राज्यों की राजनीति में ऐसे दाग देखे जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश बीजेपी भी उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर के अनैतिक काम के बोझ से दबी जा रही थी लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के कड़े रुख के चलते आज वह सजा का पात्र बन चुका है।
यह बात बिल्कुल सही है कि अभी तक प्रदेश में जितनी भी सरकारें बनीं उन सभी सरकारों में भाई-भतीजावाद, जातिवाद, तुष्टिकरण और दबंगई का बोलबाला था। जनमानस में एक आम धारणा बना दी गयी थी कि ''अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता।'' लेकिन अब प्रदेश में बदलाव की बयार दिखाई पड़ रही है। चाहे सरकारी अफसर हों या विधायक जो भी दोषी पाया जा रहा है उसके खिलाफ स्पष्ट रूप से कड़ी कार्यवाही की जा रही है।
अपने संबोधन के माध्यम से मुख्यमंत्री ने अपने विधायकों को साफ संदेश दे दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात 'न खायेंगे और न किसी को खाने देंगे' को अक्षरश: लागू करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री की कार्यशैली से यह भी स्पष्ट हो गया हे कि वह न ही आराम करेंगे और न ही किसी को करने देंगे। मुख्यमंत्री ने प्रदेश को हर प्रकार से उत्तम प्रदेश बनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने अपने सभी मंत्रियों व विधायकों से अपने विषयों पर पूर्ण रूप से अपडेट रहने को भी कहा है ताकि सदन के अंदर प्रदेश का विपक्ष और बाहर विकास कार्यों के दौरान अफसर लोग उन्हें उलझा न सकें।
संक्षेप में कहा जाए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में रामराज्य की स्थापना के लिए संकल्पवान हैं और यही कारण है कि आज उनकी सरकार की ओर से जो भी कदम उठाये जा रहे हैं वह सभी कदम व कानून समान रूप से सभी लोगों पर लागू हो रहे हैं। अपराध व भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति लगातार प्रगति पर है। अगर प्रदेश में बीजेपी के सभी जनप्रतिनिधि अपने मुख्यमंत्री की बातों को आत्मसात कर जनमानस के बीच आचरण करते हैं तो प्रदेश में रामराज्य की स्थापना अवश्य होगी और प्रदेश की छवि में सकारात्मक बदलाव आयेगा।
अंत में एक बात और जब उप्र में ई-विधान की प्रणाली पूरी तरह से लागू हो गयी तब यह कहा जा रहा था कि अब विधायक सदन में हंगामा व मारपीट कैसे करेंगे तथा विधानसभा अध्यक्ष के आसन के सामने कागज कैसे फेकेंगे, समाजवादी विधायकों ने उसका तोड़ भी निकाल लिया है। नयी सरकार के प्रथम बजट सत्र के पहले दिन ही यह माननीय सदस्यगण लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के संदेश को भूल गये। राज्यपाल के अभिभाषण के अवसर पर तख्तियां व बैनर लेकर सदन में भारी हंगामा किया और विपक्ष की प्रतिष्ठा ही दांव पर लगा दी।
-मृत्युंजय दीक्षित