By अभिनय आकाश | Oct 07, 2024
भारत के पास भी वो ताकत होनी चाहिए जो चीन के पास है। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य के तौर पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र का खूब फायदा उठाया। इसी संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता और ताकत को लेकर भारत विरोध करता आाया है। भारत ये कहता आया है कि केवल पांच देशों के पास ये स्पेशल ताकत का होना कहीं न कहीं बाकी देशों के साथ अन्याय है। इसलिए जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र में बदलाव होना चाहिए। पिछले 10 सालों में संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भारत ने इस बात को खूब जोर से उठाया। लेकिन इस बार जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे थे तो कुछ अलग देखने को मिला। जो बात सिर्फ भारत किया करता था। उसके समर्थन में मानो पूरी दुनिया आ गई हो। खुद संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य भी भारत की बदलाव वाली बात का समर्थन कर रहे थे। अब इसे लेकर जब विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से पूछा गया कि भारत के पास स्थायी सदस्यता कब आएगी?
एस जयशंकर ने इस सवाल के जवाब में कहा कि पांच देशों को यूएनएससी में बहुत ही स्पेशल जगह दी गई है। मैं कहूंगा कि ज्यादा से ज्यादा देश ये भी मानते हैं कि उस बदलाव में भारत को भी शामिल होना चाहिए। मेरा मतलब है मैं हमारी स्वीकार्यता को बढ़ता हुआ देख सकता हूं। जयशंकर ने कहा कि मैं आपको बता सकता हूं कि 15 साल पहले कभी इस तरह की स्वीकार्यता नहीं थी। यह बदल गया है लेकिन अभी भी हम वहां नहीं हैं। आज विश्व में दो संघर्ष चल रहे हैं, दो बहुत गंभीर संघर्ष, उन पर संयुक्त राष्ट्र कहां है, वह केवल मूकदर्शक बना हुआ है।
एस जयशंकर ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1945 में स्थापित इस विश्व निकाय में शुरुआत में 50 देश थे, जो इन वर्षों में बढ़कर लगभग चार गुना हो गए हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक तरह से वैसी पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही है, लेकिन जगह (जरूर) घेर रही है। जब यह समय से पीछे होती है, तो इस दुनिया में आपके पास स्टार्ट-अप और नवाचार होते हैं, इसलिए अलग-अलग लोग अपनी तरह से चीजें करना शुरू कर देते हैं। आज आपके पास एक संयुक्त राष्ट्र है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली अपर्याप्त है, इसके बावजूद यह अब भी एकमात्र सर्वमान्य बहुपक्षीय मंच है।