अर्बन नक्सलवाद ने भारत की शैक्षणिक, धार्मिक और एतिहासिक तथ्यों के साथ की छेड़छाड़- रतन शारदा जी

By दिनेश शुक्ल | Sep 06, 2020

भोपाल। विश्व संवाद केन्द्र, भोपाल (मध्य प्रदेश) में रविवार दोपहर को विदिशा यूथ फोरम तथा कमिटी ऑफ प्रोग्रेसिव यूथ द्वारा एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। उक्त व्याख्यान में प्रसिद्ध विचारक एवम चिंतक रतन शारदा जी (मुंबई) ने "समाज तथा युवा मानस पर अर्बन नक्सलियों का प्रभाव" विषय पर प्रदेश भर के प्रबुद्धजनों व सैकड़ों युवाओं के समक्ष अपने विचार रखे।  इस दौरान शारदा जी ने बताया कि किस तरह कुछ देश विरोधी ताकतें विदेशी फंडिंग का उपयोग करके भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों, मीडिया संस्थानों तथा बुद्धिजीवियों के बीच अपनी पैठ बना रही हैं तथा इन सभी संस्थानों एवं व्यक्तियों का उपयोग करके देश के युवाओ और समाज को देश के ही खिलाफ भड़काकर देश तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

 

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शारदा ने बताया कि किस प्रकार साजिश के तहत नक्सलवाद शैक्षणिक संस्थानों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हुआ फिर अर्बन (शहरी) नक्सलियों  के द्वारा भारत के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई और इतिहास को  तोड़ मरोड़ कर लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें हिंदू समाज हिंदू धर्म और समाज से जुड़ी हुई कई बुराइयों को जोड़ दिया गया जिसके कारण आम लोगों के मन में धर्म को लेकर दुर्भावना की स्थिति बनी। इन्हीं अर्बन नक्सलियों के द्वारा शैक्षणिक सिलेबस (पाठ्यक्रम) को बदल दिया गया जिसके कारण समाज में नीतिविहीन, धर्म विहीन, पंथ विहीन लोग सामने आने लगे।  यही नहीं इनके द्वारा समाज में दुर्गा पूजा, महिषासुर मर्दिनी पूजा, होलिका दहन और विजयदशमी पर रावण दहन को लेकर भी कई प्रकार की भ्रांतियां समाज में फैलाई जिससे समाज बंटने की कगार पर आ गया। 

 

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इन समस्यायों के हल के रूप में उन्होंने बताया कि समाज को स्वतः जागरूक होना होगा तथा परिवार के माध्यम से अपने बच्चो और युवाओ को जागरूक करना होगा कि इन देश विरोधी ताक़तों के चंगुल में ना फंसे। इसके अलावा शारदा ने कहा कि समाज के सभी देशभक्त नागरिकों को भी इसमे जिम्मेदारी लेनी होगी कि समाज को इन खतरों के प्रति जागरूक करें एवम देश के युवाओ को गलत दिशा में जाने से रोकें। कार्यक्रम के अंत मे श्री रतन शारदा जी के द्वारा युवाओं के जिज्ञासा से भरे हुए प्रश्नों के उत्तर भी दिए जिनमे उन्होंने व्याख्यान में जुड़े व्यक्तियों को कुछ उदाहरणों के माध्यम से भी विषय को समझाया।

 उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय के  डीन एवं अंग्रेजी के प्रोफेसर ओ.पी. बुधौलिया ने की एवं उन्होंने भी अंत मे अपने अध्यक्षीय भाषण में अंग्रेजी साहित्य के माध्यम से यह बताया कि किस तरह देश को विघटित करने वाली शक्तियों ने बहुत पहले से पाठ्यक्रम में बदलाव करके भारतीय मानस को बदलने का दुष्चक्र चला रखा है।  कार्यक्रम का संचालन एवं अंत में आभार प्रदर्शन शुभम वर्मा के द्वारा किया गया।


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