By अभिनय आकाश | Jul 20, 2021
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने एक बार कहा था कि अंतरिक्ष यान और ओलंपिक स्वर्ण पदक ही किसी देश की प्रतिष्ठा का प्रतीक होते है। स्पोर्ट्स यानी खेल-कूद की जब भी बात होती है ओलंपिक का जिक्र जरूर आता है। आए भी क्यों न यही तो वो आयोजन है जिसमें हर योग्य व्यक्ति को खुद को साबित करने का मौका मिलता है। दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन ओलंपिक का इतिहास बेहद लंबा और समृद्ध है। प्राचीन काल के बाद अलग-अलग करके देखें तो पहले मॉर्डन ओलंपिक का आयोजन 1896 में हुआ था। इसके बाद से हर चार साल में एक बार ओलंपिक गेम्स होते हैं। कई मौके ऐसे भी आए जब इन गेम्स का आयोजन नहीं हो पाया। जैसे कि हालिया 2020 में कोरोना महामारी के संकंट वाले दौर में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक को एक साल आगे खिसकाना पड़ा था। कोरोना वायरस से फैली महामारी के चलते इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी यानी आईओसी ने होस्ट देशों के साथ मिलकर ये निर्णय लिया। चलते इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी यानी वो संस्था जो ओलंपिक गेम्स से जुड़े सारे फैसले करती है।
कैसे हुई ओलंपिक की शुरुआत
प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे.इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे। प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था। हालांकि ओलंपिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ। इसके बाद रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया। हालांकि मध्यकाल में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं। लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका। प्राचीन काल में यह ग्रीस यानी यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में आयोजित किया गया था। ओलंपिया पर्वत पर खेले जाने के कारण इसका नाम ओलम्पिक पड़ा। ओलम्पिक में राज्यों और शहरों के खिलाड़ी भाग लेते थे। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओलम्पिक खेलों के दौरान शहरों और राज्यों के बीच लड़ाई तक स्थगित कर दिए जाते थे। इस खेलों में लड़ाई और घुड़सवारी काफी लोकप्रिय खेल थे। लेकिन उसके बाद भी सालों तक ओलम्पिक आंदोलन का स्वरूप नहीं ले पाया। तमाम सुविधाओं की कमी, आयोजन की मेजबानी की समस्या और खिलाड़ियों की कम भागीदारी-इन सभी समस्याओं के बावजूद धीरे-धीरे ओलम्पिक अपने मक़सद में क़ामयाब होता गया। 19वीं शताब्दी में यूरोप में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया। इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरूष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है। 1904 के सेंट लुई ओलंपिक के बाद अमरीकी खिलाड़ियों का दबदबा ट्रैक एंड फ़ील्ड मुक़ाबलों में बढ़ता गया। शुरुआत में तो ट्रैक एंड फ़ील्ड मुक़ाबलों में सिर्फ़ अमरीकी खिलाड़ी ही भाग लेते थे। लंदन में पहली बार 1908 में ओलंपिक आयोजित हुए। पहली बार खिलाड़ियों ने अपने देश के झंडे के साथ स्टेडियम में मार्च पास्ट किया। लेकिन इसी ओलंपिक में अमरीकी खिलाड़ियों ने जजों पर आरोप लगाया कि वे अपने देश का पक्ष ले रहे हैं। 1912 में स्टॉकहोम में ओलंपिक हुए और फिर विश्व युद्ध की छाया भी इन खेलों पर पड़ी। विश्व युद्ध के बाद एंटवर्प ओलंपिक 1920 में आयोजित हुआ। 1950 के दशक में सोवियत-अमेरिका प्रतिस्पर्धा के खेल के मैदान में आने के साथ ही ओलंपिक की ख्याति चरम पर पहुंच गई. इसके बाद तो खेल कभी भी राजनीति से अलग नहीं हुआ।
अमेरिका और रूस की प्रतिस्पर्धा के कारण पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ ओलंपिक
1950 के दशक के दौरान अमेरिका और रूस की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण ओलम्पिक पूरी दुनिया मे लोकप्रिय हो गए थे। ओलंपिक खेल हर एक देश के लिए श्रेष्ठता साबित करने का जरिया बन गया। साल 1980 में अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों ने ओलंपिक का बहिष्कार किया था और 1984 में रूस ने इन खेलों में भाग नही लिया था। साल 1988 के सियोल ओलंपिक में सोवियत संघ ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित की। उसने 132 पदक जीते। इसमें 55 स्वर्ण थे। अमेरिका को 34 स्वर्ण सहित 94 पदक मिले थे।अमेरिका पूर्वी जर्मनी के बाद तीसरे स्थान पर रहा। वर्ष 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भी सोवियत संघ ने अपना वर्चस्व कायम रखा। हालांकि उस वक्त तक सोवियत संघ का विघटन हो चुका था. एक संयुक्त टीम ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था। इसके बावजूद उसने 112 पदक जीते। इसमें 45 स्वर्ण थे। अमेरिका को 37 स्वर्ण के साथ 108 पदक मिले थे। साल 1996 के अटलांटा और 2000 के सिडनी ओलंपिक में रूस (सोवियत संघ के विभाजन के बाद का नाम) गैर अधिकारिक अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा. 2004 के एथेंस ओलंपिक में उसे तीसरा स्थान मिला।
अब तक का सबसे अच्छा ओलंपिक आयोजन
2008 में चीन की राजधानी बीजिंग ओलम्पिक में अब तक का सबसे अच्छा आयोजन माना गया है। पंद्रह दिन तक चले ओलम्पिक खेलों के दौरान चीन ने ना सिर्फ़ अपनी शानदार मेज़बानी से लोगों का दिल जीता बल्कि सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीत कर भी इतिहास रचा। भारत ने भी ओलम्पिक के इतिहास में पहली स्वर्ण पदक जीता और उसे पहली बार एक साथ तीन पदक भी मिले। विश्व के प्राचीनतम अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह ओलम्पिक का आयोजन 2016 का ब्राजील के शहर रिओ डी जेनेरियो में 5 अगस्त से 21 तक चला ! । इस बार के रिओ डी जेनेरियो ओलम्पिक में 26 खेलों में 204 देशों के लगभग 10500 खिलाड़ीयों ने भाग लीया था। इस बार भारत ने ओलम्पिक में रजत, कांस्य पदक जीता था।
क्या है ओलंपिक के पांच छल्लों का महत्व
ओलंपिक खेलों में अक्सर आपने 5 छल्ले जरूर देखें होंगे और आपने यह सोचा होगा कि उनका मतलब क्या होता है। बता दें कि ये जो 5 रिंग होते हैं यह ओलंपिक खेलों के चिन्ह होते हैं और यह पांच रिंग दुनिया के पांच मुख्य महाद्वीपों को दर्शाते हैं। एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या ओसिनिया, यूरोप और अफ्रीका यह पांच मुख्य महाद्वीप होते हैं जो ओलंपिक खेलों में इन पांच रिंग के माध्यम से दिखाए जाते हैं। ओलंपिक के इन पांच रिंग का डिजाइन साल 1912 में किया था और सार्वजानिक रूप से इसे 1913 में स्वीकार कराया था।
ओलंपिक की मशाल फ्लेम और पदक
ओलंपिक में मशाल प्रज्वलित करने की परंपरा की शुरुआत 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में हुई थी। ओलंपिक में विजेता खिलाड़ियों को तीन तरह के पदक दिए जाते है। पहले स्थान पर आने वाले खिलाड़ी को स्वर्ण पदक दिया जाता है। दूसरे स्थान पर रजत पदक और तीसरे स्थान पर कांस्य पदक दिया जाता है। स्वर्ण पदक 6 ग्राम सोने से बना 60 मिलीमीटर परिधि और 3 मिलीमीटर मोटाई का पदक होता है जबकि रजत पदक चांदी का बना पदक होता है। कांस्य पदक कांसे का बना पदक होता है।
ओलंपिक खेलों में भारत का इतिहास
भारत ने वर्ष 1900 के पेरिस ओलम्पिक प्रतियोगिता में भाग लिया था, तब नॉर्मन पिट्चर्ड ने भारत की तरफ से दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया था और 2 रजत पदक जीते थे। साल 1928 के अम्सडर्मन ओलम्पिक में भारत ने हॉकी खेल में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था। 1932, 1936 , 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 के ओलंपिक में भारत ने हॉकी के खेल में स्वर्ण पदक जीते। 1960 के रोम ओलम्पिक में भारत ने रजत पदक हॉकी में अपने नाम किया था और 1968, 1972 के ओलंपिक में कांस्य पदक भारत ने जीते थे। भारत ने हॉकी में अब तक 8 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य पदक जीते है। व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला पदक 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में जीत था। केडी जाधव ने कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था। 1996 के अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीता था।
ओलंपिक से जुड़ी खास बातें
अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) इस वक्त देश की सबसे ताकतवर खेल संस्था है।
इसके सदस्य देशों की संख्या 205 हैं।
पूरी दुनिया में सिर्फ पांच देश ऐसे हैं, जिन्होंने हर ओलंपिक में भाग लिया है।
इनमें ग्रीस, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और स्विजरलैंड हैं।
साल 1948 से हर साल 23 जून को इंटरनेशनल ओलंपिक डे मनाया जाता है।
ओलंपिक के इतिहास में अमेरिका ने सबसे ज्यादा मेडल जीते हैं और 1022 स्वर्ण पदक अमेरिका के नाम हैं।
दूसरे नंबर पर सोवियत यूनियन है जिसने 440 स्वर्ण पदक जीते हैं।
टोक्य़ो ओलंपिक
जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों का आयोजन 23 जुलाई से आठ अगस्त तक होना है। इन खेलों का आयोजन पिछले साल होना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण ओलंपिक खेलों के लिए एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था। हालांकि, 2021 में होने जा रहे इन खेलों को टोक्यो 2020 यानी ओलंपिक खेल 2020 का नाम मिला है।
इस बार के टोक्यो ओलंपिक में क्या है ख़ास?
ओलंपिक में इस बार 33 खेलों में 339 मेडल के लिए मुक़ाबले होंगे।
जापान पहले भी तीन बार ओलंपिक का आयोजिन 1964, 1972 और 1988 में कर चुका है।
टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों के शुभंकर को 'मिराइतोवा' और 'सोमाइटी' नाम दिया गया है।
इसे ख़ास जापानी इंडिगो ब्लू रंग का पैटर्न दिया गया है।
इस बार 5 नए खेल ओलंपिक में जोड़े गए हैं- सर्फ़िंग, स्केटबोर्डिंग, स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग, कराटे और बेसबॉल।
भारत टोक्यो ओलंपिक 2021 में 18 खेलों में भाग लेने के लिए 120 खिलाड़ियों को भेजेगा।