स्फूर्ति योजना क्या है, इस योजना का ऑनलाइन आवेदन कैसे किया जा सकता है, इस योजना के लाभ व उद्देश्य क्या हैं, इस योजना के तहत किसको और कितनी वित्तीय मदद मिलेगी, इस योजना का स्कोप क्या है, यह जानने-समझने की जिज्ञासा आज हर किसी के दिल में है। क्योंकि केंद्र सरकार ने इसी योजना के सहारे पारंपरिक उद्योगों में आ रही गिरावट को थामने व उसमें फिर से नई जान फूंकने का बीड़ा उठाया है। जिसके चलते यह योजना दिनोंदिन लोकप्रियता के शिखर को छू रही है। आलम यह है कि गांव से महानगरों तक में कोई भी ऐसा व्यक्ति या समूह नहीं है, जो इसके लाभों को हासिल करने के लिए उत्सुक नहीं हो।
कहना न होगा कि समय के साथ पारंपरिक उद्योगों में गिरावट आती जा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सन 2005 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह की सरकार ने स्फूर्ति योजना आरंभ की थी, जो समय के साथ परवान नहीं चढ़ सकी। लेकिन जब इसी योजना को पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019 में अपने बजट प्रस्तावों में कुछ नए तेवर व कलेवर के साथ प्रस्तुत किया, तो उद्यमियों ने इसे हाथों हाथ लिया और आज घर घर इस योजना की चर्चा होने लगी है।
उस चर्चा के महज दो वर्ष के भीतर ही एसएफयूआरटीआई यानी स्फूर्ति योजना 2021 क्या है? इसका उद्देश्य क्या है? इससे क्या लाभ है? इसकी विशेषताएं क्या है? इसकी पात्रता क्या है? इसके लिए कौन कौन से महत्वपूर्ण दस्तावेज की जरूरत है? इसकी आवेदन प्रक्रिया क्या है? इस योजना का वित्तीय लाभ किसे, कितना और कब मिलेगा, आदि से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी लोग प्राप्त करना चाहते हैं, ताकि वे इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले फंड का सदुपयोग कर सकें।
# पारंपरिक उद्योगों के लिए बरदान साबित होगी यह योजना
यही वजह है कि इस जनप्रिय योजना के अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया आदि के बारे में भी सबको सही और सटीक जानकारी मिल सके, यही हमारा उद्देश्य है। बेशक, भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा स्फूर्ति योजना आरंभ की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक ढंग से काम कर रहे उद्योगों का विकास करना है। इस योजना के अन्तर्गत इन पारंपरिक उद्योगों में लगे कारीगरों का कौशल विकास किया जाएगा। इसी के साथ इस योजना के अंतर्गत विभिन्न उपेक्षित उद्योगों को फंडिंग भी प्रदान की जाएगी।
इस योजना के तहत बांस, खादी और शहद जैसे ग्रामीण एमएसएमई उद्योग से जुड़े कारीगरों की क्षमता का विकास किया जाएगा। इस योजना को पारंपरिक ढंग से काम कर रहे उद्योगों में तेजी लाने के लिए आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत कारीगरों को ट्रेनिंग प्रदान करने के साथ-साथ कारीगर एक्सचेंज भी किए जाएंगे, जिससे कि कारीगर दूसरे उद्योगों से संबंधित काम भी सीख सकें। कारीगर एक्सचेंज होने से कारीगरों की क्षमता भी बढ़ेगी।
# इस योजना में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसे फूंकी जान
यूं तो स्फूर्ति योजना वर्ष 2005 में आरंभ की गई थी। लेकिन यह योजना 2019 के बजट सत्र में कुछ खास घोषणाएं होने की वजह से दोबारा से चर्चा में आईं है। गौरतलब है कि 5 जुलाई 2019 को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट के भाषण में स्फूर्ति योजना पर जोर देने की घोषणा की थी। इस घोषणा में वित्त मंत्री द्वारा यह बताया गया था कि वर्ष 2019 में 100 नए क्लस्टर बनाए जाएंगे जिससे कि करीब 50,000 हस्त कारीगरों को रोजगार मिलेगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्फूर्ति योजना भारत सरकार ने लांच की है, जिसके लाभार्थी भारत के नागरिक होंगे। इसका उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों का विकास करना है। इसकी आधिकारिक वेबसाइट भी है। उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन इसके लिए आवश्यक है।
# स्फूर्ति योजना 2021 के लाभार्थी कारीगर
कतिपय क्लस्टर विशिष्ट निजी क्षेत्र हैं, जो पंचायती राज संस्थान, गैर सरकारी संगठन, केंद्र और राज्य सरकारों के अर्ध सरकारी संस्थान, राज्य और केंद्र सरकारों के फील्ड अधिकारी, कॉरपोरेट्स एंड कॉर्पोरेट रिस्पांसिबिलिटी फाउंडेशन, उद्यम संघ, स्वयं सहायता समूह, उद्यमों के नेटवर्क, सहकारी संघ, शिल्पकार संघ, निजी व्यवसाय विकास सेवा प्रदाता, संस्थागत विकास सेवा प्रदाता, उद्यमी, कच्चे माला प्रदाता, मशीनरी निर्माता, श्रमिक आदि संगठनों अथवा इकाइयों के सहयोग से निर्दिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
# स्फूर्ति योजना अंतर्गत किसको मिलेगा कितना फंड
जहां हेरिटेज क्लस्टर यानी पुराने उद्योग समूह के 1000 से 2500 कारीगर के लिए 8 करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता का प्रावधान है। वहीं, प्रमुख क्लस्टर के 500-1000 कारीगर के लिए तीन करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजना है। जबकि, मिनी क्लस्टर के 500 कारीगर हेतु 1 करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता प्रदान करने का इरादा है। वहीं, खास बात यह कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र, जम्मू, कश्मीर व लद्दाख तथा पहाड़ी राज्यों के लिए प्रति क्लस्टर कारीगरों की संख्या 50 प्रतिशत कम है।
# केंद्र सरकार ने पारंपरिक उद्योगों के 5,000 क्लस्टर्स बनाने का रखा लक्ष्य
पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए समुचित धनराशि देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से स्फूर्ति योजना चलाई जा रही है, जिसके जरिए पारंपरिक शिल्पकारों के लिए क्लस्टर बनाने के संबंध में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने स्फूर्ति योजना के तहत दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन पिछले दिनों ही किया।
दरअसल, इस कार्यशाला का पहला उद्देश्य है हितधारकों को समयबद्ध तरीके से क्लस्टर्स बनाने की योजना तैयार करने के संबंध में प्रशिक्षित करना है ताकि सरकार के प्रयासों का लाभ जल्दी-से-जल्दी लाभार्थियों को मिल सके। दूसरा, उनकी उत्पादन गुणवत्ता बढ़ सके और उनकी आय में इजाफा हो। तीसरा, स्फूर्ति योजना से संबद्ध करीब 400 संगठन इस दो दिन की कार्यशाला में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अथवा स्वयं उपस्थित होकर भाग लिए। चतुर्थ, इस कार्यशाला में स्फूर्ति क्लस्टर्स के सफलतापूर्वक लागू किए जाने के संबंध में कुछ केस स्टडीज पर भी चर्चा हुई, जो बेहद सफल रही।
# स्फूर्ति के तहत 5,000 क्लस्टर्स बनाने का लक्ष्य
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने स्फूर्ति के तहत 5,000 क्लस्टर्स बनाने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को डिजिटलाइज किया जाए तथा समयबद्ध, नतीजा देने वाली, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जाए। उन्होंने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पादन में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि एमएसएमई क्षेत्र ने अब तक देश में 11 करोड़ लोगों को नौकरियां प्रदान की हैं।
# हर जिले में खादी ग्रामोद्योग और ग्रामीण उद्योगों की एक शाखा है जरूरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात पर जोर दिया है कि हर जिले में खादी ग्रामोद्योग और ग्रामीण उद्योगों की एक न एक शाखा जरूर होनी चाहिए। इसके साथ ही इनका कारोबार मौजूदा 88,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये तक ले जाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का आकलन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि उन्होंने कितने रोजगार अवसर पैदा किए और कितने लोगों के जीवनस्तर में सुधार किया।
# स्फूर्ति योजना के तहत 394 क्लस्टर्स को मंजूरी
बता दें कि अब तक स्फूर्ति योजना के तहत 394 क्लस्टर्स को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 93 कामकाज कर रहे हैं। फिलवक्त भारत सरकार अपनी 970.28 करोड़ रुपये की सहायता से 2.34 लाख लाभार्थियों को मदद प्रदान कर रही है। इस योजना के तहत जिन क्षेत्रों में काम किया जाता है, उनमें हस्तशिल्प, हथकरघा, खादी, वस्त्र, कॉयर (नारियल का रेशा), बांस, कृषि प्रसंस्करण, शहद आदि शामिल हैं।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार