कर्नाटक विधान परिषद में जमकर हंगामा, उप सभापति को खींचकर आसन से उतारा गया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 15, 2020

बेंगलुरु। कर्नाटक विधान परिषद में मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ और अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई जब अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर उप सभापति एस एल धर्मे गौड़ा को सभापति के आसन से खींचकर उतारा गया और सदस्यों ने धक्कामुक्की करते हुए एक दूसरे को अपशब्द कहे। शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ मिनटों के भीतर ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि सदन की सौ साल के इतिहास में यह अप्रत्याशित घटना काले धब्बे के समान है। इससे पहले विधान परिषद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए 10 दिसंबर को स्थगित की गई थी। सरकार ने सभापति के. प्रताप चंद्र शेट्टी पर अप्रत्याशित रूप से सत्र को स्थगित करने का आरोप लगाते हुए आज एक दिन के लिए विधान परिषद का सत्र बुलाया था। भाजपा द्वारा शेट्टी के विरुद्ध लाया गया अविश्वास प्रस्ताव आज के एजेंडे में शामिल नहीं था। इससे पहले सभापति ने इस प्रस्ताव को प्रक्रिया में त्रुटि के आधार पर खारिज कर दिया था और तभी से भाजपा के सदस्य इसपर विचार करने की मांग कर रहे थे। भाजपा के सदस्यों ने जद (एस) के समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव लाकर शेट्टी को सभापति के पद से हटाने की योजना बनाई थी। विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही शेट्टी के आने से पहले ही गौड़ा सभापति के आसन पर बैठ गए और कोरम की घंटी बज रही थी जिससे कांग्रेस के सदस्य नाराज हो गए और उन्होंने आसन के पास जाकर गौड़ा से आसन से हटने को कहा क्योंकि वह अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति दे देते। इसके बाद भाजपा और जद (एस) के सदस्य गौड़ा की सुरक्षा में आकर खड़े हो गए। इससे दोनों पक्षों के सदस्यों के बीच कहासुनी शुरू हो गई और हंगामा होने लगा। नसीर अहमद समेत कांग्रेस के कुछ सदस्य, उस दरवाजे को जबरदस्ती खोलने की कोशिश करते दिखाई दिए, जिससे सभापति भीतर आते हैं। कांग्रेस सदस्यों का कहना था कि भाजपा ने दरवाजा इसलिए बंद कर दिया है ताकि शेट्टी भीतर न आ सकें। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने सभापति के आने से पहले ही गौड़ा की मदद से कार्यवाही शुरू कर दी है ताकि शेट्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सके जिसे पहले खारिज कर दिया गया था। भाजपा और जद (एस) के सदस्यों ने कहा कि चूंकि अविश्वास प्रस्ताव सभापति के विरुद्ध है इसलिए उप सभापति को कार्यवाही संचालित करने का अधिकार है। इसके बाद एम नारायणस्वामी और नसीर अहमद समेत कुछ कांग्रेस सदस्यों ने उप सभापति को आसन से जबरदस्ती खींचकर हटा दिया। इस दौरान विधान परिषद के कई सदस्य और मार्शल भी धक्कामुक्की के शिकार हुए और कांग्रेस के एक सदस्य सभापति के आसन पर बैठने में कामयाब हो गए। शेट्टी के आने तक कांग्रेस सदस्यों ने किसी और को सभापति के आसन पर बैठने नहीं दिया। 

 

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भाजपा और जद (एस) के कई सदस्यों ने इस पर आपत्ति दर्ज की। कुछ देर बाद सभापति प्रताप चंद्र शेट्टी सदन में आए और उन्होंने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। भाजपा और जद (एस) ने आज सदन में घटी घटना पर सभापति के खिलाफ शिकायत कराने के लिए राज्यपाल के पास जाने का निर्णय लिया है। गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने सभापति द्वारा सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने को अवैध करार दिया है। उन्होंने विधान परिषद के बाहर संवाददाताओं से कहा, “वह ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है। हम राज्यपाल के पास जाएंगे जो दोनों सदनों के संरक्षक हैं।” राज्य के कानून एवं संसदीय कार्यमंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि सभापति को कोई अधिकार नहीं था क्योंकि उन्हें 19 दिन पहले अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि शेट्टी सदन नहीं चला सकते और उप सभापति से आसन ग्रहण करने का अनुरोध किया गया था। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष एस आर पाटिल ने कहा कि उप सभापति ने नियमों के खिलाफ जाकर आसन ग्रहण किया और यह संविधान के विरुद्ध है। वरिष्ठ विधान परिषद सदस्य और जद (एस) नेता बसवराज होराट्टी ने कहा कि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है और वह सदस्यों का समर्थन खो चुके हैं इसलिए सरकार के अनुरोध पर उप सभापति ने आसन ग्रहण किया।

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