वाराणसी का वायु प्रदूषण से बुरा हाल, लोगों ने मास्‍क लगाकर किया योग

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 21, 2018

वाराणसी। अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस पर आज आध्‍यात्मिक नगरी वाराणसी में लोगों ने मास्‍क लगाकर योगासन करके क्षेत्र में वायु प्रदूषण की भयंकर समस्‍या की तरफ ध्‍यान आकृष्‍ट किया। वाराणसी स्थित शिवाला घाट पर सुबह पांच बजे शुरू हुए इस योगासन सह प्रदर्शन कार्यक्रम में 100 से ज्‍यादा लोगों ने हिस्‍सा लिया। कार्यक्रम की आयोजक संस्‍था ‘द क्‍लाइमेट एजेंडा’ की सीनियर कैम्‍पेनर एकता शेखर ने बताया कि अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस पर काशी के शिवाला घाट पर योगासन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें लोगों ने मास्‍क लगाकर योग किया। इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश की गयी कि वाराणसी की हवा की गुणवत्‍ता बेहद खराब हो चुकी है और हमें इसे साफ करने की जिम्‍मेदारी निभानी ही होगी।

 

उन्‍होंने कहा कि कार्यक्रम में लोगों को यह बताया गया कि भारत ने दुनिया को योग का वरदान दिया है लेकिन वायु प्रदूषण के कारण किस प्रकार योग के असल मकसद को नुकसान पहुंच रहा है। अगर हम किसी ऐसे शहर में रहते हैं, जहां की हवा गंदी है तो वहां योग करने से सेहत को नुकसान ही होता है। एकता ने बताया कि इस पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कुछ लोगों ने माना कि वाराणसी की हवा खराब है और इसे बेहतर करने की जरूरत है। ऐसे लोगों में युवाओं की संख्‍या ज्‍यादा रही। वहीं, कुछ लोगों ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

 

उन्‍होंने बताया कि केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वाराणसी में पिछले छह महीने के दौरान सिर्फ 13 दिन ही लोगों को साफ हवा मिल सकी। बाकी दिनों में पीएम 2.5 प्रदूषण का स्‍तर बहुत ज्‍यादा रहा। आज सुबह जब लोग योग कर रहे थे, तब भी काशी की हवा की गुणवत्‍ता अच्‍छी नहीं थी। इस दौरान पीएम 2.5 का स्‍तर 152 और पीएम 10 का स्‍तर 184 था जो स्‍वस्‍थ लोगों को बीमार बनाने के लिये काफी है।

 

इस बीच, दिल्‍ली स्थित सर गंगाराम हॉस्पिटल के रोबोटिक सर्जरी विभाग के निदेशक डॉक्‍टर अरविंद कुमार ने बताया कि योग मुख्यतः सांस पर आधारित क्रिया है। यह हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका है। हालांकि योग से वायु की गुणवत्‍ता में बदलाव नहीं लाया जा सकता और न ही इसके जरिये खराब वायु से हमारे फेफड़ों पर पड़ने वाले दुष्‍प्रभाव को रोका जा सकता है।

 

उन्‍होंने कहा कि अगर हम किसी ऐसे शहर में रहते हैं, जहां की हवा गंदी है तो योग करने से फेफड़ों को नुकसान ही होगा। ऐसे में मैं लोगों को पुरजोर सलाह देता हूं कि वे योग और फेफड़ों से जुड़ी यौगिक क्रियाएं करें लेकिन हवा को साफ रखने की हमारी कोशिशों में भी कोई कमी नहीं आनी चाहिये।

 

एकता ने बताया कि पर्यावरण के लिये काम कर रहे सामाजिक संगठनों के मुख्य संगठन ‘क्‍लीन एयर कलेक्टिव’ ने अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस पर देश के पांच शहरों- दिल्‍ली, मुम्‍बई, बेंगलूरू, कोलकाता और वाराणसी में यह अभियान चलाया, जिसके तहत लोगों ने प्रदूषणरोधी मास्‍क लगाकर योगासन किया। ‘द क्‍लाइमेट एजेंडा’ इसी संगठन का एक हिस्‍सा है।

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