प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों और संगठनों के बीच संवाद अवश्य होना चाहिए, भले ही उनके सोचने का तरीका कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि हमें हर बात पर सहमत होने की जरूरत नहीं है, सार्वजनिक जीवन में इतनी सभ्यता होनी चाहिए कि विभिन्न विचारधाराओं के लोग एक दूसरे को सुन सकें। ‘लाइसेंस राज‘ ’और ‘परमिट राज’ की आर्थिक संस्कृति व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के आड़े आ रही थी।
मोदी ने कहा कि भारत को हम स्वच्छ बनाकर रहेंगे। हम भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करके रहेंगे। हम सुशासन को एक जन आंदोलन बना कर रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कई वर्षों से एक दोषपूर्ण संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा था, जिसमें महत्वाकांक्षा एक खराब शब्द बन गया था। उपनाम और संपर्क के आधार पर ही दरवाजे खुलते थे। उन्होंने कहा कि पहले सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि क्या आप किसी विशिष्ट वर्ग से ताल्लुक रखते हैं या नहीं। बड़े शहर, बड़ी संस्थाएं और बड़े परिवार ही मायने रखते थे।