By दीपक कुमार मिश्रा | Feb 09, 2019
विदर्भ ने सौराष्ट्र को रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में 78 रनों से मात देकर लगातार दूसरी बार खिताब अपने नाम कर लिया है। इस जीत में वैसे तो कई खिलाड़ियों का योगदान रहा। इस टीम के पास फैज फजल जैसा कप्तान है, रजनीश और उमेश के रूप में विश्व स्तर के गेंदबाज है। चंद्रकांत पंडित के रूप में एक ऐसा कोच है, जो पत्थर को भी हीरा बनाने की काबिलियत रखता है। लेकिन इस टीम के पास सबसे बड़ा हथियार वसीम जाफर है। वो खिलाड़ी जिसे घरेलू क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर या डॉन ब्रैडमैन कह लीजिए वो ज्यादा मायने नहीं रखता है। यहां तो बस फर्क ये पड़ता है कि इस खिलाड़ी के ड्रेसिंग रूम में रहने भर से ही टीम चैंपियन बन जाती है। विदर्भ के लिए इस खिलाड़ी की हैसियत नंबर तीन पर खेलने से ज्यादा खिलाड़ियों को प्रेरित करने के ऊपर है। वसीम जाफर घरेलू क्रिकेट में तमाम रिकार्ड और खिताब हासिल कर चुके हैं। जिसका सपना हर एक खिलाड़ी देखता है। जाफर रणजी क्रिकेट के इतिहास में वो खिलाड़ी हैं जो जब भी फाइनल में मैदान में उतरे हैं, तो टीम को जीत ही नसीब हुई है। जाफर का यह 10वां रणजी खिताब था। इससे पहले वो 8 बार मुंबई रणजी टीम की खिताब जीतने वाली टीम के सदस्य रहे थे। पिछले साल उन्होंने विदर्भ की टीम से घरेलू क्रिकेट के इस दंगल में हिस्सा लिया था। विदर्भ की टीम 2017-18 रणजी सीजन में पहली बार फाइनल में पहुंची और खिताब जीतने में कामयाब रही और उनकी टीम लगातार दूसरी बार खिताब जीतने में कामयाब रही।
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2018-19 सीजन में भी जाफर का बल्ला जमकर गरजा
पिछले साल रणजी सीजन में शानदार बल्लेबाजी करने वाले जाफर का बल्ला इस बार और ज्यादा अच्छे तरीके से बरसा और सीजन में विदर्भ के लिए खेलते हुए उन्होंने 4 शतक सहित 1037 रन जोड़ दिए। इस दौरान उनके बल्ले से 2 दोहरे शतक भी निकले। रणजी इतिहास में दो बार एक सीजन में 1 हजार से ज्यादा रन बनाने का कारनामा करने वाले पहले खिलाड़ी भी बने। उन्होंने साल 2008-09 के रणजी सीजन में भी 1 हजार से ज्यादा रन बनाए थे। अगर जाफर के घरेलू क्रिकेट में रन के बारे में बात की जाएं तो वहां एक ऐसा बड़ा पहाड़ दिखता है, जिसे छू पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। जाफर ने 253 फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेले हैं। यहां उनके नाम 51.59 की शानदार औसत से 19147 रन दर्ज है। इस दौरान उन्होंने 57 शतक और 88 अर्धशतक भी लगाए हैं। उनका मैच में सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 314 रन बनाने का है। इसके अलावा जाफऱ भारत के लिए 31 टेस्ट मैच भी खेल चुके हैं। जहां उन्होंने 34.10 की औसत से 1944 रन बनाएं हैं। जाफर भारत के लिए सफेद कपड़ों में 5 शतक और 11 अर्धशतक भी जड़ चुके हैं। साफ है उम्र एक नंबर है का डायलॉग जाफर सही मायनों में पूरा करते दिखाई दे रहे हैं। 2008 के बाद अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर रहने वाले जाफर घरेलू क्रिकेट में लगातार तहलका मचा रहे हैं। 2016-2017 में घुटने की चोट के कारण जाफर को घरेलू क्रिकेट से काफी समय तक दूर रहना पड़ा था। चोट से वापसी करने के बाद काफी लोग इस 40 वर्षीय अनुभवी बल्लेबाज को अपने राज्य की टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं देना चाहते थे। यही नहीं उनकी कंपनी इंडियन ऑयल को भी लगता था कि उनमें अब ज्यादा क्रिकेट नहीं बचा है और वह उन्हें ऑफिस में बैठकर डेस्क पर काम करें। हालांकि जाफर को विदर्भ से खेलने का मौका मिला। जाफर ने मुंबई टीम का साथ छोड़ने के बाद 2015-2016 सीजन में पहली बार विदर्भ से जुड़े थे। उसके बाद जाफर ने विदर्भ की टीम को दो रणजी खिताब जिताकर दिखा दिया कि शेर कितना भी बूढ़ा हो जाए शिकार करना नहीं छोड़ता है।
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विदर्भ के लिए वरदान हैं वसीम जाफर
घरेलू क्रिकेट में दिग्गज का तमगा पाने वाले जाफर ने जब विदर्भ की टीम में एंट्री की तो कई लोगों को लगा था कि ये खिलाड़ी अब इस टीम के लिए क्या नया कर पाएगा। उम्र के इस पड़ाव पर ना तो जाफर के अंदर ज्यादा खेल बचा है और ना ही प्रेरणा बची है। लेकिन जाफर ने इन सभी चीजों को गलत साबित कर दिया। विदर्भ के लिए जाफर एक खिलाड़ी से ज्यादा मेंटर, दोस्त और सलाहकार हैं। जाफर के अनुभव का फायदा उठाकर टीम के खिलाड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं। अक्षय, रजनीश और आदित्य सरवटे जैसे खिलाड़ी विश्व स्तर का प्रदर्शन कर रहे हैं। जाफर को इस उम्र में भी खेलते हुए देखकर इन युवाओं के मन में क्रिकेट का आनंद उठाने का सपना हर रोज नई अंगड़ाई लेता है। जाहिर है जाफर जैसे खिलाड़ी आज भी घरेलू क्रिकेट को उतना ही मनोरंजक और उत्साह से भरा बना रहे हैं। जिसको देखकर एक युवा खिलाड़ी भी इस खेल का मजा उठाना चाहते हैं। 40 की उम्र में जाफर का ये प्रदर्शन और रिकार्ड देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि वसीम जाफर ही घरेलू क्रिकेट के तेंदुलकर हैं।
-दीपक कुमार मिश्रा