By अंकित सिंह | Feb 22, 2023
महाराष्ट्र की राजनीति भी दिलचस्प है। लगातार कुमार की राजनीति गर्म रहती है। 2019 के चुनाव के विधानसभा चुनाव के बाद वहां की राजनीतिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन देखा गया। भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। बहुमत भी मिला था लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों दलों में टकराव की स्थिति पैदा हुई। तब भाजपा सरकार नहीं बना सकी। बाद में वहां राष्ट्रपति शासन लगा। हालांकि, अचानक एक दिन सुबह इस बात की खबर आती है कि महाराष्ट्र में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार की पार्टी एनसीपी के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। देवेंद्र फडणवीस के साथ शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। यह वह दौर था जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत चल रही थी।
हालांकि, यह सरकार सिर्फ 5 दिनों तक ही चल सकी। एनसीपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। एनसीपी की ओर से साफ तौर पर कहा गया था कि अजित पवार ने बिना शरद पवार से पूछे ही शपथ ग्रहण किया है। पिछले दिनों इस घटना का जिक्र करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि सभी काम शरद पवार की सहमति से ही हुए थे और उनको इस बात की जानकारी दी थी। इन सबके बीच आज शरद पवार का एक ऐसा बयान आया है जिससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि कहीं ना कहीं इस घटनाक्रम में शरद पवार की भूमिका रही होगी। हालांकि अभी भी इस बात को लेकर कोई पुष्टि नहीं हुई है। शरद पवार ने अपने एक बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके भतीजे और राकांपा नेता अजित पवार के साथ सरकार बनाने की कोशिश का एक फायदा यह हुआ कि इससे 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस तरह के सरकार गठन के बारे में पता था और अजित पवार इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं, राकांपा प्रमुख ने हैरानी जताते हुए कहा कि क्या इस बारे में बोलने की जरूरत है? उन्होंने कहा कि मैंने अभी कहा कि अगर इस तरह की कवायद नहीं होती तो क्या राष्ट्रपति शासन हटा लिया जाता? अगर राष्ट्रपति शासन नहीं हटा होता तो क्या उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते? गौरतलब है कि महाराष्ट्र में एक आश्चर्यजनक राजनीतिक घटनाक्रम के बाद तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर, 2019 को एक समारोह में फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी, लेकिन सरकार सिर्फ तीन दिन तक चली, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने राकांपा और कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।