By अभिनय आकाश | Oct 30, 2021
पीएम मोदी इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी के निमंत्रण पर 29 से 31 अक्तूबर तक रोम, इटली और वेटिकन सिटी के दौरे पर हैं। पीएम की मुलाकात वेटिकन में पोप फ्रांसिस से हुई। ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी कोई पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने वैटिकन जाकर पोप से मुलाकात की है। लेकिन लगभग दो दशक बाद भारत के प्रधानमंत्री की पोप से मुलाकात हुई है। पीएम मोदी से पहले जवाहर लाल नेहरू समेत चार प्रधानमंत्री वैटिकन का दौरा कर चुके हैं। पोप फ्रांसिस वेटिकन सिटी में रहते हैं और उन्हें पोप कैथलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु होते हैं। वैटिकन सिटी अपने आप में एक स्वायत्त देश के रूप में काम करता है। जैसे की ब्रिटेन में सॉवरेन कौन होगा क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय, भारत में सॉवरेन कौन है राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उसी प्रकार वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसेस सॉवरेन हैं। ऐसे में आज के इस विश्लेषण में आपको दुनिया के सबसे ताकतवर धर्मगुरु के बारे में बताते हैं। इसके साथ ही क्या है इसे चुने जाने की प्रक्रिया और पोप के पद पर आसीन व्यक्ति का काम क्या होता है?
सबसे पहले आपको वेटिकन सिटी के बारे में बताते हैं-
यूरोप महाद्वीप में स्थित यह विश्व का सबसे छोटा देश और स्वतंत्र राज्य है, जहा पोप का प्रशासन है। यह इटली के शहर रोम के पास स्थित है। इसका क्षेत्रफल केवल 44 हेक्टेयर है। इसकी राजभाषा है लैटिन। ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च और उसके सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का निवास होने के कारण यह विश्व भर में जाना जाता है। यहां की जनसंख्या तकरीबन 800 है। सेंट पीटर गिरजाघर, वेटिकन बाग तथा कई अन्य गिरजाघर स्थित हैं। 1929 में एक संधि के अनुसार इसे स्वतंत्र देश स्वीकार किया गया।
पोप कौन होते हैं और इनकी धार्मिक जिम्मेदारी क्या होती है?
ईसा मसीह के बाद कैथलिक धर्म के सबसे बड़े पद को पोप कहा जाता है। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। पोप न सिर्फ़ दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों के आध्यात्मिक नेता भी हैं। पोप के नियमित कामों में हर रविवार को वेटिकन पहुंचे दुनिया भर के श्रद्धालुओं को संबोधित करना और उन्हें आशीर्वाद देना शामिल होता है। इसके लिए वो अपने अध्ययन कक्ष की उस खिड़की का इस्तेमाल करते हैं जहां से सेंट पीटर्स स्कवेयर का भव्य नज़ारा दिखता है। विदेश दौरे भी पोप की ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं। चर्च के क़ानून के तहत हर बिशप को रोम जाना ज़रूरी है ताकि वो बता सकें कि उनके डायोसिस में क्या हो रहा है।
कौन बन सकता है पोप
पोप वैसे तो आजीवन पोप रहते हैं। लेकिन सेलेस्टीन पंचम और पोप बैनेडिक्ट ने स्वेच्छा से यह पद छोड़ा। पादरी क़ानून के अधीन त्यागपत्र की केवल एक शर्त है कि यह स्वेच्छा से दिया जाना चाहिए और उसे सही ढंग से प्रकाशित किया जाना चाहिए। कोई भी कैथलिक जिसका बपतिस्मा हो चुका हो वो पोप बन सकता है। ईसाईयत में बपतिस्मा जल के साथ किया जाने वाला एक धार्मिक रिवाज है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्यता प्रदान की जाती है। स्वयं ईसा मसीह का बपतिस्मा किया गया था। जब व्यक्ति बपतिस्मा लेता है तो सबको यह दिखाने की कोशिश की जाती हैं कि सचमुच यहोवा के दोस्त बनना चाहते हैं और उसकी सेवा करना चाहते हैं। चर्च के नियमों के अनुसार कोई महिला पोप नहीं बन सकती है।
पोप के चुनाव की प्रक्रिया
पोप की मेहमानवाजी
पोप से मिलने बहुत से विदेशी मेहमान भी वेटिकन पहुंचते हैं। अपनी लाइब्रेरी में वो इन लोगों से मिलते हैं। यहां से एक बार में उनसे चार पांच लोगों के समूह से कई सौ लोग मिल सकते हैं। पारंपरिक तौर पर पोप एक बड़े से अपार्टमेंट में रहते हैं। अपॉस्टोलिक पैलेस की सबसे ऊपरी मंज़िल पर स्थित है।
पीएम मोदी से पहले चार प्रधानमंत्रियों ने किया वेटिकन का दौरा
पीएम मोदी से पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, आई के गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी वेटिकन में तत्कालीन पोप से मुलाकात की थी। जब नेहरू ने जुलाई 1955 में पोप पायस XII से मुलाकात के लिए वेटिकन का दौरा किया तो भारत सरकार को गोवा को संघ में शामिल करने के प्रयासों के लिए पुर्तगालियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। पुर्तगालियों ने दावा किया कि वह इस क्षेत्र में ईसाइयों की रक्षा करना चाहता था। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के वह समुदाय भारत सरकार के इरादों के बारे में संशय में थे। नेहरू की यात्रा के दौरान उनकी टीम का हिस्सा रहीं इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद 1981 में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात की थी। 1997 में प्रधानमंत्री आई के गुजराल और 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इटली की अपनी-अपनी यात्राओं के दौरान पोप से मुलाकात की।
पोप की भारत यात्रा
भारत आने वाले पहले पोप पॉल IV थे, जिन्होंने 1964 में अंतर्राष्ट्रीय यूचरिस्टिक कांग्रेस में भाग लेने के लिए मुंबई की यात्रा की थी। पोप जॉन पॉल द्वितीय ने फरवरी 1986 और नवंबर 1999 में भारत का दौरा किया।पोप जॉन पॉल द्वितीय की भारत की दूसरी यात्रा उस समय विवादास्पद हो गई जब विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल जैसे संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान पोप से पूर्व में ईसाई मिशनरियों द्वारा कथित धर्मांतरण के लिए माफी मांगने की मांग की गई थी। विहिप नेता आचार्य गिरिराज किशोर द्वारा पोप को "डकैत" के रूप में वर्णित करने की भाजपा ने भी कड़ी आलोचना की थी। केवल भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं रहे जिन्होंने होली सी की यात्रा की है। कम्युनिस्ट पार्टी के वयोवृद्ध नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ई के नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय को एक भगवद गीता भेंट की और उन्होंने जीवन भर पोप द्वारा भेंट की गई एक माला रखी। नयनार के साथ केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी थे जो उस समय उनकी सरकार में मंत्री थे।
-अभिनय आकाश