By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 21, 2019
वाशिंगटन। अमेरिका और चीन में जारी व्यापार युद्ध के बीच अमेरिकी कंपनियां भारत को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देख रही हैं। अमेरिका के कंपनी जगत को उम्मीद है कि भारत में सत्ता में आने वाली नई सरकार पारदर्शिता और नीतियों को तैयार करने में ‘‘विचार विमर्श और सलाह मशविरे’’ के साथ काम करेगी। विशेषज्ञों का यह कहना है। अमेरिका- भारत रणनीतिक और भागीदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि नीति रूपरेखा तैयार करने में अमेरिकी कंपनियां पारदर्शिता के साथ साथ बेहतर सांमजस्य चाहती हैं। नीतियों को तैयार करने में यदि विचार विमर्श की प्रक्रिया अपनाई जाये तो उन्हें अच्छा लगेगा।
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अमेरिकी कंपनियों की नजर भारत में 23 मई को आने वाले चुनाव परिणामों पर है। अघी ने कहा कि भारत के समक्ष इस समय अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों को निवेश के लिये आकर्षित करने के शानदार अवसर मौजूद हैं, क्योंकि इस समय चीन के उसके व्यापारिक भागीदारों के साथ संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। अघी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नीतियों और नियमों में सुनिश्चितता और कारोबार करने की स्थिति में सुगमता बढ़ने से अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियां भारत में निवेश बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं अन्यथा ये कंपनियां वियतनाम और कंबोडिया जैसे देशों की तरफ आकर्षित होंगी।
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विदेश संबंध परिषद की अलेसा अयरिस ने कहा कि नई सरकार को यह देखना होगा कि आर्थिक वृद्धि को तेज करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये क्या किया जाना चाहिये। भारत को उसकी दिख रही आर्थिक सुस्ती से भी निपटना होगा। वाशिंगटन डीसी स्थित सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट के नीति मामलों के विशेषज्ञ अनित मुखर्जी ने कहा कि अंतिम चुनाव परिणाम आने अभी बाकी है। ये परिणाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं, लेकिन उनका मानना है कि जो भी दल सत्ता में आयेगा उसके समक्ष मोटे तौर पर पिछले पांच साल में जो कुछ हासिल हुआ है, उसका समेकन करना होगा और गरीबी कम करने, आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिये जरूरी सुधारों को आगे बढ़ाने की चुनौती होगी।