By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 10, 2021
देहरादून। दिग्गज भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी के राजनीतिक शिष्य के रूप में प्रसिद्ध तीरथ सिंह रावत अपनी साफ-सुथरी छवि, सहज व्यक्तित्व, विनम्रता के लिए जाने जाते हैं। रावत का उत्तराखंड के 10 वें मुख्यमंत्री के रूप में चयन प्रदेश में सियासी जानकारों से लेकर आमजन तक सभी को चौंका गया। भाजपा विधानमंडल दल की बैठक से निकलकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा उनके नाम की घोषणा से सब इसलिए भी चौंके क्योंकि पिछले चार दिनों से प्रदेश में चल रही सियासी उठापठक के दौरान उनका नाम इस पद के दावेदारों में कहीं भी सुनाई नहीं दिया।
तीरथ सिंह को उनके सादगी भरे व्यक्तित्व और भाजपा के जमीन से जुड़े ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता है जिनके पास कोई भी अपनी बात लेकर सीधे पहुंच सकता है। फरवरी, 2013 से लेकर दिसंबर 2015 तक उनके प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान उनकी इसी खूबी ने उन्हें कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय बनाया। पौडी जिले में स्थित उनके चौबटटाखाल क्षेत्र के लोग भी उनकी इसी खूबी के कायल हैं जहां के घर-घर में वह एक जाना—पहचाना नाम हैं। उनकी इस खूबी के पीछे उनका संघ से लंबा जुडाव भी माना जाता है। नौ अप्रैल 1964 को पौडी जिले के सीरों गांव में जन्मे तीरथ सिंह 1983 से 1988 तक संघ प्रचारक रहे।
उनके राजनीतिक कैरियर की शुरूआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का पद भी बखूबी संभाला। तीरथ सिंह हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद 1997 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य भी निर्वाचित हुए। वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बनी राज्य की अंतरिम सरकार में वह प्रदेश के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाए गए। वर्ष 2002 और 2007 में वह विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन 2012 में वह चौबटटाखाल सीट से विधायक चुने गए।
हालांकि, 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज को उनकी जगह चौबटटाखाल से उतारा गया। इस बीच, 2019 के लोकसभा चुनावों में उनके राजनीतिक गुरू खंडूरी के चुनावी समर में उतरने की अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा ने उन्हें पौडी गढवाल सीट से टिकट दिया और वह जीतकर संसद पहुंचे। लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी और खंडूरी के पुत्र मनीष को 302669 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी। डीएवी पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात उनकी पत्नी डा रश्मि रावत ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास था कि इस बार उनके पति ही मुख्यमंत्री बनेंगे।