इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का के इस्तीफे के मामले में खुद पर लगे आरोपों से ‘व्यथित’ कंपनी के सह संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने आज कहा कि वे ‘कोई धन, अपनी संतान के लिए पद या अधिकार’ नहीं मांग रहे हैं। इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने निदेशक मंडल और एनआर नारायणमूर्ति की अगुवाई में कंपनी के कुछ चर्चित संस्थापकों के साथ बढ़ती कटुता बढ़ने के बीच आज अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया।
कंपनी के बोर्ड ने इस मामले में नारायणमूर्ति पर निशाना साधते हुए कहा है कि नारायणमूर्ति के लगातार हमलों के चलते ही सिक्का ने इस्तीफा दिया है। नारायणमूर्ति ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उनकी चिंता प्राथमिक रूप से इन्फोसिस में कंपनी कामकाज में ‘मानकों में गिरावट’ को लेकर है। इसके साथ ही उन्होंने कुप्रबंधन के सभी आरोपों में कंपनी को क्लीन चिट देने वाली जांच पर भी सवाल उठाया।
सिक्का के इस्तीफे के बाद बोर्ड ने कड़े शब्दों में एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि नारायणमूर्ति के लगातार हमलों के चलते ही सिक्का ने इस्तीफा दिया है। बोर्ड का कहना है कि नारायणमूर्ति ने लगातार ऐसी ‘अनुचित मांगें’ रखीं जो कि मजबूत कंपनी संचालन व्यवस्था की उनकी घोषित मंशा के खिलाफ हैं।
नारायणमूर्ति ने ईमेल से जारी किए गए एक बयान में कहा है- इनफोसिस बोर्ड द्वारा लगाये गये आरोपों, उसकी भाषा से बहुत व्यथित हूं... आरोपों का सही तरीके से, सही मंच पर और सही समय पर जवाब दूंगा। नारायणमूर्ति ने सलाहकारों से कहा, मैं नहीं चाहता कि इन्फोसिस का निदेशक मंडल संचालन में गड़बड़ी के जरिये संस्थान को मौत के खड्ड में पहुंचा दे। उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि इन्फोसिस का निदेशक मंडल संस्थान का संरक्षण करे, न कि व्यक्ति विशेष की, जैसा वह आज कर रहा है। उन्होंने कहा, मैंने सिक्का के काम पर टिप्पणी नहीं की, मेरी समस्या इन्फोसिस के संचालन के स्तर को लेकर है। मेरा मानना है कि दोष कंपनी के बोर्ड में है।''
वहीं इन्फोसिस के चेयरमैन आर. शेषासायी ने नारायणमूर्ति के आरोपों के जवाब में कहा है- यह कहना समझ से परे है कि जानी मानी कानूनी और आडिट फर्में बोर्ड के साथ साठगांठ करेंगी, सीईओ के ‘गलत कार्यों’ को नजरंदाज करेंगी और क्लीन-चिट वाली रिपोर्ट देंगी।
इस बीच, विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद एक निवेश सलाहकार कंपनी ने सुझाव दिया है कि नंदन नीलेकणि को कंपनी के निदेशक मंडल में गैर कार्यकारी चेयरमैन के रूप में वापस लाया जाना चाहिए। नीलेकणि इस आईटी कंपनी के चर्चित संस्थापकों में से हैं। इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टार एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने कहा कि इन्फोसिस का निदेशक मंडल अपने सीईओ का संरक्षण करने में विफल रहा और उनके उत्तराधिकारी के चयन के समय कंपनी को खुद को भी नए सिरे से तलाशना चाहिए।
आईआईएएस ने एक रिपोर्ट में कहा कि नीलेकणि को गैर कार्यकारी चेयरमैन के रूप में कंपनी में वापस लौटने के लिए भरोसा दिलाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि नीलेकणि को इसे एक और कंपनी की नौकरी के रूप में नहीं देखना चाहिए क्योंकि इन्फोसिस भारतीय आईटी क्षेत्र के दिल में है और इसकी सफलता से ही यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में यह क्षेत्र किस दिशा में जाएगा। नीलेकणि उन सात संस्थापकों में से हैं जिन्होंने करीब तीन दशक पहले इन्फोसिस की स्थापना की थी। वह मार्च, 2002 से अप्रैल, 2007 तक कंपनी के सीईओ रहे थे।