By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 24, 2020
नयी दिल्ली। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बृहस्पतिवार को कहा कि नगर सरकार हवाई अड्डे के अधिकारियों से इस खबर को लेकर बात करेगी कि ब्रिटेन से आए कोरोना वायरस से संक्रमित दो यात्री हवाई अड्डे से चले गए थे। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए प्रकार (स्ट्रेन) का पता चलने के बाद से बढ़ी चिंताओं के बीच दिल्ली सरकार ने मंगलवार को कहा था कि ब्रिटेन से जो लोग आए हैं, उनका पता लगाकर उनकी जांच की जाएगी और संक्रमित पाए जाने पर एलएनजेपी अस्पताल में अलग से पृथक रखने के लिए केंद्र बनाया जा रहा है।
प्रेस वार्ता में जैन से इस खबर के बारे में पूछा गया कि मंगलवार को दिल्ली हवाई पर आए दो यात्री कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बावजूद पंजाब और आंध्र प्रदेश चले गए तो मंत्री ने कहा, मैंने भी आज के अखबार में यह खबर पढ़ी है। जैन ने कहा कि वहां पर उड़ान संचालन एवं सुरक्षा, हवाई अड्डा प्राधिकरण के तहत आती है...लेकिन ऐसा व्यक्ति जो कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया हो, उसे नहीं जाना चाहिए था। दिल्ली हवाई अड्डे पर कोविड-19 के लिए नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी पर सवाल किए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, हम इस बारे में हवाई अड्डा के अधिकारियों से बात करेंगे।
खबर के मुताबिक, ब्रिटेन से आए दो यात्री हवाई अड्डे से निकल गए थे और उन्हें तलाश कर वापस दिल्ली लाया गया। ब्रिटेन से आने वाले सभी यात्रियों की दिल्ली हवाई अड्डे पर कोविड-19 की जांच की जा रही है। जैन ने कहा, जो संक्रमित पाए जा रहे हैं, उन्हें सरकारी पृथक केंद्र में पृथक-वास में रखा जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन से लौटे और संक्रमित पाए गए तीन व्यक्तियों को एलएनजेपी अस्पताल में पृथक-वास के लिए लाया गया है। ब्रिटेन से लौटने वाले और संक्रमित पाए जाने वाले मरीजों के लिए एलएनजेपी अस्पताल में मुख्य कोविड वार्ड से दूर अलग से पृथक केंद्र बनाया जा रहा है।
एक सूत्र ने बताया कि नई एसओपी के मुताबिक, उनके नमूनों का जीनोम अनुक्रमण भी किया जा रहा है। जिन मामलों में वायरस का पुराना प्रकार पाया जाएगा, उन्हें कोविड के नियमित वार्डमें भेज दिया जाएगा। जैन ने बुधवार को कहा कि ब्रिटेन से यहां आए लोगों का पता लगाया जा रहा है और कोविड-19 जैसे कोई भी लक्षण होने पर जांच की जा रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार की स्थिति नियंत्रण में है और जांच में संक्रमण की पुष्टि होने की दर एक प्रतिशत से कम है।