भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते अनाथ हुए बच्चोंं के लिए कोविड-19 बाल कल्याण योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत मार्च 2021 के बाद बेसहारा हुए बच्चों के भरण पोषण का जिम्मा सरकार उठाएगी। शिवराज सरकार के इस निर्णय पर पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सवाल उठाया है। उन्होंने इस योजना को न्यायसंगत नहीं बताते हुए कोरोना की पहली लहर में अनाथ हुए बच्चों के लिए भी सरकार से उचित निर्णय लेने की मांग की है।
कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि ‘मै पहले दिन से ही कह रहा हूँ कि इस कोरोना महामारी में शिवराज सरकार द्वारा पीडि़तों की मदद के नाम पर घोषित सारी योजनाएँ सिर्फ़ कागजी व दिखावटी है, इसमें कई विसंगतियाँ है, जिसके कारण इसका लाभ वास्तविक जरूरतमंदो को नहीं मिले पायेगा और सरकार भी यही चाहती है।पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना से मृत व्यक्तियों का सरकारी आँकड़ा पहले ही काफ़ी कम है, जबकि प्रदेश में हजारों लोगों की मौत कोविड से हुई है? अब तो मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण नहीं लिखने का आदेश भी जारी हो गया है, अस्पताल पहले से ही नहीं लिख रहे है और अब सरकार ने भी मना कर दिया है? सरकार चाहती ही नहीं है कि कोरोना से हुई मौतों का सरकारी आँकड़ा बढ़े ताकि उन्हें अनुग्रह राशि देना ही ना पड़े? कोविड जनित बीमारियों से मृत्यु को पहले से ही इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। कमलनाथ ने कहा कि वही मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना में भी मार्च-2021 के बाद के ही बेसहारा बच्चे पात्र? कोरोना की पहली लहर में अनाथ हुए बच्चों का क्या दोष? जिनके माता- पिता दोनो का साया सर से ना उठा हो, वो योजना के लिये पात्र ही नहीं? कैसी विसंगतियाँ डाल कर योजनाएँ बनायी गयी है। यदि शिवराज सरकार को बेसहारा बच्चों की वास्तव में चिंता है तो मार्च- 20 से इस योजना को लागू करे और इसकी व सारी योजनाओं की तमाम विसंगतियाँ दूर करे।