उन्होंने कहा कि सत्ता का मद जब सिर चढ़कर बोलने लगता है और जब व्यक्ति बीमारों का उपहास उड़ाने लगता है तब दिव्य शक्तियां रोती हैं और आसुरी प्रवृत्तियों को नष्ट करती हैं।गुप्ता ने कहा प्रकृति सब देख रही है और दंभ का सर कुचलने की तैयारी कर रही है। जब लोगों को ईश्वर के श्री चरणों में प्रार्थना निवेदन करना चाहिए तब हुंकारें भरना सात्विक व्यक्तियों का कार्य नहीं है।