यूरोप के देशों को मजबूत करने के इरादे से बनाया गया यूरोपीय संघ, 9 देश 'यूरो' का नहीं करते इस्तेमाल

By अनुराग गुप्ता | Aug 01, 2022

यूरोपीय यूनियन (ईयू) जिसे हिंदी में यूरोपीय संघ कहते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के देशों ने खुद को मजबूत करने के लिए एक संगठन बनाया था। इस संगठन के निर्माण में अमेरिका ने यूरोप के देशों की काफी मदद की थी। जिसे यूरोपीय संघ का नाम दिया गया। इस संघ में 27 देश शामिल है, जो क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए समर्पित है।

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कैसे हुआ EU का गठन ?

यूरोपीय संघ का गठन के लिए सर्वप्रथम साल 1948 में अमेरिका के मार्शल योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई थी और इसके 44 साल बाद 1 नवंबर, 1993 में जाकर यूरोपीय संघ की स्थापना हुई। इसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में है। यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना करने के बाद धीरे-धीरे इसका विस्तार किया गया और फिर 1949 में यूरोपीय परिषद का गठन हुआ। साल 1957 में यूरोपीय इकॉनोमिक कम्युनिटी की स्थापना की गई। यूरोपीय संघ की स्थापना 1992 में हुई।

आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे ज्यादा नुकसान यूरोप के देशों को हुआ था। ऐसे में यूरोपीय देशों ने महसूस किया कि उन्हें एक ऐसी राजनीतिक संरचना का विकास करना चाहिए, जिसमें यूरोप के ज्यादातर देश शामिल हो। यह तमाम देश चाहते थे कि जिस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तमाम यूरोप के देश जो छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गए थे और एक-दूसरे के शत्रु बन गए थे, ऐसी परिस्थिति दोबारा खड़ी न हो। इसी समस्या के समाधान के लिए यूरोपीय संघ के गठन का विचार सामने रखा गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध से सीख लेते हुए यूरोपीय देशों को अमेरिका की मदद से एकजुट भी कर लिया गया। इसमें 27 देश शामिल हुए और नाम यूरोपीय संघ पड़ा। 27 में से 19 देशों ने अपनी आधिकारिक मुद्रा के तौर पर 'यूरो' को मान्यता दी और व्यापार में 'यूरो' का इस्तेमाल होने लगा। जबकि 9 सदस्य देश ऐसे भी हैं, जो यूरो का इस्तेमाल नहीं करते और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग-अलग मुद्राओं को मान्यता दी है। इन 9 देशों में बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम शामिल है।

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क्या है EU का लक्ष्य ?

  • यूरोपीय क्षेत्र में शांति और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना।
  • यूरोपीय क्षेत्र में सामाजिक विकास को बढ़ाना।
  • वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का विकास करना और इसे बढ़ावा देना।
  • यूरोपीय क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता और भाषाई विविधता का सम्मान करना।
  • यूरोपीय क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय एकजुटता एवं समन्वय को बढ़ावा देना।
  • यूरोपीय लोगों के लिए स्वतंत्रता, सुरक्षा और न्याय प्रदान को बढ़ावा देना।
  • सदस्य देशों के मध्य एक आर्थिक और मौद्रिक संघ का भी निर्माण करना, जिसकी मुद्रा यूरो है।

यूरोपीय संघ की मदद के लिए 6 अलग-अलग शासी निकाय हैं। जिसमें यूरोपीय परिषद, यूरोपीय आयोग, यूरोपीय संसद, यूरोपीय संघ की परिषद, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और यूरोपीय संघ का न्यायालय शामिल है।

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