अनुच्छेद 371 में ऐसा क्या है, जो इसे बरकरार रखना चाहती है मोदी सरकार

By नीरज कुमार दुबे | Sep 09, 2019

गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह पहली बार पूर्वोत्तर क्षेत्र के दौरे पर हैं और उन्होंने यहाँ की जनता के मन की एक बड़ी आशंका को दूर करने का प्रयास किया है। दरअसल स्थानीय जनता और राजनीतिक दलों को लगता है कि जिस तरह मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है उसी प्रकार अनुच्छेद 371 को भी खत्म कर दिया जायेगा। लेकिन अमित शाह ने भरोसा दिलाया है कि अनुच्छेद 371 से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जायेगी। अब अधिकतर लोगों के मन में सवाल है कि यह अनुच्छेद 371 क्या है। तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

 

आपको जानकर हैरानी होगी कि अनुच्छेद 371 सिर्फ पूर्वोत्तर के राज्यों में ही नहीं बल्कि देश के 11 राज्यों में लागू है। इन 11 राज्यों में अनुच्छेद 371 के अलग-अलग प्रावधान लागू हैं। यह अनुच्छेद केंद्र सरकार को इस बात का अधिकार देता है कि सरकार इन राज्यों में विकास, सुरक्षा आदि कुछ क्षेत्रों में सीधे काम कर सकती है। इसे आप इन राज्यों को एक तरह से विशेष राज्य का दर्जा भी कह सकते हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों की बात करें तो मिजोरम में 371जी के तहत मिजो समुदाय को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। यह संरक्षण इतना ताकतवर है कि मिजो समुदाय की परंपराओं तथा शासकीय, नागरिक और आपराधिक न्याय संबंधी नियमों को संसद भी नहीं बदल सकती है। यदि राज्य की विधानसभा इस आशय का कोई संकल्प या विधेयक पारित करे तभी केंद्र सरकार इस पर कोई निर्णय कर सकती है।

इसे भी पढ़ें: 100 दिनों में हर दिन भारत को एक उपलब्धि दिलायी मोदी सरकार ने

नगालैंड में अनुच्छेद 371 ए लागू है। संविधान में जब 13वां संशोधन हुआ था तब अनुच्छेद 371ए बनाया गया था। तब भारत सरकार और नगा विद्रोहियों के बीच 1960 में 16 प्रमुख मुद्दों पर समझौता हुआ था। अनुच्छेद 371ए में यह व्यवस्था दी गयी है कि नगा समुदाय की पारंपरिक प्रथाएं, धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों, नगा संप्रदाय के कानून, भूमि का स्वामित्व और नागरिक, शासकीय तथा आपराधिक न्याय संबंधी नियमों पर अंतिम फैसला राज्य विधानसभा का ही मान्य होगा। यदि राज्य विधानसभा में इसमें बदलाव का कोई संकल्प या विधेयक पारित करे तभी संसद या केंद्र सरकार उस पर कोई निर्णय ले सकती है। हालांकि राज्य की कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्यपाल को विशिष्ट अधिकार दिये गये हैं। अनुच्छेद 371ए के तहत ही नगालैंड के तुएनसांग जिले को विशेष दर्जा मिला है। राज्य सरकार में तुएनसांग जिले के लिए एक अलग मंत्री भी बनाया जाता है तथा इस जिले के विकास के लिए 35 सदस्यों वाली स्थानीय काउंसिल भी बनाई जाती है।

 

इसी प्रकार से पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों को देखें तो अरुणाचल प्रदेश में 371 एच, सिक्किम में 371 एफ और असम में 371 बी लागू है। अरुणाचल प्रदेश में लागू अनुच्छेद 371 एच कहता है कि राज्य के राज्यपाल के पास कानून व्यवस्था से जुड़े मसलों पर मंत्रिमंडल से चर्चा करने के बाद अपने विवेकानुसार फैसले लेने का अधिकार सुरक्षित रहेगा। यदि राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच कानून व्यवस्था के किसी मुद्दे पर मतभेद होते हैं तो फिर राज्यपाल का निर्णय ही मान्य होगा।

 

सिक्किम में लागू 371 एफ की बात करें तो इस अनुच्छेद को संविधान में 36वें संशोधन के समय 1975 में जोड़ा गया था। इस अनुच्छेद के तहत सिक्किम में विधानसभा की स्थापना, सिक्किम को संसदीय क्षेत्र बनाना, राज्यपाल को विभिन्न तबकों के लोगों को विधानसभा के लिए मनोनीत करने का अधिकार दिया गया। भारत सरकार के सभी कानून सिक्किम में अनुच्छेद 371 एफ के जरिये ही लागू किये गये। इसके साथ ही राज्यपाल की यह जिम्मेदारी तय की गयी कि वह राज्य में शांति व्यवस्था कायम रखेंगे।

 

असम में लागू अनुच्छेद 371 बी को संविधान में 22वें संशोधन के बाद 1969 में लागू किया गया था। यह अनुच्छेद कहता है कि राष्ट्रपति एक आदेश द्वारा राज्य विधानसभा के संविधान और कार्यों के लिए समिति का गठन कर सकते हैं और इसमें राज्य के जनजातीय क्षेत्रों से चुने गये सदस्यों को शामिल कर सकते हैं। राज्य में नियम कानूनों में संशोधनों के लिए विधानसभा को समुचित अधिकार प्रदान किये गये हैं।

इसे भी पढ़ें: Modi 100: जानिये वो 10 बड़े कदम जो मंदी की मार से बचा लेंगे अर्थव्यवस्था को

मणिपुर में अनुच्छेद 371 सी लागू है। इसे संविधान में 27वें संशोधन के बाद 1971 में लागू किया गया था। यह अनुच्छेद भारत के राष्ट्रपति को अधिकार देता है कि वह राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से निर्वाचित विधानसभा सदस्यों की एक समिति का गठन कर सकते हैं और उसे कोई विशेष कार्य करने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं। राज्यपाल के पास यह अधिकार रहता है कि वह इस समिति के कामकाज की निगरानी करे और राष्ट्रपति को इस विषय पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट सौंपें।

 

इसी प्रकार संविधान का अनुच्छेद 371 महाराष्ट्र और गुजरात में लागू है। इसके तहत राज्यपाल को यह अधिकार दिये गये हैं कि वह महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और राज्य के बाकी हिस्सों के लिए तथा गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र के विकास के लिए अलग बोर्ड बना सकेंगे। इन इलाकों में विकास कार्य के लिए बराबर की राशि प्रदान की जायेगी।

 

इसी तरह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को देख लीजिये वहां अनुच्छेद 371 डी लागू है। इसके तहत राष्ट्रपति के पास यह अधिकार होता है कि वह राज्य सरकार को इस बात का निर्देश दें कि लोगों को शिक्षा और रोजगार के समान अवसर दिये जायें। साथ ही राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर एक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल भी बना सकते हैं जो राज्य सिविल सेवाओं में नियुक्ति और पदोन्नति देने का काम करेगा।

 

अनुच्छेद 371 आई गोवा में लागू किया गया था लेकिन समय के साथ यह अप्रासंगिक हो गया है क्योंकि इस अनुच्छेद के तहत यह तय किया गया था कि छोटे से राज्य गोवा में कम से कम 30 सदस्यीय विधानसभा होगी लेकिन बाद में राज्य विधानसभा की सीटों की संख्या 40 हो गयी।

 

अनुच्छेद 371 जे संविधान में 98वें संशोधन के बाद 2012 में लागू किया गया। इसके तहत तय किया गया कि कर्नाटक में हैदराबाद-कर्नाटक के इलाके के लिए एक अलग विकास बोर्ड बनेगा जो हर साल राज्य विधानसभा को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस बोर्ड की जिम्मेदारी विकास के साथ शिक्षा और रोजगार के समान अवसर सभी को मुहैया कराने की भी होगी। 

इसे भी पढ़ें: Modi 100: प्रचंड जनादेश का सम्मान अपने मजबूत फैसलों से कर रहे हैं प्रधानमंत्री

बहरहाल, गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान के अनुच्छेद 371 के सभी प्रावधानों का पूरा सम्मान करने की बात कही है तो सभी संशय दूर हो जाने चाहिए। गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद के 68वें पूर्ण सत्र को बतौर चेयरमैन संबोधित करते हुए रविवार 8 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि अनुच्छेद 371 संविधान की विशेष व्यवस्था है और मोदी सरकार इसका सम्मान करती है तथा इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले छह अगस्त को लोकसभा में अमित शाह ने ऐसा ही आश्वासन दिया था। तब संसद में अनुच्छेद 370 पर बहस हो रही थी उसी दौरान अनुच्छेद 371 का भी मुद्दा उठा तो गृहमंत्री अमित शाह ने बताया था कि क्यों सरकार इस अनुच्छेद को नहीं हटाना चाहती। उन्होंने तर्क दिया था कि 370 की तरह अनुच्छेद 371 राज्यों में अलगाववाद को बढ़ावा नहीं देता और इसके अधिकतर प्रावधान राज्यों की धार्मिक, सामाजिक प्रथाओं, भूमि और संसाधनों से संबंधित हैं और कहीं से भी राष्ट्र की एकता और अखण्डता की राह में बाधक नहीं हैं। तो इस प्रकार हमने आपके सामने रखा कि संविधान का अनुच्छेद 371 क्या है। जो लोग 370 और 371 को समान बता रहे हैं वह दरअसल लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।

 

-नीरज कुमार दुबे

 

प्रमुख खबरें

Bollywood Wrap Up | Vijay Deverakonda संग नया साल मनाने निकलीं Rashmika Mandanna, फैंस ने पकड़ी चोरी

खाली पेट गर्म पानी या ठंडा पानी पीना कौन-सा बेहतर है? जानें इसके फायदे

कभी एक्टर बनने के बारे में नहीं सोचा था... Amaran एक्टर Rohman Shawl मॉडलिंग से एक्टिंग में आने के बाद क्या कहा?

Recap 2024: राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटी कई घटनाओं ने भविष्य के लिए बड़े संकेत दिये हैं