Prabhasakshi NewsRoom: Adani के खिलाफ केस चलाने वाले अमेरिकी अटॉर्नी Breon Peace ने दिया इस्तीफा

By नीरज कुमार दुबे | Dec 21, 2024

अमेरिका में उद्योगपति गौतम अडाणी पर लगे रिश्वत मामले में नया मोड़ आ गया है। हम आपको बता दें कि अडाणी के खिलाफ आरोप लगाने वालों में शामिल अमेरिकी अटॉर्नी ब्रॉन पीस डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने से पहले इस्तीफा देने वाले हैं। ब्रॉन पीस के इस्तीफे की खबर सामने आते ही शुक्रवार को अडाणी समूह के शेयरों में तेजी भी देखी गयी थी। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने से पहले जिस तरह ब्रॉन पीस ने मैदान छोड़ा है उससे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में अमेरिकी न्यायालय में अडाणी के खिलाफ शुरू हुआ मामला कमजोर पड़ सकता है।


हम आपको बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि ब्रॉन पीस 10 जनवरी 2025 को न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी के पद से इस्तीफा दे देंगे। ब्रॉन पीस ने संघीय अभियोजक के रूप में हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला था। पीस ने एक बयान में कहा कि अटॉर्नी के रूप में अमेरिका की सेवा करना उनके लिए सम्मान की बात है। अपनी फेयरवेल स्पीच में ब्रॉन पीस ने कहा कि मुझे एक ऐसे जिले में सार्वजनिक सेवा का अनोखा अनुभव मिला है जो विभिन्न पृष्ठभूमि वाले अनुभवी लोगों से भरा हुआ है। उन्होंने अपने सहयोगियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें "देश के सबसे प्रतिभाशाली अभियोजकों और कर्मचारियों" के रूप में वर्णित किया और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को सराहा। हम आपको बता दें कि ब्रॉन पीस के कार्यालय द्वारा देखे जाने वाले हाई-प्रोफाइल मामलों में भारत में मुख्यालय वाले वैश्विक समूह अडाणी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी का अभियोग शामिल है।

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नवंबर में, अडाणी समूह पर भारत सरकार के अनुबंधों को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की बात को कथित तौर पर अमेरिकी निवेशकों से छिपा कर उनको धोखा देने का आरोप लगाया गया था। अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में सौर बिजली अनुबंध हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अदाणी (62), उनके भतीजे सागर अदाणी और अन्य पर सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया था कि यह सब उन अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छुपाया गया, जिनसे अदाणी समूह ने इस परियोजना के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे। हम आपको बता दें कि अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है।


अदाणी समूह पर लगे आरोपों के बाद भारत में राजनीति गर्मा गयी थी और संसद के शीतकालीन सत्र में कोई कामकाज नहीं हो पाया था। हालांकि अडाणी समूह ने आरोपों को "निराधार" कहकर खारिज कर दिया था। गौतम अडाणी ने कानूनी चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा था कि उनके समूह ने पहले भी इस तरह की स्थितियों का सामना किया है और इस मामले का भी सामना करेगा।

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