By राजीव शर्मा | Jul 08, 2021
लखनऊ। मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में पश्चिमी यूपी की झोली खाली रही। मंत्रिमंडल में कद बढ़ाए जाने और जातिगत समीकरणों के आधार पर मंत्री बनने की उम्मीद लगाने वालों को बड़ा झटका लगा है। सरकार को असहज करता दिख रहा किसान आंदोलन और जातिगत समीकरण भी बेअसर रहे। 2 साल बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी से सात मंत्री बनाए गए लेकिन पश्चिमी यूपी को खाली छोड़ दिया गया।
भाजपा ने संगठनात्मक रूप से प्रदेश को छह हिस्सों में बांट रखा है। पश्चिमी क्षेत्र में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के 14 जिले हैं। बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में इन जिलों से किसी को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
तीन कृषि कानूनों को लेकर सात महीने से किसान दिल्ली की घेरेबंदी किए हुए हैं। इसमें पश्चिमी यूपी के किसानों की सक्रियता ज्यादा है। केंद्र में राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान कृषि बिलों के समर्थन में काफी मुखर रहे हैं। कई स्थानों पर उनका विरोध भी हुआ।
माना जा रहा था कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले डॉ. बालियान का कद बढ़ाया जा सकता है। पिछली सरकार में राज्यमंत्री रहे बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह भी मंत्री पद के दावेदारों में थे। राजनीतिक हल्कों में माना जा रहा था कि डॉ. बालियान का कद बढ़ाकर और डॉ. सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर जाटों को लुभाया जा सकता है।
पश्चिमी यूपी में असरदार गुर्जर बिरादरी को भी साधने के लिए कैराना से सांसद प्रदीप चौधरी और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर में से किसी एक को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी। इस बिरादरी को भी मायूसी हाथ लगी है।
इसके साथ ही मेरठ-हापुड़ सीट से तीसरी बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से मेरठ के लोग निराश हुए हैं। अग्रवाल वरिष्ठता के साथ ही संघ में भी पकड़ रखने वालों में से हैं। वह लगातार तीन बार सांसद चुने गए हैं।