By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 14, 2021
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस बात पर चिंता जताते हुए कि अफगानिस्तान में हालात “नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं”, तालिबान से फौरन हमले रोकने को कहा। उन्होंने कहा कि सैन्य ताकत के जरिए सत्ता छीनना एक असफल कदम है और यह सिर्फ और सिर्फ लंबे समय तक गृहयुद्ध चलने का और युद्धग्रस्त राष्ट्र के पूरी तरह से अलग-थलग होने का कारण बन सकता है। तालिबान ने देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर - हेरात और कंधार पर कब्जा कर लिया है। तालिबानी चरमपंथी अफगानिस्तान में तेजी से अपने पैर जमाते जा रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि देश का 60 प्रतिशत हिस्सा उनके नियंत्रण में चला गया है।
इस बात को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है कि काबुल भी जल्द ही तालिबान के हाथों में जाने वाला है। गुतारेस ने शुक्रवार को कहा, “ऐसा देश जो दुखद रूप से पीढ़ियों से संघर्षों के लिए जाना जाता है, अफगानिस्तान एक बार फिर अराजक एवं हताशा भरे दौर का सामना कर रहा है- जो लंबे समय से पीड़ित उसके लोगों के लिए अविश्वसनीय त्रासदी है।” उन्होंने देश में ‘गंभीर स्थिति” पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, “अफगानिस्तान नियंत्रण से बाहर हो रहा है।” संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने देश भर की प्रांतीय राजधानियों पर तेजी से कब्जा कर रहे तालिबान से तत्काल हमले रोकने की और अफगानिस्तान और उसके लोगों के हित में “ईमानदारी से बातचीत” करने की अपील की। गुतारेस ने कहा, “युद्ध के मार्ग पर चल रहे लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का संकेत स्पष्ट है : सैन्य ताकत से सत्ता हासिल करना एक विफल कदम है। यह केवल लंबे समय तक गृहयुद्ध या अफगानिस्तान के पूर्ण अलगाव का कारण बनेगा।”
उन्होंने कहा कि नागरिकों के खिलाफ हमले करना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है और युद्ध अपराध के बराबर है। उन्होंने अपराधियों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि वह इन शुरुआती संकेतों को लेकर भी “बहुत परेशान’’ हैं कि तालिबान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों पर, खासकर महिलाओं और पत्रकारों को निशाना बनाते हुए, गंभीर प्रतिबंध लगा रहा है।
उन्होंने कहा, “अफगान लड़कियों और महिलाओं के कड़ी मेहनत से जीते गए अधिकारों को उनसे छीने जाने की खबरें देखना विशेष रूप से भयावह और हृदयविदारक है। गुतारेस ने आशा व्यक्त की कि अफगानिस्तान और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच दोहा में चर्चा जो क्षेत्र और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा समर्थित है, बातचीत के जरिए संघर्ष के समाधान का मार्ग बहाल करेगी।