भोपाल। मध्य प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती से आम जनता काफी परेशान हो रही है। प्रदेश के अधिकतर जिलों के ग्रामीण इलाकों में 10 से 16 घंटे तक बिजली बंद की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी को सत्ता मिलने की बड़ी वजह बिजली ही थी। और आज कटौती के कारण कांग्रेस बीजेपी पर जमकर हमला कर रही है।
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जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को ऊर्जा विभाग से 2 दिन में रिपोर्ट तलब की है। प्रदेश की बिजली डिमांड 10 हजार मेगावाट है, जबकि बिजली प्लांट, हाइडल और सेंट्रल सेक्टर से लगभग 8900 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है। वहीं बिजली के मामले में सरकार आत्मनिर्भर होने का दावा करती आ रही है।
बताया जा रहा है कि प्रदेश में 4 बड़े बिजली उत्पादन प्लांटों में कोयले की कमी है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन 2520 मेगावाट खंडवा में होता है। यहां महज 4 दिन का कोयला स्टॉक में है। जिसके चलते मात्र 600 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। और बताया जा रहा है कि लगभग ऐसी स्थिति अन्य तीन प्लांटों में भी है।
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बताया जा रहा है कि प्रदेश में 4 बड़े बिजली उत्पादन प्लांटों में कोयले की कमी है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन 2520 मेगावाट खंडवा में होता है। यहां महज 4 दिन का कोयला स्टॉक में है। जिसके चलते मात्र 600 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। और बताया जा रहा है कि लगभग ऐसी स्थिति अन्य तीन प्लांटों में भी है।
आपको बता दें कि जिन कंपनियों से सरकार ने बिजली खरीदी के पावर परचेस एग्रीमेंट किए हैं। उनसे बिजली नहीं खरीदने पर भी हर साल 4200 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ता है। एग्रीमेंट के मुताबिक, यदि सरकार ने निजी कंपनियों से बिजली नहीं खरीदी तो उन्हें डेढ़ रुपए प्रति यूनिट की दर से फिक्स चार्ज का भुगतान करना पड़ता है।
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दरअसल 27 अगस्त को सेंट्रल कोटे से करीब 1700 मेगावाट ज्यादा बिजली लेने पर पावर जनरेटिंग कंपनी पर नेशलन लोड डिस्पेच सेंटर ने 5 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना ग्रिड अनुशासन तोड़ने पर लगाया गया है।