क्या है कश्मीर की नई डोमिसाइल नीति, एक माह में 4 लाख लोगों को मिला सर्टिफिकेट

By अभिनय आकाश | Aug 03, 2020

संविधान का आर्टिकल 370 जिसके चलते जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था। जिसके तहत राज्य से बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं मिलती थी। अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने अपने ऐतिहासिक फैसले के तहत न सिर्फ इस आर्टिकल को निरस्त किया अपितु जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने की भी घोषणा की। जिसके बाद मोदी सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए डोमिसाइल ऐक्ट लागू कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 में सेक्शन 3ए जोड़ा गया है। इसके तहत राज्य/यूटी के निवासी होने की परिभाषा तय की गई है।

क्या है नया डोमिसाइल ऐक्ट?

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने नए डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर) रूल्स 2020 को लागू हो गया है। प्रदेश में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र (पीआरसी) की जगह डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है। आजादी के वक्त विस्थापन का दर्द सहन करने वाले लोग जो जम्मू कश्मीर में बसने के बाद भी पिछले 73 वर्षों से कोई अधिकार नहीं दिए गए। जम्मू कश्मीर प्रसाशन ने राज्य का स्थाई निवासी तय करने के लिए नए नियम बनाए। जिसके मुताबिक पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए शरणार्थी, वाल्मिकी समाज के लोग, गोरखा समुदाय जैसे सभी लोग जो वर्षों से जम्मू कश्मीर में रहते हुए अब तक वहां के स्थाई निवासी नहीं माने गए। उस सभी लोगों को स्थाई निवासी का दर्जा मिल जाएगा। ऐसे लोगों की संख्या करीब दो लाख है, जिनके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट न होने की वजह से उन्हें न तो राज्य सरकार में नौकरी मिलती थी न पंचायत में वोट करने का अधिकार मिलता था। लेकिन अब उन्हें ये सब अधिकार मिलेंगे। इसके अलावा ऐसे लोग भी राज्य की नागरिकता ले सकेंगे जिनके परिवार 1947 के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्नीर से यहां आए थे लेकिन उन्हें तब कश्मीर में बसने नहीं दिया गया और उसके बाद ये लोग पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्यों में जाकर बस गए थे। ऐसे करीब एक लाख लोग हैं। पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, सफाई कर्मचारी और दूसरे राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के बच्चे भी अब डोमिसाइल के हकदार होंगे। 

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15 साल तक निवास करना अनिवार्य

नियमों के अनुसार जो लोग प्रदेश में 15 साल तक निवास कर चुके हैं या जिन्होंने सात साल तक यहां पर पढ़ाई की है वह स्थायी निवासी बनने के पात्र हैं। शर्त ये है कि शिक्षा लेने वाले लोगों ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा में हिस्सा लिया हो। वहीं केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी और बैंक कर्मचारी जिन्होंने 10 साल तक जम्मू-कश्मीर में काम किया है वो भी स्थायी निवासी बन सकते हैं।

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J&K की नागरिकता लेने वाले पहले IAS अधिकारी नवीन कुमार

बिहार के दरभंगा जिले के नवीन चौधरी जम्मू कश्मीर की नागरिकता पाने वाले पहले व्यक्ति बने। चौधरी सीनियर IAS अधिकारी हैं और लंब वक्त से जम्मू कश्मीर में रह रहे हैं। नवीन कुमार चौधरी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A हटने के बाद कश्मीर की नागरिकता ग्रहण करने के लिए आवेदन किया था। जिस पर कार्रवाई करते हुए कम्पीटेंट अथॉरिटी तहसीलदार डॉ रोहित कुमार ने 24 जून को राज्य के नए नागरिकता कानून के तहत उन्हें प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

एक माह में चार लाख लोगों को मिला डोमिसाइल 

जम्मू- कश्मीर में एक माह में करीब चार लाख नागरिकों को डोमिसाइल मिल चुका है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक होम मिनिस्ट्री के सूत्रों ने कहा है कि 22 जून जब ये आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई उस दिन से पिछले हफ्ते तक करीब 2.9 लाख लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिए गए हैं, इससे पहले 79,300 सर्टिफिकेट घाटी में दिए गए थे।


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