कितना महत्वपूर्ण है SSL, यानी सिक्योर सॉकेट्स लेयर, जानें इसके बारे में सब कुछ

By मिथिलेश कुमार सिंह | Jun 08, 2020

जब भी आप किसी वेबसाइट पर विजिट करते होंगे, तो सबसे ऊपर जहां वेबसाइट का एड्रेस लिखा होता है, वहां अगर आप ध्यान दीजिएगा, तो वहां आई लिखकर सिंबल आता है जिस पर कर्सर ले जाने पर सामान्य तौर पर नॉट सिक्योर लिखा हुआ दिखाई देता है, तो वहीं कुछ वेबसाइट्स में आई की जगह एक लॉक का सिंबल बना होता है, जिस पर क्लिक करने पर आपको सिक्योर वेबसाइट लिखा दिखाई देता है।


यह लॉक ही SSL है, यानी सिक्योर सॉकेट्स लेयर!


इसका सीधा मतलब यह समझें कि जब भी आप किसी वेबसाइट पर कोई इनफॉरमेशन डालते हैं, तो अगर वेबसाइट सिक्योर नहीं है तो आपकी इंफॉर्मेशन के चोरी होने का या बदले जाने का खतरा रहता है। वहीं अगर वह सिक्योर है तो आपका डाटा इंक्रिप्टेड फॉर्म में सर्वर तक जाता है और आता है।


साधारणतया उसे हैकर, हैक नहीं कर सकते!


वर्तमान में न केवल शॉपिंग वेबसाइट्स, बल्कि तमाम दूसरी वेबसाइटें भी इस सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने लगी हैं और इससे उनकी क्रेडिबिलिटी बढ़ती ही है।


आप सोचते होंगे कि हैकर, आखिर इंफॉर्मेशन कैसे हैक कर लेते हैं?

 

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आइए इसके बारे में और डिटेल में जानते हैं...


जब भी किसी वेबसाइट पर हम कोई डाटा डालते हैं, जैसे ईमेल, पासवर्ड या फिर अपने क्रेडिट कार्ड की डिटेल, तो अगर वह वेबसाइट सिक्योर नहीं है तो जैसे ही हम इंफॉर्मेशन डालते हैं, उसी फॉर्मेट में वह इन्टरनेट पर ट्रेवल करती है। ऐसे में आसानी से हैकर कोड लिखकर वह इंफॉर्मेशन उड़ा सकते हैं और ऐसा अनगिनत लोगों के साथ हुआ भी है!


वहीं जब किसी वेबसाइट में SSL यूज होता है, तो जैसे ही आप कोई डाटा डालते हैं, सर्वर पर वह इंक्रिप्टेड फॉर्म में जाता है। मतलब वह डाटा किसी को दिखेगा तो भी उसे क्रैक नहीं किया जा सकेगा।


ऊपर बताई गई पहचान के अलावा, अगर आप किसी यूआरएल को एचटीटीपी (http) लगाकर खोलते हैं तो वह अन सिक्योर होता है, और अगर इसमें एस (S) लग जाता है यानी एचटीटीपीएस (https) तो यह मान लें कि यह सिक्योर्ड है।


एसएसएल को टीएलएस (TLS) यानी ट्रांसपोर्ट लेयर सिक्योरिटी प्रोटोकोल भी कहते हैं और यह न केवल वेबसाइट में, बल्कि ईमेल इत्यादि में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है।


बेसिकली इन्टरनेट ब्राउज़र में डाली गई रिक्वेस्ट के साथ सेफ कम्युनिकेशन बहुत आवश्यक है और कई एक्सपर्ट इस पर जोर भी देते हैं। जब भी आप सर्वर पर कोई इंफॉर्मेशन डालते हैं, तो सर्वर रिएक्ट करता है, फिर आपको आपकी रिक्वेस्ट के आधार पर इंफॉर्मेशन प्रोवाइड करता है और इस तरीके से आप अपना कार्य संपादित करते हैं।


ऐसे में यह कनेक्शन सिक्योर होना बेहद आवश्यक है।


SSL भी कई तरह के होते हैं, जैसे वाइल्डकार्ड एसएसएल सर्टिफिकेट (Wildcard SSL Certificate) जिसमें ना केवल आपके मुख्य डोमेन बल्कि दूसरे सब डोमेन्स को भी सिक्योरिटी मिलती है और एक तरह से ऑर्गेनाइजेशनल वैलिडेशन, आपका डोमेन प्राप्त करता है।


इसी प्रकार एक Multi-domain एसएसएल सर्टिफिकेट होता है, जहां पर आप 200 से अधिक डोमेन को सुरक्षित रख सकते हैं। डोमेन वैलिडेटेड SSL भी काफी प्रचलित है, जिसे कई वेबसाइट इत्यादि इस्तेमाल में लाते हैं। हालाँकि, यह थोड़ा कम सुरक्षा वाला डोमेन वैलिडेटेड एसएसएल होता है। 


तीसरी कैटेगरी ईवी एसएसएल (EV SSL) सर्टिफिकेट होता है जो न केवल सिक्योर कनेक्शन प्राप्त करता है, बल्कि यह एड्रेस बार के पूरे एरिया को ग्रीन कर देता है और उस पर क्लिक करने पर सम्बंधित कंपनी के बिजनेस की इनफॉरमेशन भी आपको दिख जाती है।


अगर आप गूगल, माइक्रोसॉफ्ट या एप्पल जैसी बड़ी वेबसाइट को ब्राउज़र में खोलेंगे, तो वहां साइड में क्लिक करने पर आपको इसके बारे में जानकारी में मिल जाएगी।


इसके बाद आर्गेनाइजेशन वैलिडेशन एसएसएल होता है, तो ऐसे ही कोड साइनिंग सर्टिफिकेट और एसएसएल सर्टिफिकेट तमाम कंपनियां इस्तेमाल करती हैं।

 

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सामान्य तौर पर जब भी आप कोई वेबसाइट बनाना चाहते हैं तो डोमेन और होस्टिंग आपको परचेज करनी पड़ती है। वही कंपनी आपको एसएसएल सर्टिफिकेट भी प्रोवाइड करती है। इसके लिए वह अलग से भी चार्ज करती है, तो कई कंपनियां अपनी होस्टिंग के साथ इसे मुफ्त भी देती हैं।


टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर आप कोई वेबसाइट बनाना चाहते हैं तो इसे अवश्य इस्तेमाल करें, लेकिन इससे भी ज्यादा आवश्यक है कि अगर आप किसी भी प्रकार की संवेदनशील सूचना इंटरनेट पर साझा करना चाहते हैं तो आपको SSL का आइकन अवश्य देखना चाहिए और अनसिक्योर्ड वेबसाइट्स पर किसी हाल में कोई ट्रांजैक्शन नहीं करना चाहिए।


- मिथिलेश कुमार सिंह

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