By अनन्या मिश्रा | Apr 01, 2023
कंसीव करने के बाद कुछ महिलाओं को मिसकैरेज से गुजरना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाएं के मन में एबॉर्शन के करवाने के दौरान यह सवाल रहता है कि एबॉर्शन या मिसकैरेज के बाद क्या वह दोबारा कंसीव कर पाएंगी। मिकैरेज या एबॉर्शन के बाद उनकी प्रेग्नेंसी पर इसका क्या असर होगा। इन सारे सवालों के जवाब हैदराबाद के केयर हॉस्पीटल के गायनेकोलॉजी विभाग से सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रोलिका केशरी ने दिए हैं।
डॉक्टर ने बताया कि जब दवा या सर्जरी के माध्यम से प्रेग्नेंसी को खत्म किया जाता है तो उसे एबॉर्शन कहते हैं। डॉक्टर रोलिका केशरी ने जानकारी देते हुए बताया कि एबॉर्शन कराने से किसी महिला को दोबारा गर्भ धारण करने या गर्भवती होने की क्षमता प्रभावित नहीं होती है। इसके अलावा न ही यह भविष्य में गर्भावस्था की जटिलताओं के जोखिम को बढ़ाता है।
कुछ केसों में होती है समस्या
डॉ रोलिका के अनुसार, एबॉर्शन के बाद कुछ महिलाओं में ऐसी समस्या देखने को मिलती है। जिसमें महिला को फिर से गर्भ धारण करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। सर्जिकल गर्भपात के दौरान या बाद में गर्भाशय की परत को नुकसान या क्षति पहुंचने पर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं। इस स्थिति को एशरमैन सिंड्रोम कहा जाता है। हालांकि इस समस्या का सर्जरी के जरिए इलाज किया जाता है। इसमें डॉक्टर गर्भाशय से क्षतिग्रस्त ऊतकों को हटा देते हैं।
इंफेक्शन बन सकता है कारण
डॉ रोलिका ने बताया कि अगर सर्जरी के बाद महिला के गर्भाशय में इंफेक्शन फैल जाता है। अगर इसका फौरन इलाज नहीं करवाया जाता है तो भविष्य में गर्भधारण या प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचने का जोखिम हो सकता है। यह इंफेक्शन अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब में फैल सकता है। जिसके कारण एक्टोपिक गर्भावस्था या बांझपन का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन अधिकतर केसों में डॉक्टर एबॉर्शन के पहले एंटीबायोटिक्स देते हैं। जिससे इंफेक्शन के खतरे को कम किया जा सके। यदि एबॉर्शन के बाद गंभीर दर्द, तेज बुखार, ब्लीडिंग, योनि से बदबूदार स्राव आदि के लक्षणों का अनुभव होता है। ऐसा होने पर डॉक्टर से फौरन संपर्क करना चाहिए।
इंड्यूस्ड एबॉर्शन
दिल्ली के शालीमार बाग की फोर्टिस अस्पताल की गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर अर्पणा जैन के अनुसार, शुरूआत में प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन जो गर्भपात की वजह से खुद-ब-खुद हो सकता है। ऐसे में अनचाही प्रेग्नेंसी के मामले में इंड्यूस्ड टर्मिनेशन भी कराया जाता है।
दोबारा प्रेग्नेंसी में प्रॉब्लम
डॉ अपर्णा बताती हैं कि सामान्य मेडिकल या सर्जिकल एबॉर्शन से दोबारा गर्भधारण करने की क्षमता पर असर नहीं पड़ता है। इससे न तो भविष्य में भी प्रेग्नेंसी संबंधी जटिलताएं आती हैं। यह बात कई अध्ययनों और शोधों में साबित हो चुकी है। हालांकि इसके कुछ मामले अलग हो सकते हैं। जब किसी महिला का बार-बार सर्जिकल एबॉर्शन किया जाता है तो इससे गर्भाशय की अंदरूनी परत खुरच सकती है। जिसके कारण गर्भाशय को क्षति पहुंचने के साथ ही इनफर्टिलिटी का कारण बनती है।
कॉम्प्लिकेशन
डॉक्टर के अनुसार, सर्जिकल एबॉर्शन की दिक्कतों के कारण गर्भाशय या सर्विक्स में इंफेक्शन या इंजरी भी हो सकती है। इंफेक्शन या इंजरी होने पर यह गर्भधारण को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा यह कारण प्रीटर्म डिलीवरी और लो बर्थ वेट जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकती है। वहीं बार-बार एबॉर्शन करवाने की वजह से पेल्विस इंफेक्शन ट्यूब्स तथा ओवेरीज तक फैल सकता है। इसके चलते भविष्य में फर्टिलिटी पर भी असर देखने को मिल सकता है या ट्यूब्स में प्रेग्नेंसी ठहरने की संभावना बढ़ जाती है।