Famous Temples: इस नवरात्रि करें इन शक्तिपीठों के दर्शन, पूरी होगी हर मनोकामना

By अनन्या मिश्रा | Oct 07, 2024

मां दुर्गा के शक्ति रूपों को शक्तिपीठ कहा जाता है। जब देवी सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंची, तो वहां पर उनके पिता ने भगवान शिव का अपमान किया। इस अपमान को सहन न कर पाने के कारण उन्होंने खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया था। जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में तांडव करना शुरूकर दिया। ऐसे में सभी देवी-देवताओं और असुरों में भय पैदा हो गया।


तब जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पार्थिव शरीर के टुकड़े कर दिए। माता सती के शरीर के यह टुकड़े जिन स्थानों पर गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। ऐसे में नवरात्रि के मौके पर आपको इन शक्तिपीठों के दर्शन करने चाहिए। तो आइए जानते हैं इन शक्तिपीठों के बारे में...

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चामुण्डेश्वरी देवी मंदिर

यह मंदिर मैसूर शहर से 13 किमी दूर चामुंडी पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर 1000 साल से ज्यादा पुराना है। यह मंदिर मां दुर्गा के चामुंडा स्वरूप को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर चामुंडा पहाड़ी पर स्थित है, इसी स्थान पर मां चामुंडा ने महिषासुर का वध किया था। यह तीर्थ स्थान 18 महाशक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जब असुर महिषासुर ने ब्रह्माजी की तपस्या से वरदान हासिल कर लिया, तो वह देवताओं पर अत्याचार करने लगा।


ब्रह्माजी ने महिषासुर को वरदान दिया था कि उनका वध एक स्त्री के जरिए होगा। ऐसे में सभी देवता मां दुर्गा के पास पहुंचे और इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा। तब मां दुर्गा ने असुर का वध करने के लिए चामुंडा रूप धारण किया। इस स्थान पर मां चामुंडा और महिषासुर में भयानक युद्ध हुआ और मां चामुंडा ने उस राक्षस का वध कर दिया।


जोगलुम्बा मंदिर

आलमपुर भारतीय राज्य तेलंगाना के जोगलबा गडवाल जिले में जोगलुम्बा मंदिर स्थित है। आलमपुर में कई हिंदू मंदिर हैं, जिनमें नवब्रह्म मंदिर, पापनासी मंदिर, जोगुलम्बा मंदिर और संगमेश्वर मंदिर है। जोगुलम्बा मंदिर 18 महा शक्तिपीठों में से एक है। यह शक्तिवाद में सबसे अहम तीर्थ स्थान है। आलमपुर में माता सती के दांतों की ऊपर वाली पंक्ति गिरी थी। इस मंदिर के प्रमुख आराध्य 'मां जोगुलाम्बा' और 'बाल ब्रह्मेश्वरा स्वामी' हैं।


भ्रमराम्बा शक्तिपीठ

आंध्र प्रदेश राज्य के कुर्नूल जिले में नल्लमाला पर्वत पर भ्रमराम्बा शक्तिपीठ स्थित है। यह भगवान शिव और मां शक्ति के पावन धामों में से एक है। इसको 'दक्षिण का कैलाश' भी कहा जाता है। श्रीसैलम की विशेषता यह है कि यहां पर देवी भ्रमराम्बा शक्तिपीठ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दोनों ही स्थित हैं। बताया जाता है कि इस प्राचीन मंदिर के विशाल परिसर में 'मां भ्रमराम्बा मंदिर' स्थापित है। यह मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर देवी सती का ग्रीवा का पतन हुआ था। 


कामाक्षी शक्तिपीठ, कांचीपुरम

बता दें कि मां कामाक्षी देवी मंदिर को कांची शक्तिपीठ कहा जाता है। यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। धार्मिक पुराणों के मुताबिक जहां-जहां मां सती के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बनाए गए। यह तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हैं। देवी पुराण में इन 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। कांची शक्तिपीठ तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम नगर में स्थित है। यहां पर देवी सती की अस्थियां या कंकाल गिरे थे। इस स्थान पर मां कामाक्षी देवी का भव्य विशाल मंदिर है। इस मंदिर में त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति है। यह दक्षिण भारत का सर्वप्रधान शक्तिपीठ है। इस मंदिर में भगवती पार्वती का श्रीविग्रह है।

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