By नीरज कुमार दुबे | Sep 02, 2022
विस्तारवादी देश चीन लोकतंत्र तथा मानवाधिकार विरोधी है यह तो सभी जानते हैं लेकिन चीन किस कदर अत्याचारी है इसका खुलासा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट से जाहिर हुआ है। वर्षों से इस तरह की खबरें आती रही हैं कि चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर भयानक अत्याचार हो रहे हैं लेकिन चीन इससे इंकार करता रहा है और इसे अपने खिलाफ दुष्प्रचार बताता रहा है। लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने जिनेवा में जो रिपोर्ट जारी की है उसने चीन को दुनिया के सामने नंगा कर दिया है क्योंकि यह रिपोर्ट कोई मीडिया खबरों के आधार पर नहीं बनाई गयी है बल्कि इसे तैयार करने से पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रमुख मिशेल बैचलेट ने शिनजियांग का दौरा कर वहां के हालात देखे थे।
क्या लिखा है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट में
मिशेल बैचलेट ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का विस्तार से वर्णन किया है कि कैसे उइगर मुस्लिम समुदाय पर जुल्म ढाये जाते हैं, कैसे उनका यौन शोषण किया जाता है, कैसे उन्हें अमानवीय स्थितियों में बंदी बनाकर रखा जाता है और तमाम तरह की यातनाएं देते हुए उनका जीवन नारकीय बनाया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कैद करके रखे गए अल्पसंख्यकों को परिवार नियोजन के लिए जबरन दवाइयां दी जाती हैं। यही नहीं उइगर मुस्लिमों के नमाज पढ़ने या रोजे रखने पर भी पाबंदी लगाई जाती है और उन्हें दाढ़ी रखने के लिए भी मनाही है। उइगर मुस्लिम महिलाओं को पर्दा करके बैंक, अस्पतालों या अन्य सार्वजनिक जगहों पर जाने की इजाजत नहीं है। यदि किसी उइगर मुस्लिम ने चीनी कानून का विरोध या उल्लंघन किया तो उससे सख्ती से निपटा जाता है। कैदी बनाकर रखे गये उइगर मुस्लिमों से चीनी अधिकारी जबरन मजदूरी कराते हैं तथा निगरानी शिविरों में व्यवस्थित तौर पर जन्म नियंत्रण का तंत्र भी बना कर रखा गया है ताकि उइगर मुसलमानों की आबादी नहीं बढ़ पाये। कई बार इन लोगों की जबरन नसबंदी किये जाने की भी खबरें सामने आती रहती हैं तो कई बार यह भी सामने आता है कि उइगर मुस्लिम महिलाओं का जबरन गर्भपात करवा दिया जाता है। उइगर मुस्लिमों को उनके बच्चों से अलग भी रखा जाता है। इन सब यातनाओं का जिक्र करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि चीन के शिनजियांग में उइगर समुदाय के लोगों तथा अन्य को जबरन नजरबंद रखना मानवता के खिलाफ अपराध है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के अभियान के नाम पर चीन उइगर मुस्लिमों पर जिस तरह की दादागिरी दिखा रहा है उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
हम आपको यह भी बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने अपनी इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए मई में शिनजियांग की यात्रा की थी। जैसे ही खबर आई कि यह रिपोर्ट जारी होने वाली है तो चीन ने राह में अडंगा लगाने का प्रयास किया। लेकिन उसके प्रयास रंग नहीं लाये और मिशेल बैचलेट का कार्यकाल समाप्त होने से पहले यह रिपोर्ट जारी कर दी गयी। बैचलेट की इस रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र तथा उसके सदस्य देशों की मुहर लगी है। इसलिए इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद विश्व संस्था में चीन के प्रभाव पर भी बहस छिड़ गई है।
रिपोर्ट पर चीन की प्रतिक्रिया
जहां तक इस रिपोर्ट पर चीन की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि बीजिंग ने रिपोर्ट को अवैध और अमान्य करार देते हुए कहा है कि अमेरिका ने उसे रोकने के लिए यह रिपोर्ट गढ़ी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि तथाकथित आकलन अमेरिका और कुछ पश्चिमी ताकतों द्वारा रचा और तैयार किया गया है। चीन ने कहा है कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से अवैध और अमान्य है। देखा जाये तो चीन की यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक है हालांकि उसे आश्चर्य इस बात पर हो रहा है कि इतनी जानकारी बाहर आ कैसे गयी? जब मिशेल बैचलेट शिनजियांग गयी थीं तो उन्हें पूरे क्षेत्र का दौरा भी नहीं करने दिया गया था इसके अलावा चीन अपने अत्याचारों के सबूत भी हाथ के हाथ मिटाता रहता है। इसलिए वह संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में उइगरों पर अत्याचार की विस्तृत रिपोर्ट देखकर हैरान है।
उइगरों का सांस्कृतिक नरसंहार भी जारी है
हम आपको बता दें कि चीन सिर्फ उइगरों पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार ही नहीं करता है बल्कि उनके सांस्कृतिक नरसंहार में भी जुटा है। पिछले साल चीन ने उइगर समुदाय की मस्जिद को तोड़ कर वहां फाइव स्टार होटल बनवाने के आदेश दिये थे। एक आस्ट्रेलियाई थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार चीन शिनजियांग प्रांत में 16 हजार से ज्यादा मस्जिदों को जमींदोज कर चुका है और इनमें से अधिकतर मस्जिदों को पिछले तीन-चार सालों में ही नुकसान पहुँचाया गया है। थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक कई मस्जिदों को पूरी तरह ढहाया गया है तो कई के सिर्फ गुंबदों और मीनारों को ही गिराया गया है। यही नहीं हाल के वर्षों में समाचार एजेंसी एएफपी की एक जांच में पाया गया था कि उइगर मुस्लिमों की दर्जनों कब्रगाहों को उखाड़ दिया गया था जिससे मानव अवशेष जमीन पर फैले हुए थे। एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि उइगर मुस्लिमों की मस्जिदों को गिराकर उसकी जमीन पर सार्वजनिक शौचालय बनवा कर भी चीन ने मुसलमानों की आस्था को ठेस पहुँचाने का काम किया था।
कितने उइगर मुस्लिम कैद हैं?
माना जाता है कि चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में हाल के वर्षों में बनाये गये शिविरों में करीब 10 से 12 लाख मुस्लिमों के बंद होने का अनुमान है। हालांकि चीन लगातार लाखों उइगर मुस्लिमों को हिरासत शिविरों में रखने के आरोपों से इंकार करता रहा है। चीन इस बारे में सफाई देते हुए हमेशा यही कहता है कि धार्मिक उन्माद से लोगों को दूर रखने के लिए शिक्षा शिविर बनाये गये हैं जिसमें इन लोगों को रखा गया है। चीन ने यहां दुनिया का सबसे बड़ा निगरानी शिविर भी बनाया है जिसको लेकर विश्व स्तर पर उसकी आलोचना हुई थी।
रिपोर्ट आने के बाद दुनिया ने चीन को घेरा
दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के सामने आने के बाद विश्व के विभिन्न देशों ने चीन को घेरना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघन के लिए चीन की आलोचना करते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट चीन में हो रहे नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर हमारी चिंता को और बढ़ाती है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरेन ज्यां-पियरे ने यह भी कहा है कि हम चीन को जवाबदेह ठहराने के लिए भागीदारों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे और हम चीन से शिनजियांग, तिब्बत और पूरे चीन में इन अत्याचारों को तुरंत बंद करने, अन्यायपूर्ण तरीके से नजरबंद किए गए लोगों को रिहा करने, लापता लोगों का पता बताने और स्वतंत्र जांचकर्ताओं को बिना किसी बाधा के शिनजियांग तक पहुंचने देने का आह्वान करेंगे। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमारा मानना है कि यह रिपोर्ट शिनजियांग में अल्पसंख्यकों के साथ गंभीर दुर्व्यवहार के बारे में है। लेकिन इस पर संयुक्त राष्ट्र को टिप्पणी करने दें।
रिपोर्ट तो आ गयी लेकिन क्या चीन पर कोई कार्रवाई होगी?
बहरहाल, उइगर समुदाय के वह लोग जिन्होंने चीनी जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाई, वह इस रिपोर्ट से बेहद खुश हैं और उन्हें लग रहा है कि आखिरकार कोशिशें रंग ला रही हैं। लेकिन उनका यह भी कहना है कि यह रिपोर्ट महज शुरुआत है। जब तक सभी हिरासत केंद्र बंद नहीं हो जाते, तब तक उन्हें चैन नहीं मिलेगा। उइगर मुस्लिमों का कहना है कि हमें नतीजे चाहिए, इसलिए हम यह जानना चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद क्या होगा? देखा जाये तो उनका यह सवाल जायज भी है क्योंकि चीन की ओर से किये जा रहे इन अत्याचारों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दुनिया इन अत्याचारों की जांच की मांग करती है लेकिन चीन कहता है कि ऐसा कुछ है ही नहीं। यही नहीं खुद को इस्लामिक देश कहने वाला पाकिस्तान भी अपने आका द्वारा मुसलमानों पर किये जा रहे अत्याचार की ओर से आंखें मूंदे रहता है और कहता है कि चीन को बदनाम किया जा रहा है। चीन को सबक सिखाना है तो उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से बेदखल करना होगा क्योंकि चीन का ना तो लोकतंत्र पर विश्वास है ना ही उसे दूसरों के मानवाधिकार की परवाह है। ऐसे देश को साथ रखने से दुनिया को कोई लाभ नहीं होगा इसलिए चीन की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता तत्काल समाप्त की जानी चाहिए।
-नीरज कुमार दुबे