By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 11, 2023
वाशिंगटन। भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल सहित अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश कर घृणा, अजनबियों या विदेशी लोगों के प्रति नफरत या डर, और 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले के बाद पूरे अमेरिका में अरब मुसलमानों, दक्षिण एशियाई तथा सिख समुदायों के प्रति नस्लवादी भावना की निंदा की है। आतंकी संगठन अलकायदा ने ये हमले किये थे, जिसमें करीब 3,000 लोग मारे गये थे।
इस हमले को 9/11 के नाम से भी जाना जाता है। अरब, मुस्लिम, पश्चिम एशियाई, दक्षिण एशियाई और सिख समुदाय अमेरिका में लंबे समय से भेदभाव और हिंसा का सामना करते आ रहे हैं, जो इन आतंकी हमलों के बाद बढ़ गयी। 2001 के इस हमले के बाद, पहले महीने के दौरान ही सामुदायिक संगठनों ने पश्चिम एशियाई या दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ नफरत की 945 घटनाएं दर्ज की। नफरत का यह माहौल उनके रोजमर्रा के जीवन में, और उनके कार्यस्थलों, कारोबारों, सामुदायिक केंद्रों, और उपासना स्थलों में उन्हें भयभीत करने या उनके प्रति हिंसा के रूप में भी देखने को मिला।
जयपाल ने 11 सितंबर 2001 के हमले की 22वीं बरसी से दो दिन पहले शनिवार को सांसद इलहान उमर, रशिदा तैयब, जूडी शु और एंद्रे कार्सन के साथ यह प्रस्ताव पेश किया। जयपाल ने कहा, ‘‘11 सितंबर 2001 को, अमेरिकी धरती पर हुए सबसे वीभत्स हमले में हमने हजारों जानें गंवा दीं। हमले में करीब 3,000 लोग मारे गए और इससे संबद्ध बीमारियों से 4,500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस दिन का प्रभाव अब तक महसूस किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस दुखद दिन को याद करने के दौरान, हमें अरब, मुसलमानों, पश्चिम एशियाई, दक्षिण एशियाई, और सिख समुदायों पर पड़े दीर्घकालिक प्रभावों को भी बयां करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि हमले के बाद के दिनों में बलबीर सिंह सोढ़ी,वकार हसन, और अब्देल कारस की हत्याएं नफरत को प्रदर्शित करती हैं। जयपाल ने कहा, ‘‘अजनबियों या विदेशी लोगों के प्रति नफरत या डर और नस्लवाद की इस देश में कोई जगह नहीं है, और आज हम इस पीड़ा को साझा कर रहे हैं जो इन समुदायों ने कलंक, भेदभाव और स्वतंत्रता खोने के रूप में महसूस की हैं। ’’
अमेरिकी सांसद उमर ने कहा कि 11 सितंबर 2001 अमेरिकी इतिहास में एक विनाशकारी घटना है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश का सामाजिक ताना-बाना बदल गया। इन हमलों के मद्देनजर, सत्ता में मौजूद लोगों ने सामूहिक निगरानी, प्रताड़ना, अनिश्चितकालीन हिरासत, नागरिक स्वतंत्रताओं के हनन के जरिये हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना की। देशभर में मुस्लिम, अरब, सिख और दक्षिण एशियाई अमेरिकियों को संदेह की नजर से देखा जाने लगा, परेशान किया गया, और यहां तक कि केवल उनकी पहचान के आधार पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया।’’ सांसद कार्सन ने कहा कि प्रस्ताव के जरिये, नफरती कृत्यों में कमी लाने, मुस्लिम अमेरिकियों का समर्थन करने, और आगे बढ़ने के लिए पूरे देश की मदद करने के वास्ते समुदाय आधारित रुख अपनाने की अपील की गई है। मुस्लिम जस्टिस लीग, द सिख कोलेशन और सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड जैसे कई संगठनों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है।