क्या पुराने संसद भवन में आखिरी सत्र था मानसून सत्र?

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By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 09, 2022

क्या पुराने संसद भवन में आखिरी सत्र था मानसून सत्र?
नयी दिल्ली। वर्ष 1927 में उद्घाटन से लेकर देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक संसद भवन कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है और अपने भीतर अनमोल इतिहास समेटे हुए है। अब जोरशोर से नए संसद भवन के निर्माण के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या सोमवार को समाप्त हुआ मानसून सत्र, संसदीय इतिहास में, पुराने संसद भवन में संपन्न आखिरी सत्र के रूप में दर्ज हो जाएगा? पुराना विशाल संसद भवन करीब छह एकड़ क्षेत्र में बना है और यह दुनिया के विभिन्न देशों के सबसे विशिष्ट संसद भवनों में से एक है। इस भवन की नींव 101 साल पहले रखी गई थी। इस संसद भवन की पहली मंजिल पर बलुआ पत्थर के 144 खंभे हैं जो इसे अनोखी खूबसूरती प्रदान करते हैं।

 

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संसद का मानसून सत्र निर्धारित समय से चार दिन पहले ही सोमवार को समाप्त हो गया। पुराने संसद भवन के पास ही बन रहे नए संसद भवन की नींव दिसंबर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। नए संसद भवन का निर्माण कार्य शीतकालीन सत्र से पहले पूरा हो जाने की उम्मीद है। इससे पहले निर्माण कार्य के इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पूरा होने की उम्मीद थी। यदि शीतकालीन सत्र नए भवन में आयोजित होता है तो इसके साथ ही एक युग का अंत हो जाएगा जिसकी शुरुआत 95 साल पहले हुई थी। अंग्रेजों ने संसद भवन की परिकल्पना 1920 के दशक में की थी जब 1911 के भव्य दरबार के बाद राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था। पुराने संसद भवन की यात्रा तत्कालीन सम्राट किंग जॉर्ज पंचम के शासनकाल में भारत की नयी राजधानी की यात्रा भी है, जिसे 1926 में नयी दिल्ली नाम दिया गया था। 1

 

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2 फरवरी 1921 को, जब भारत स्वतंत्रता प्राप्ति से 26 वर्ष दूर था तब ब्रिटेन के ड्यूक आफ कनॉट प्रिंस आर्थर ने संसद भवन की नींव रखते हुए कहा था कि यह भारत के पुनर्जन्म के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य का भी प्रतीक होगा। 560 फुट के व्यास और एक मील के तिहाई हिस्से की परिधि में फैले इस भवन का डिजाइन सर हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने तैयार किया था। लुटियंस ने ही दिल्ली में रायसीना हिल्स इलाके में नई औपनिवेशिक राजधानी का भी डिजाइन बनाया था। रिकॉर्ड से पता चलता है कि संसद भवन की आधारशिला रखे जाने के मौके पर वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने एक भव्य समारोह का आयोजन किया था, जिसमें देसी रियासतों के प्रमुखों के साथ साथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की थी। संसद भवन को पहले, काउंसिल हाउस के नाम से जाना जाता था।

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