By दिनेश शुक्ल | Apr 11, 2020
मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने के बाद से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान लगातार कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के काम में लगे हुए है। अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए या फिर मंत्रालय में मुख्य सचिव और पुलिस विभाग के मुखिया के साथ कानून व्यवस्था पर चर्चा या फिर स्वास्थ्य महकमें के सात कोरोना नियंत्रण को लेकर कार्य योजना बनाना हो। मुख्यमंत्री प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टरों और एसपी से भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लगातार संवाद बनाए हुए है। 23 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही कोरोना के खिलाफ छेडी गई जंग में एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चैन की सांस ली हो।
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लेकिन राजधानी भोपाल और प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोरोना संक्रमण ने तेजी से पैर पसारे हैं। जहां भोपाल में कोरोना संक्रमितों की संख्या तीन से बढ़कर 131 तक पहुँच गई है, तो वही दूसरी ओर इंदौर में यह संख्या 281और 30 मौतों के साथ देश में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक कोरोना संक्रमितों की लिस्ट में सुमार हो गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 52 जिलों में से 18 जिलों में टोटल लॉकडाउन कर दिया गया है। जिन जिलों में संक्रमण अधिक है वहाँ हॉट स्पॉट बनाकर पूरी तरह सील कर दिए गए है।
राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से कोरोना के खिलाफ जंग में सहयोग करने की बात कही। उन्होनें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को फोन कर बात की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई मानव और मानवता को बचाने की लड़ाई है। इस घड़ी में सभी राजनीतिक दल अपने मतभेद छोड़ एक हो जाएं मिलकर इस मुद्दे पर काम करें, हम मिलकर इस लड़ाई को लड़े। मुख्यमंत्री ने बताया कि इसलिए मैंने आदरणीय उमा भारती जी, कमलनाथ जी और दिग्विजय सिंह जी से चर्चा की है। उन्हें जानकारी भी दी है और उनसे सुझाव भी मांगे हैं, मैं सब का सहयोग चाहता हूं। मैं नहीं हम मिलकर कोरोना से लड़े सबने मुझे आश्वस्त किया है कि सब सहयोग करेंगे।
जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उमा भारती ने ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कोरोना को लेकर चर्चा की बात कही गई और इसी के साथ अपने सुझाव भी उन्होनें ट्वीटर के जरिए ही देने की कोशिश की। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की तरफ से न ही कोई ट्वीट आया और न ही कोई आधिकारिक जानकारी ही साझा की गई। जहां दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में टेस्टिंग मशीन खरीदने की बात कही तो वही मुख्यमंत्री को मांगे गए सुझाव को लेकर पत्र भी लिखा जिसे उन्होनें फेसबुक के जरिए साझा किया। जिसमें दिग्विजय सिंह ने लिखा कि मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने सुझाव मांगे थे, मैनें उन्हें महामारी संक्रमण के रोकथाम, कमजोर हो रही आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने व लॉकडाउन की वजह से आम जन को कम से कम असुविधा हो इस संबंध में अपने सुझाव दिए। जिसके साथ उन्होनें तीन पन्नों का अपना सुझाव पत्र साझा किया।
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मध्यप्रदेश में पिछले महीने जिस तरह दो सप्ताह तक चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद सरकार परिवर्तन हुई और आनन फानन में मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार प्रदेश की सत्ता संभाली उसके बाद से लगातार कोरोना संक्रमण को लेकर ही सरकार लगी हुई है। वहीं 15 माह तक सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अपनी विपक्षी की भूमिका में असहज सा महसूस कर रही है। यही कारण है कि आने वाले दिन पत्रों और ट्वीट के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस की सरकार में सुपर सीएम कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह हमलावर तेवरों में प्रदेश की जनता की आवाज उठाने का प्रयास करते है। वही भाजपा में आप्रासांगिक हो चली प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्र में मंत्री रही उमा भारती भी राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से मुखर होती दिखती तो है लेकिन मात्र अपने ट्वीट तक ही उनकी आवाज सीमित नज़र आती है। यही वजह है कि 19 दिन पहले चौथी बार प्रदेश की सत्ता संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान ने एक चतुर सुजान राजनीतिज्ञ की तरह पूर्व मुख्यमंत्रियों से फोन पर बात कर प्रदेश में बेकाबू होते कोरोना संक्रमण को लेकर तेज होते राजनीतिक हमलों को थामने की कोशिश की है। वही शिवराज सिंह चौहान ने एक राजनीतिक शिष्टाचार भी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बात कर निभाने की पहल की है। ये एक अलग बात है कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों की सलाह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने अधिकारियों के सुझावों के आगे कितना महत्व देते है पर राजनीति तो यही कहते ही कि या तो आपके खिलाफ उठने वाली आवाजों को आप कुचल दें या फिर उन्हें विनम्रता से उठने ही न दें। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कोई सानी नहीं है।
- दिनेश शुक्ल