By अभिनय आकाश | Apr 21, 2025
एक तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस की नेशनल डे परेड की परेड में बुला रहे हैं तो दूसरी तरफ चीन ने भी कहा है कि वो इस साल वो इस साल बीजिंग में होने वाले शंघाई कॉरपोरेशन शिखर सम्मेलन में बेसब्री से पीएम मोदी का इंतजार कर रहा है। वैसे चीन की जनता भी पीएम मोदी को देखने के लिए बेताब होगी क्योंकि चीन के लोग पीएम मोदी को एक खास नाम से बुलाते हैं। ये बात तो अब किसी से छुपी नहीं रह गई कि पीएम मोदी दुनिया के लोकप्रिय नेताओं की लिस्ट में हमेशा टॉप पर रहते हैं। पीएम मोदी जहां भी जाते हैं लोग उनके दिवाने हो जाते हैं। करीब 21 देश पीएम मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दे चुके हैं। जिनमें कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं। पाकिस्तान की जनता भी आजकर बोल रही है कि हमें पीएम मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि चीन की जनता पीएम मोदी के बारे में क्या बोलती है?
चीन के लोग पीएम मोदी की पॉलिसी उनके कपड़े और उनके चाल-ढाल सभी के फैन हैं। चीन के लोग पीएम मोदी को सबसे अलग मानते हैं इसलिए चीनी लोगों ने पीएम मोदी को एक खास निक नेम दिया हुआ है। एक चीनी पत्रकार ने अपने सोशल मीडिया पर बताया कि चीनी सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी को लेकर क्या बातें होती हैं। चीनी सोशल मीडिया पर मेरा एक लोकप्रिय अकाउंट है, जहाँ उपयोगकर्ता अक्सर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर टिप्पणी करते हैं। यह मेरे लिए विदेशी मामलों पर चीनी जनता की राय को समझने का एक बड़ा माध्यम बन गया है। चीनी पत्रकार ने बताया कि चीन के लोग सोशल मीडिया पर पीएम मोदी को प्यार से लाओशिया कहते हैं। पत्रकार बताते हैं कि के मुताबिक लाओशियान का अर्थ अनोखी ताकत वाला बुजुर्ग व्यक्ति है। यदि आप इस उपनाम का अर्थ जानते हैं, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां के लोग नरेंद्र मोदी के बारे में क्या सोचते हैं।
चीनी पत्रकार मू चुनशान ने 'द डिप्लोमैट' में चीन के सोशल मीडिया से जुड़े होने की बात लिखी थी। चीनी लोग इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। उन्होंने लिखा है कि चीनी लोग मानते हैं कि भारत और चीन के बीच संबंध बेहतर होंगे, लेकिन वे नहीं चाहते कि भारत अमेरिका के करीब आए। लेख में कहा गया है कि चीनियों का मानना है कि अगर भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाता है, तो अमेरिका और पश्चिम इसे दबाने की कोशिश करेंगे, जैसा कि वे अब चीन के साथ कर रहे हैं। 'द डिप्लोमैट' के एक लेख के अनुसार, चीनी लोगों का मानना है कि चीन, भारत और रूस के बीच सहयोग मजबूत होने से पश्चिम का दबाव बढ़ सकता है। भारत भी पश्चिम पर पूरा भरोसा नहीं करता।