क्या है ISRO का मिशन गगनयान? अंतरिक्ष में जाएगा इंसान, क्यों इतना महत्वपूर्ण है 21 अक्टूबर की पहली उड़ान

By अभिनय आकाश | Oct 19, 2023

"जब भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा तो एक भारतीय बेटा या बेटी राष्ट्रीय ध्वज लेकर गगनयान पर पर अंतरिक्ष यात्रा पर जाएगा।" अगर आपको याद हो तो 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद लाल किले से कुछ इस तरह का ऐलान किया था। इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑगनाइजेशन ने चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 प्रोजेक्ट के बाद अंतरिक्ष में एक और लंबी छलांग लगाने की तैयारी कर रखी है। इसरो अब गगनयान को लॉन्च करने की तैयारियों में जुटा हुआ है। गगनयान मिशन को लेकर 21 अक्टूबर से टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। गगनयान की पहली उड़ान 21 अक्टूबर 2023 की सुबह 7 से 9 बजे के बीच होगी। गगनयान का क्रू मॉड्यूल रॉकेट के ऊपर तैनात हो चुका है। क्या है ये मिशन और क्या है इसकी खास बातें आज के इस विश्लेषण में जानेंगे।

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गगनयान मिशन क्या है?

भारत का पहला अंतरिक्ष मानव मिशन यानी पहली बार भारत इसके जरिए इंसान को अंतरिक्ष में भेजेगा। 15 अगस्त 2018 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजक्ट का ऐलान किया था। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए इसके बारे में बताया था। गगनयान परियोजना मानव अंतरिक्ष मिशन भेजने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करना चाहती है। गगनयान मिशन को 2022 में लॉन्च किया जाना था। हालाँकि, कोविड महामारी और मिशन की जटिलता के कारण देरी हुई। गगनयान परियोजना महत्वपूर्ण है क्योंकि देश अब अंतरिक्ष की अंतिम सीमा पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, ब्रह्मांड का पता लगाना चाहते हैं और चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर नए संसाधन ढूंढना चाहते हैं। एक स्वदेशी क्रू मिशन भारत को इस दौड़ के केंद्र में रखेगा, जो पहले से ही बदलती भू-राजनीति को आकार देगा। गगनयान का मिशन 3 लोगों को तीन दिनों के लिए अंतरिक्ष में रखने का है। पहले तीन यात्रियों को सात दिनों तक अंतरिक्ष में रखने का प्लान था। लेकिन इसे घटाकर तीन दिनों के लिए किया गया। गगनयान के साथ अंतरिक्ष में जाने वाले लोग पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे।  

3 यात्री 3 दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने मिशन गगनयान के लिए परीक्षण उड़ान कार्यक्रम की घोषणा की। इसरो ने एक्स पर लिखा कि मिशन गगनयान टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान 21 अक्टूबर, 2023 को एसडीएससी-एसएचएआर, श्रीहरिकोटा से सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच निर्धारित है। इसरो ने क्रू मॉड्यूल (सीएम) की तस्वीरें भी साझा की हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा। आगामी मिशन गगनयान के एक हिस्से के रूप में इसरो 21 अक्टूबर को कैप्सूल की प्रभावकारिता और आपातकालीन निकास प्रणाली का परीक्षण करेगा। इस मिशन के साथ इसरो इस साल के अंत तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को कम-पृथ्वी की कक्षा में भेजने की योजना बना रहा है। गगनयान मिशन में तीन सदस्यीय दल शामिल होगा, जो एक कक्षीय मॉड्यूल (ओएम) पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, जिसमें तीन दिनों के लिए 400 किमी की दूरी पर सीएम और एसएम शामिल हैं, जिसे फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारना। फिलहाल, चालक दल बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में मिशन के लिए प्रशिक्षण ले रहा है और प्रशिक्षण में मिशन के संबंध में सिमुलेशन, शारीरिक फिटनेस और शैक्षणिक पाठ्यक्रम शामिल हैं। वास्तविक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन को अंजाम देने से पहले प्रौद्योगिकी तैयारी के स्तर को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न पूर्ववर्ती मिशनों की योजना बनाई गई है। इन प्रदर्शनकारी मिशनों में इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (आईएडीटी), पैड एबॉर्ट टेस्ट (पीएटी) और टेस्ट व्हीकल (टीवी) उड़ानें शामिल हैं। इसरो वेबसाइट में कहा गया है कि मानवयुक्त मिशन से पहले मानवरहित मिशन में सभी प्रणालियों की सुरक्षा और विश्वसनीयता साबित की जाएगी। यदि भारत का ये मिशन सफल रहा तो यह भारत को पूर्ववर्ती सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानें संचालित करने वाला चौथा राष्ट्र बना देगा। लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है जितना हमें बताने में और आपको सुनने में लग रहा है। गगनयान के लिए बकायदा तीन स्टेड तय किए गए हैं। 

-पहले चरण में गगनयान का मानवरहित मिशन जीवन होगा। यानी पहला ट्रायल खाली होगा। 

-दूसरे चरण में एक रोबॉट को भेजा जाएगा। इस रोबॉट का नाम व्योममित्र है। 

-तीसरे चरण में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा। 

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अंतरिक्ष में जाएगा कौन

इसरो ने गगनयान मिशन के लिए चार लोगों को चुना है। ये चारो भारतीय वायुसेना के पायलट हैं। इनमें एक ग्रुप कैप्टन है बाकी तीन विंग कमांडर हैं। इन लोगों को गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार किया जा रहा है। इन्हें रूस में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। एस्ट्रोनॉट वैसे अंतरिक्ष यात्रियों को कहते हैं, लेकिन इन चार यात्रियों को गगननॉट्स कहा जाएगा। 8 फरवरी को इसरो ने इंडियन नेवी के साथ मिलकर एक टेस्ट किया कि गगनयान जब अंतरिक्ष से लौटकर वापस आएगा तो फिर इसे रिकवर किस तरह से किया जाएगा। वॉटर सर्वाइवल टेस्ट फैसिलिटी टेस्ट के दौरान गगनयान क्रूर मॉडल को पानी की तेज लहरों में तैरने के लिए छोड़ दिया गया। जिससे उससे तैरने की क्षमता को जांचा जा सके। क्रू मॉडल के अंदर ही भारतीय अंतरिक्ष यात्री बैठकर 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर लगाएंगे। 

परीक्षण क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

अब सावल है कि इतना सबकुछ जो हो रहा है उसका फायदा क्या है? मतलब अंतरिक्ष में इंसान को भेजकर भारत को फायदा क्या होगा। तो आपको बता दें कि गगनयान मिशन भारत का पहला मैन मिशन है। इससे पहले इसरो की तरफ से सभी प्रोग्राम सैटेलाइट लॉन्चर और रिसर्च प्रोग्राम रहे हैं। पहली बार भारत इंसान को स्पेस में भेजने वाला है। भारतीय यात्री राकेश शर्मा उस जमाने में सोवियत संघ के द्वारा उन्हें अंतरिक्ष में भेजा गया था। सोवियत एस्ट्रोनॉट उनके साथ मौजूद थे। उस समय से इस बात का मलाल था कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ चुका है। लेकिन खुद का एक मैन्ड मिशन शेष था। परीक्षण उड़ान क्रू मॉड्यूल को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है  जो गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को दबाव वाले पृथ्वी जैसे वातावरण में रखेगा। गगनयान मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल (सीएम) विकास के विभिन्न चरणों में है। टीवी-डी1 के लिए सीएम एक बिना दबाव वाला संस्करण है जिसने अपना एकीकरण और परीक्षण पूरा कर लिया है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान के बाद गगनयान कार्यक्रम के तहत तीन और परीक्षण वाहन मिशन लॉन्च किए जाएंगे। पहली परीक्षण वाहन उड़ान (गगनयान मिशन की) 21 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। उसके बाद, हमने तीन और परीक्षण मिशन, डी2, डी3, डी4 की योजना बनाई है। हम परीक्षण उड़ान अनुक्रम के दौरान गहन परीक्षण करेंगे। संक्षेप में यह मिशन यह परीक्षण करेगा कि क्रू मॉड्यूल कैसा प्रदर्शन करता है और साथ ही आपातकालीन स्थिति के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने के लिए क्रू एस्केप सिस्टम कितना प्रभावी ढंग से काम करता है।

 

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